ऐमबीडी ग्रुप अपना नौवां संस्थापक दिवस मना रहा है!

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[email protected] । Jul 10 2019 1:42PM

पढ़ाई के साथ श्री अशोक कुमार मल्होत्रा जी ने पारिवारिक पुस्तक भंडार ‘मल्होत्रा बुक डिपो’ में काम करना शुरू कर दिया। वे अपनी पीढ़ी के पहले उद्यमी थे, जिन्होंने 13 वर्ष की उम्र में पुस्तकों की अपनी यात्र शुरू की थी।

 ऐमबीडी परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए संस्थापक दिवस एक विशेष वार्षिकोत्सव है। हमारे संस्थापक श्री अशोक कुमार मल्होत्रा जी व्यापार और समाज के लिए अनुकरणीय रहे हैं। ऐमबीडीयन्स उनकी 74वीं जयंती का जश्न मनाते हुए, जो प्रतिवर्ष 10 जुलाई को होता है, उनके विचारों और मूल्यों को आगे बढ़ाने के संकल्प को पुनः स्थापित करते हैं। ऐमबीडी ग्रुप के नवें संस्थापक दिवस की थीम ‘टचिंग लाइव्स’ है, क्योंकि वे दान देने के बजाय हमेशा मनुष्य को सशक्त बनाने में विश्वास करते थे और यह ज्ञान हमें उनसे विरासत में मिला है। श्री अशोक कुमार मल्होत्रा जी ने अल्प संसाधनों और असंभव बाधाओं के बीच काम किया, लेकिन अपनी प्रेरणा, विश्वास, दृढ़ संकल्प, विनम्रता में कभी कमी नहीं आने दी और ऐमबीडी ग्रुप को एक सुपर ब्रांड बनाने की इच्छा और सपने को कभी नहीं छोड़ा।

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पढ़ाई के साथ श्री अशोक कुमार मल्होत्रा जी ने पारिवारिक पुस्तक भंडार ‘मल्होत्रा बुक डिपो’ में काम करना शुरू कर दिया। वे अपनी पीढ़ी के पहले उद्यमी थे, जिन्होंने 13 वर्ष की उम्र में पुस्तकों की अपनी यात्र शुरू की थी। उन्होंने अपनी पहली पुस्तक एक लाख रुपए की लागत से प्रकाशित की थी। उनमें धैर्य और समर्पण का एक उचित समन्वय था। वे अपने सपनों में विश्वास रखते थे और उसे जीते थे। उनके मार्गदर्शन और कुशल नेतृत्व में ऐमबीडी ग्रुप ने अपने अस्तित्व के छह दशकों में न केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि आतिथ्य, खुदरा विकास आदि अनेक क्षेत्रें में विकस किया है। वे दूरदर्शी थे। उन्होंने हमेशा ऐमबीडीयन्स को प्रतिभावान बनने, नए मानदंड स्थापित करने, एक बेहतर समाज के निर्माण के लिए बदलाव करने का प्रयास किया। वे एक उत्सुक नवप्रवर्तक थे। वे हमेशा मानव-केंद्रित विकास, सही लक्ष्य और अवसरों पर केंद्रित रहे। वे अपने उल्लेखनीय योगदान और समाजसेवी व्यक्तित्व के लिए हमेशा सुर्खियों में रहे। 

अवसर पर, ऐमबीडी ग्रुप की चेयरपर्सन श्रीमती सतीश बाला मल्होत्रा ने कहा कि हम ऐमबीडी ग्रुप में, हमेशा उस ब्रांड का लाभ उठाने में विश्वास रखते हैं, जो मल्होत्रा जी ने बनाया है, क्योंकि इससे ग्रुप के उपक्रमों को विश्वसनीयता और वैधता मिलती है। उन्हें समानता में दृढ़ विश्वास था और कम विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के सशक्तिकरण के लिए उन्होंने अनेक प्रयास किए। ऐमबीडी ग्रुप उस समाज के लिए एक सार्थक योगदान देता है, जिसमें हम रहते हैं और काम करते हैं। शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए विद्यालयों में शिक्षकों को प्रशिक्षण देने से लेकर, अशोक मल्होत्रा चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किए गए परोपकारी प्रयास वास्तव में अद्वितीय और विशेष हैं।

