घाटी में कश्मीरी पंडितों के वीभत्स नरसंहार पर फिल्म लेकर आ रहे है विवेक अग्निहोत्री

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रेनू तिवारी । Aug 14 2019 5:09PM

कश्मीरी हिंदू जिसे प्रचलित भाषा में कश्मीरी पंडित कहते है, को रातों-रात कश्ंमीर से बाहर खदेड़ दिया गया था। सालों से अपने घर कश्मीर में रह रहे कश्मीरी हिंदुओं को धारा 370 का हवाला देकर घर परिवार छोड़ने पर मजबूर किया गया था, बहन बेटियों से रेप करने की धमकी दी गई थी।

कश्मीर में लगी धारा 370 को मोदी सरकार द्वारा हटाए जाने पर बहस छिड़ी हैं। ऐसे में फिल्म निर्माता विवेक रंजन अग्निहोत्री ने बुधवार को कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार पर आधारित अपनी अगली फिल्म की घोषणा कर दी है। विवेक अग्निहोत्री ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करके अपने अगले प्रोजेक्ट का नाम और थीम का खुलासा किया हैं। डायरेक्टर विवेक रंजन अग्निहोत्री फिल्म द ताशकंद फाइल्स के बाद अब 'द कश्मीर फाइल्स' लेकर आ रहे है। इस फिल्म में कश्मीरी हिंदुओं पर हुए अत्याचार की कहानी को दिखाया जाएगा। कश्मीरी हिंदू जिसे प्रचलित भाषा में कश्मीरी पंडित कहते है, को रातों-रात कश्ंमीर से बाहर खदेड़ दिया गया था। सालों से अपने घर कश्मीर में रह रहे कश्मीरी हिंदुओं को धारा 370 का हवाला देकर घर परिवार छोड़ने पर मजबूर किया गया था, बहन बेटियों से रेप करने की धमकी दी गई थी, कितने ही हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया गया था... आज जब जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और आर्टिकल 35अ को समाप्त कर दिया गया है तो इस पूरी यात्रा पर डायरेक्टर ने अपनी नजर से फिल्म को बनाने की ठानी है।

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आपको बता दें कि फिल्म को अगस्त 2020 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर रिलीज करने की प्लानिंग की जा रही है। इस जानकारी को सोशल मीडिया पर शेयर करके हुए अग्निहोत्री ने लिखा कि हम आपके लिए कश्मीरी हिंदुओं के सबसे दुखद और वीभत्स नरसंहार की बिना लाइसेंस वाली कहानी लेकर आ रहे है। कृपया हमारी टीम को आशीर्वाद दें क्योंकि यह एक आसान कहानी नहीं है। डायरेक्टर विवेक रंजन अग्निहोत्री ने फिल्म का एक पोस्टर भी साझा किया, जिसमें एक जली हुई नारंगी छाया में कश्मीर का नक्शा दिखाया गया है।

निर्देशक ने इससे पहले द ताशकंद फाइल्स बनाई थी, जो 1966 के युद्ध को समाप्त करने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के तुरंत बाद 1966 में लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी मौत के इर्द-गिर्द घूमती है। 'द ताशकंद फाइल्स' में नसीरुद्दीन शाह, पल्लवी जोशी, श्वेता बसु, पंकज त्रिपाठी, मिथुन चक्रवर्ती और विनय पाठक थे।

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