जब दिलीप कुमार की टिप्पणी के बाद लता मंगेशकर ने एक मौलाना से उर्दू पढ़ना शुरू कर दिया था...

Lata Mangeshkar
रेनू तिवारी । Feb 6 2022 4:52PM

स्वर कोकिला लता मंगेशकर को लेकर अक्सर लोगों के मन में एक सवाल उठता है कि एक मराठी भाषी गायिका ने उर्दू से परिचित नहीं होने के बावजूद इस में अपने उच्चारण को कैसे बेहतर किया? इसका उत्तर वर्ष 1947 में मिलता है, जब लता मंगेशकर पहली बार दिलीप कुमार से मिलीं।

नयी दिल्ली।  राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित विभिन्न हस्तियों ने रविवार को महान गायिका लता मंगेशकर के निधन पर शोक प्रकट किया। मंगेशकर का रविवार को मुंबई स्थित एक अस्पताल में निधन हो गया। 92 वर्षीय गायिका कोरोना वायरस से संक्रमित पाई गई थीं और उन्हें बीमारी के मामूली लक्षण थे। उन्हें आठ जनवरी को ब्रीच कैंडी अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टर प्रतीत समदानी और उनकी टीम उनका इलाज कर रही थी। जनवरी में मंगेशकर की तबीयत में सुधार हुआ था और वेंटिलेटर हटा दिया गया था लेकिन शनिवार को उनकी तबीयत बिगड़ गई। मंगेशकर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था, जिसके बाद रविवार को उनका निधन हो गया। लता मंगेशकर और दिलीप कुमार के काफी अच्छे रिश्ते थे। दिलीप कुमार लगा जी को अपनी बहन मानते थे। दोनों की पहली मुलाकात का एक किस्सा हम आपको बताते हैं।

स्वर कोकिला लता मंगेशकर को लेकर अक्सर लोगों के मन में एक सवाल उठता है कि एक मराठी भाषी गायिका ने उर्दू से परिचित नहीं होने के बावजूद इस में अपने उच्चारण को कैसे बेहतर किया? इसका उत्तर वर्ष 1947 में मिलता है, जब लता मंगेशकर पहली बार दिलीप कुमार से मिलीं और कुमार ने मंगेशकर के उर्दू उच्चारण को लेकर संदेह जताया। इसके बाद दिलीप की एक टिप्पणी ने उन्हें उर्दू सीखने के लिए एक मौलाना से पढ़ने को प्रेरित किया। मंगेशकर ने कुमार की आत्मकथा द सब्सटेंस एंड द शैडो में उर्दू के साथ अपने प्रयोगों को याद किया और कहा कि कुमार ने उन्हें अपनी पहली मुलाकात में ही अनजाने में और बिना सोचे समझे एक उपहार दिया था। प्रसिद्ध संगीतकार अनिल बिस्वास ने एक लोकल ट्रेन में मंगेशकर को दिग्गज अभिनेता से मिलवाया था। वर्ष 1947 में हुई मुलाकात को याद करते हुए मंगेशकर ने लिखा कि बिस्वास ने उन्हें कुमार से यह कहते हुए मिलवाया, यह लता है, बहुत अच्छी गाती है।

इस पर कुमार ने जवाब दिया, अच्छा, कहां की है? और बिस्वास ने उनका पूरा नाम लता मंगेशकर बताया। कुमार का वास्तविक नाम यूसुफ खान था और वह दिलीप कुमार के नाम से मशूहर थे। मंगेशकर ने पुस्तक में कहा, यूसुफ भाई की वो टिप्पणी, जब उन्हें पता चला कि मैं एक मराठी हूं, वह कुछ ऐसी है जिसे मैं संजोती हूं और इसने मुझे हिंदी और उर्दू में पूर्णता की तलाश को प्रेरित किया क्योंकि मैं इसमें कमजोर थी। उन्होंने बेहद सच कहा कि जो गायक उर्दू से परिचित नहीं थे, वे उर्दू के शब्दों के उच्चारण में हमेशा फंस जाते हैं और इससे श्रोताओं का मजा खराब हो जाता है। गायिका ने कहा था कि इससे शुरुआत में तो उन्हें अफसोस हुआ। उन्होंने कहा, तब, मैंने टिप्पणी पर विचार किया और मुझे एहसास हुआ कि वह सही थे और उन्होंने इसे मेरे उच्चारण में सुधार करने के इरादे से कहा था। मंगेशकर ने कहा कि वह घर गईं और एक पारिवारिक मित्र को बुलाया और तत्काल उर्दू सीखने की इच्छा जतायी और फिर एक विद्वान मौलाना से उर्दू सीखना शुरू किया।

अभिनेत्री सायरा बानो लता मंगेशकर को परिवार का सदस्य मानती थीं। उनके दिवंगत पति, सिनेमा आइकन दिलीप कुमार ने मंगेशकर को अपनी छोटी बहन की तरह माना। एक विशेष बातचीत में, सायरा बानो ने कहा कि वह अस्पताल में भर्ती होने के बाद से लगातार मंगेशकर के स्वास्थ्य की जांच कर रही थी। वह गायिका और दिलीप कुमार से उनके घर मिलने की कुछ यादगार यादें भी ताजा करती हैं।

  

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