ऐमबीडी ग्रुप की प्रबंधक निदेशिका सुश्री मोनिका मल्होत्रा कंधारी ने कहा, ऐमबीडीयन्स ने इन सभी कार्यों में सामाजिक कार्यों को तन्मयता से अपनाया और ज़रूरतमंदों के लिए हाथ आगे बढ़ाया। हम वास्तव में समाज व पर्यावरण की बेहतरी के लिए पहल करने के लिए तत्पर हैं। इस साल हमने शिक्षा, छात्रवृत्ति, स्वच्छता अभियान, मध्याह्न भोजन, कौशल प्रशिक्षण और ऐसी अनेक गतिविधियां की जो समुदाय को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाने में मदद करती है। इसके अतिरिक्त अशोक मल्होत्र चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से ऐमबीडी ने ‘शिक्षा के साथ बालिका सशक्तिकरण’, ‘स्वच्छ भारत अभियान’ जैसी अनेक परियोजनाओं में सहयोग दिया।

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ऐमबीडी ग्रुप की जेऐमडी, सुश्री मोनिका मल्होत्रा ने कहा, हमारा उद्देश्य उत्कृष्टता को प्रेरित करना, विभिन्नताओं की दुनिया बनाना और नेतृत्व की गौरवपूर्ण स्थिति या गरिमा को बनाए रखना है। हमेशा से ही मेरे पिता का समाज से एक मजबूज भावनात्मक जुड़ाव था और जरूरतमंदों की मदद करना उनका स्वभाव था। उनके अनुसार जब हमें अपने आस-पास के लोगों से बहुत प्रेरणा मिलती है तो हमारे पास लोगों और उनकी जरूरतों को अनदेखा करने का कोई बहाना नहीं होता है। अशोक कुमार मल्होत्रा चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा शुरू की गई, ‘टचिग लाइव्स’ एक ऐसी पहल है जो अखिल भारतीय आधार पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, योग्यता, छात्रवृत्ति, प्रशिक्षण और कौशल-विकास’ आदि पर केंद्रित है जो समाज को वापस देने के दर्शन के ईद-गिर्द घूमती है और हर संभव तरीकों से जरूरतमंदों की मदद करती है।

‘टचिग लाइव्स’ के बारे में

श्री अशोक कुमार मल्होत्रा के पास आरंभ करने के लिए दृष्टिकोण और साहस था। उनके दृष्टिकोण से परोपकार लोगों को सशक्त बनाने से अलग नहीं था। उन्होंने केवल अपनी अंतरात्मा को खुश करने के लिए ही नहीं, बल्कि व्यापक समुदाय की भलाई के लिए तथा वास्तविक अंतर बनाने के लिए ‘कट आउट चैरिटी चैक्स’ करने से इनकार कर दिया। इन वर्षों में एमबीडी ग्रुप वर्तमान समुदाय की मदद करने में ध्यान केंद्रित कर रहा है, जबकि कुछ परियोजनाओं, जैसे पर्यावरण की समस्या में व्यापक संभावनाएं हैं।

