परमवीर चक्र विजेता अरुण खेत्रपाल की जिंदगी पर बनेगी बायोपिक,वरुण का होगा लीड रोल

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[email protected] । Oct 14 2019 2:21PM

वरुण का कहना है कि यह बायोपिक उनके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण फिल्मों में से एक है। उन्होंने कहा कि एक सिपाही का किरदार निभाना हमेशा से मेरा सपना रहा है। अरुण खेत्रपाल की कहानी सुनने के बाद मैं यह सोच कर हैरान हो गया था कि ऐसा सच में हुआ था।

मुंबई। सबसे कम उम्र के परमवीर चक्र विजेता अरुण खेत्रपाल के जीवन पर बन रही फिल्म में वरुण धवन मुख्य भूमिका निभाएंगे। खेत्रपाल की 69वीं सालगिरह पर इस फिल्म के निर्माताओं ने यह जानकारी दी। फिल्म का निर्देशन श्रीराम राघवन करेंगे और दिनेश विजान इस फिल्म के निर्माता हैं। वरुण और श्रीराम ने इसके पहले फिल्म ‘बदलापुर’ में एक साथ काम किया था।

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वरुण का कहना है कि यह बायोपिक उनके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण फिल्मों में से एक है। उन्होंने कहा कि एक सिपाही का किरदार निभाना हमेशा से मेरा सपना रहा है। अरुण खेत्रपाल की कहानी सुनने के बाद मैं यह सोच कर हैरान हो गया था कि ऐसा सच में हुआ था। फिर मुझे समझ आया कि दीनू(दिनेश) और श्रीराम इस फिल्म को लेकर इतने उत्साहित क्यों है। अरुण के भाई मुकेश से मिलने के बाद मैं हिल गया था क्योंकि मेरा भी एक भाई है और उनका दुख मैं समझ सकता हूं”।

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वरुण ने बताया कि यह कहानी लोगों तक पहुंचानी है और इसे सही तरीके से बताना हमारी जिम्मेदारी है। निर्देशक श्रीराम पिछले छ: महीनों से इस कहानी पर काम कर रहे हैं ताकि वह इसके साथ न्याय कर सकें। श्रीराम ने कहा कि 1971 के बसंतर युद्ध में सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल की बहादुरी जगजाहिर है। 1971 के युद्ध के समय मैं बच्चा था लेकिन खिड़कियों पर काले कागज चिपकाने जैसी धुंधली यादें अभी भीताजा हैं। इसलिए जब दिनेश ने इस कहानी पर फिल्म बनाने की बात की तो शुरुआत में मुझे मुश्किल लगा। युद्ध के समय की कहानियां मुझे हमेशा से पसंद रही हैं इसलिए मैंने दोबारा इस पर सोचा।

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फिल्म के निर्माता दिनेश विजान का कहना कि यह फिल्म एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हम खेत्रपाल के परिवार और पूना रेजीमेंट के आभारी हैं कि उन्होंने हमें अरुण की कहानी बताने का मौका दिया। सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल, हिंदुस्तान के सबसे कम उम्र के परमवीर चक्र विजेता अफसर हैं। 1971 में हुए बसंतर युद्ध में 21 साल के अरुण ने पाकिस्तान के 10 टैंक खत्म कर पाकिस्तानी सेना को आगे बढ़ने से रोक दिया था।बहरहाल, आखिरी पाकिस्तानी टैंक को नष्ट करते समय अरुण के टैंक में आग लग गई थी। सेना ने उन्हें टैंक छोड़ने का आदेश दिया लेकिन अरुण ने दुश्मन को रोकना जरूरी समझा। और वह टैंक में लगी आग में घिर कर शहीद हो गए।

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