हिंदी सिनेमा की वो अदाकारा जिसको आज भी कोई नहीं कर सकता रिप्लेस

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रेनू तिवारी । Feb 23 2019 3:57PM
14 फरवरी 1933 को जन्मी मधुबाला को उनकी खूबसूरती के चलते ‘वीनस आफ हिंदी सिनेमा’ कहा गया। फिल्मी दुनिया में मधुबाला का सफर बहुत छोटा रहा और उन्होंने मात्र 36 साल की उम्र में 23 फरवरी 1969 को दम तोड़ दिया।

किसी खूबसूरत चेहरे को देखते ही बेसाख्ता मुंह से निकल पड़ता है कि इसे ऊपर वाले ने फुरसत में बनाया है। हिंदी फिल्मों की सबसे हसीन अदाकारा मधुबाला के बारे में बेशक यह बात कही जा सकती है। मधुबाला ने हर तरह की फिल्मों में अपनी खूबसूरती और अदाकारी का जलवा बिखेरा।

फिर चाहे वह मुगलिया सजधज वाली ‘मुगले आजम’ हो या फिर किशोर कुमार और बंधुओं के हास्य से भरी ‘चलती का नाम गाड़ी’, मधुबाला के दिलकश और शोख अंदाज ने इन्हें यादगार बना दिया।

14 फरवरी 1933 को जन्मी मधुबाला को उनकी खूबसूरती के चलते ‘वीनस आफ हिंदी सिनेमा’ कहा गया। फिल्मी दुनिया में मधुबाला का सफर बहुत छोटा रहा और उन्होंने मात्र 36 साल की उम्र में 23 फरवरी 1969 को दम तोड़ दिया। उनकी डेथ एनिवर्सरी पर उनकी जिंदगी के कुछ और अनजाने पहलुओं पर एक नजर- 

 मधुबाला के पिता की अत्यधिक सख्ती ने उनकी जिंदगी की खुशियां बर्बाद कर दीं। वो रोजाना फिल्म सेट पर उनके साथ जाते थे। काम के बाद उन्हें सीधे घर ले जाते। यही उनकी दिनचर्या थी। अनजान लोगों से उन्हें दूर रखा जाता था।

 महज 36 साल की उम्र, जीवन के आखिरी नौ साल अपने घर में कैद हो कर रहने की मजबूरी और केवल 66 फिल्में लेकिन मधुबाला ने इन सबसे वो मुकाम हासिल कर लिया जो उन्हें हमेशा हमेशा के लिए अमर कर गया। 

स्कूल तो जा नहीं पाई थीं, लेकिन उनकी सीखने की ललक जबरदस्त थी। इसी की बदौलत 17 वर्ष की आयुतक उन्होंने धाराप्रवाह अंग्रेजी सीख ली थी। 12 वर्ष की आयु में ही गाड़ी चलाना सीख लिया।

मधुबाला की लोकप्रियता इतनी थी कि बॉलीवुड की आल टाइम ग्रेटेस्ट अभिनेत्रियों में 58 फीसदी लोगों के वोट के साथ मधुबाला नंबर एक पर रहीं थीं। मधुबाला एक ऐसी हीरोइन रहीं जिनके चर्चे बॉलीवुड ही नहीं बल्कि विदेशों और हॉलीवुड में भी फैले हुए थे। अपनी अदाकारी से दुनिया भर में छा जाने वाली मधुबाला की एक ख्वाहिश अदूरी रह गई।

मधुबाला का अभिनय, प्रतिभा, व्यक्तित्व और खूबसूरती को देख कर यही कहा जाता है कि वह भारतीय सिनेमा की अब तक की सबसे महान अभिनेत्री है। 

 मधुबाला को फिल्मों में मुख्य भूमिका निभाने का पहला मौका केदार शर्मा ने अपनी फ़िल्म नील कमल 1947 में दिया। इस फ़िल्म मे उन्होने राज कपूर के साथ अभिनय किया। इस फ़िल्म मे उनके अभिनय के बाद उन्हे 'सिनेमा की सौन्दर्य देवी' (Venus Of The Screen) कहा जाने लगा।

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