एमबीडियन्स ‘टचिग लाइव्स’ कहानियों की एक टेपेस्ट्री (जाल) बनाते हैं जो सपनों के ‘टचिग लाइव्स’ (हृदयस्पर्शी जीवन) को दृढ़ता के साथ आगे बढ़ रही है। हम मानते हैं कि उन साथियों के प्रति यह हमारा नैतिक कर्त्तव्य है। हम उन लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए नए लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं और यह हम अनेक तरह से कर सकते हैं। हम उज्ज्वल भविष्य के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका के महत्व को भी समझते हैं। अपने उत्तम कार्यों के अंतर्गत ऐमबीडी ग्रुप ने अशोक मल्होत्र चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा सीएसआर में पहल कर महत्वपूर्ण योगदान दिया है और अखिल भारतीय के अनेक कारणों के प्रति जागरूकता बढ़ाई है। अपने दया-दर्शन के ईद-गिर्द घूमते हुए अखिल भारतीय के आधार पर विभिन्न व्यवसायों के साथ सभी संभावित तरीकों से समाज को वापस दे रहा है।

हम मानते हैं कि एमबीडी में कृतज्ञ होने के लिए हमारे पास बहुत कुछ है, इसलिए यह हमारा नैतिक कर्त्तव्य है कि हम उन लोगों की सहायता करें जो हमसे कम भाग्यशाली रहे हैं। सबसे छोटा अच्छा काम एक बड़ा परिवर्तन ला सकता है और हमारे मूल्यवान कर्मचारियों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। 

1- 1 जनवरी 2001 से श्री गणपति प्रोडक्शन विभाग में इंकमैन के तौर पर काम कर रहे थे। पिछले छह महीनों से वे किडनी फेल होने की समस्या से जूझ रहे थे और वे ऑफिस आने में असमर्थ थे। वे डायलिसिस पर थे और वे अपने परिवार के इकलौते कमाने वाले सदस्य थे। उनका पुत्र एमúसीúएसú कर रहा था। इस पहल के तहत हमने उनके बेटे की शिक्षा में आर्थिक सहायता देकर उसकी शिक्षा को पूरा करने में मदद की।

2- श्री नीलेश ओडेवाला मुंबई में सीनियर सेल्स एक्सीक्यूटिव के रूप में कार्यरत थे जब उन्हें अपने कैंसर के बारे में पता चला। उनके परिवार में उनकी पत्नी व तीन बच्चे थे। उनके परिवार में केवल उनकी पत्नी ही कमाने वाली थीं। उनके लिए अपनी बेटी की शिक्षा के खर्च को वहन कर पाना मुश्किल हो रहा था, जोकि मेडीकल कॉलेज के तीसरे वर्ष में थी। ऐमबीडी सदा से ही लड़कियों की सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध रहा है और इसलिए हम उस बालिका की मेडीकल शिक्षा को पूरा करने में अपना सहयोग दे रहे हैं।

3- हमारे यहां ऐसे बहुत से कर्मचारी हैं जोकि दिव्यांग हैं। मोहम्मद नदीम ऐसे ही कर्मचारियों में से एक हैं। वे पहले दैनिक वेतन पर काम करते थे पर पिछले दो वर्षों से उन्हें नियमित कर दिया गया था। वे अपने परिवार के इकलौते कमाने वाले सदस्य हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी, उनके माता-पिता व एक बच्चा हबीब है। हबीब कक्षा चार में पढ़ता है। वह एक होनहार विद्यार्थी है तथा उसे 2017-2018 में अशोक कुमार मल्होत्र स्कॉलरशिप अवार्ड भी मिल चुका है। ऐमúबीúडीú ग्रुप हबीब की एक वर्ष की शिक्षा को आर्थिक संरक्षण दे रहा है।

4- श्री बसगीत राम हमारी कंपनी को पिछले 30 सालों में अपनी बहुमूल्य सेवाएँ दे चुके हैं। 1997 में दुर्भाग्य से उन्होंने अपनी एक बाजू खो दी थी। उनके ऊपर अपने परिवार के नौ सदस्यों की जिम्मेदारी है और वे तीन साल में सेवा निवृत्त हो जाएँगे। इस पहल के तहत हमने उनके बेटे की शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता का हाथ बढ़ाया है।

5- श्री जगदेव सिह ऐमबीडी के साथ हेल्पर के रूप में काम कर रहे थे। उनका 2018 में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनके ऊपर अपनी पत्नी, दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली एक बेटी और पाँचवीं कक्षा में पढ़ने वाले एक बेटे की जिम्मेदारी थी। परिवार के पास आय का कोई ड्डोत नहीं है। उनकी पत्नी बारहवीं पास हैं। वे अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए नौकरी की तलाश में थीं। ऐमúबीúडीú उन्हें कंप्यूटर प्रशिक्षण प्रदान करके उन्हें रोजगार के लिए तैयार करने में मदद कर रहा है।

6- श्री प्रकाश चंद सितंबर 2018 में अपनी मृत्यु होने तक एक ड्राइवर के रूप में ऐमबीडी ग्रुप के साथ काम कर रहे थे। उनके ऊपर अपनी पत्नी दीपा व तीन बच्चों की जिम्मेदारी थी। उनके बड़े बेटे ने अभी हाल ही में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की है। उसके लिए रोजगार की संभावनाएँ बढ़ाने हेतु ऐमúबीúडीú उसे कंप्यूटर प्रशिक्षण प्राप्त करने में सहयोग कर रहा है।

7- एक अन्य कर्मचारी, श्री शामलाल एक दुर्घटना में अपना हाथ खो बैठे। उनका एक बेटा है जो बीúएú प्रोग्राम में प्रथम वर्ष का छात्र है और एक बेटी है जो ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ती है। वे अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे इसलिए वे अपने बेटे को पढ़ाने में समर्थ नहीं थे। ऐमबीडी उन्हें अपने बेटे को पढ़ाने के लिए आर्थिक मदद कर रही है।

8- श्री नरोत्तम शर्मा को ऐमúबीúडीú ग्रुप में दिसंबर 2018 तक एक कार्यालय समन्वयक के रूप में नियुक्त किया गया था। वे वर्तमान में एक छोटी-सी फर्म के साथ काम कर रहे हैं, जहाँ वे अपने परिवार की केवल मूलभूत आवश्यकताओं को ही पूरा करने की पर्याप्त कमाई कर रहे हैं। वे अपनी बेटी की शिक्षा के लिए आर्थिक भुगतान करने में असमर्थ हैं, जो एमúबीúएú अंतिम वर्ष की छात्र है। ऐमबीडी उनकी बेटी की शिक्षा के लिए आर्थिक भुगतान करके उसकी मदद कर रही है।

9- सीमा 2006 से ऐमबीडी ग्रुप के साथ एक चपरासी के रूप में काम कर रही हैं। उसके चार बच्चे हैं और वह अपने परिवार में एकमात्र कमाने वाली सदस्या हैं। वे अपनी भतीजी की शिक्षा में भी सहायता कर रही हैं जो बीúएú प्रथम वर्ष में पढ़ रही है। इस पहल के तहत हमने उनकी भतीजी की उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है।

ऐमबीडी ग्रुप के विषय में

सन 1956 से ऐमúबीúडीú ग्रुप भारत की एक अग्रणी शैक्षिक कंपनी में से एक है जिसे इसके संस्थापक श्री अशोक कुमार मल्होत्र जी के दूरदर्शी नेतृत्व में छह दशकों का अनुभव प्राप्त है। उन्होंने इसका विस्तार विभिन्न उद्योगों, जैसे ई-लर्निंग, स्टेशनरी, ऐम-लर्निंग, स्किल डेवलपमेंट, कैपेसिटी बिडिंग प्रोग्राम, इको-फ्रेंडली नोटबुक्स, पेपर मैन्युफैक्चरिंग, आईसीटी इंफ्रास्ट्रक्चर, हॉस्पिटैलिटी, रीयल एस्टेट, मॉल डेवलपमेंट और मैनेजमेंट आदि क्षेत्रें में किया है। ग्रुप अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अनेक देशों में अपनी उपस्थिति दजऱ् करा चुका है, जिनमें यूúकेú, मध्य पूर्व क्षेत्र, दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका सम्मिलित हैं।

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