RBI के अनुमान से बेहतर: Q2 में 7.3% GDP विकास, ग्रामीण सुधार और त्योहारों का दिखा असर

भारत की दूसरी तिमाही की जीडीपी वृद्धि 7.3% रहने का अनुमान है, जो महंगाई में गिरावट और ग्रामीण सुधार से प्रेरित है, जबकि पूरे वित्त वर्ष के लिए 6.9% की वृद्धि दर की उम्मीद है।
इस बार जुलाई से सितंबर की तिमाही में देश की आर्थिक रफ्तार पहले से बेहतर रहने की उम्मीद जताई जा रही है. मौजूद जानकारी के अनुसार मनीकंट्रोल के एक हालिया पोल में 11 अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया है कि दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी लगभग 7.3% की दर से बढ़ी है. बता दें कि यह अनुमान रिज़र्व बैंक के 7% के आकलन से थोड़ा अधिक है, जो आर्थिक माहौल में सकारात्मक संकेत दिखाता है.
पूरा वित्त वर्ष देखें तो विशेषज्ञ औसतन 6.9% की वृद्धि दर मान रहे हैं. कई अर्थशास्त्रियों के अनुसार दूसरी छमाही में यह रफ्तार थोड़ा नरम हो सकती है, लेकिन पहली दो तिमाहियों का प्रदर्शन उम्मीदों से बेहतर रहा है.
आधार प्रभाव, ग्रामीण सुधार और त्योहारों का असर
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तिमाही में तेज़ी की सबसे बड़ी वजह पिछले साल की कम बेस दर, अच्छी बारिश, ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर मांग और त्योहारों से पहले की खरीदारी है.
DBS बैंक की अर्थशास्त्री राधिका राव के अनुसार सरकारी खर्च, ग्रामीण खपत और कम महंगाई के चलते वास्तविक आय बढ़ी है, जिससे विकास दर को सहारा मिला है. उनका अनुमान है कि यह तिमाही लगभग 7.5% की दर दिखा सकती है.
उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी दरों में कटौती का पूरा असर तीसरी तिमाही में साफ दिखेगा क्योंकि ये बदलाव सितंबर के अंत में लागू हुए हैं. इसी तरह बार्कलेज की मुख्य अर्थशास्त्री आस्था गुढवानी का कहना है कि अच्छी बारिश और खरीफ की बेहतर बुवाई ने अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है, हालांकि वे आगे मांग में इसी तेजी को कायम रहने को लेकर सतर्क हैं.
महंगाई में नरमी और दर कटौती की उम्मीद
गौरतलब है कि अक्टूबर में उपभोक्ता महंगाई (CPI) कई महीनों के निचले स्तर पर आ गई, जिसके बाद विशेषज्ञों ने पूरे वित्त वर्ष के लिए औसत महंगाई अनुमान को घटाकर 2.1% कर दिया है.
पोल में शामिल 80% अर्थशास्त्री मानते हैं कि आरबीआई दिसंबर की नीति में ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है. यह कदम कमजोर महंगाई और मांग को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से उठाया जा सकता है. आईसीआरए की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर के अनुसार जीएसटी में बदलाव और खाद्य कीमतों में बड़ा उछाल न दिखने से महंगाई काफी नियंत्रित रह सकती है, जिससे दरों में कटौती का रास्ता साफ होता है.
ग्रामीण क्षेत्र मजबूत, शहरी संकेत मिले-जुले
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की गौरा सेंगुप्ता का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में दोपहिया और ट्रैक्टर बिक्री बढ़ने, मेहनताना बढ़ने और मनरेगा की मांग घटने जैसे संकेत सुधार की ओर इशारा करते हैं. हालांकि शहरी इलाकों में यात्री वाहनों की बिक्री में गिरावट और टैक्स संग्रह में नरमी दिख रही है, जो विकास को कुछ सीमित कर सकती है.
केयरएज रेटिंग्स की राजनी सिन्हा के अनुसार निर्माण और मैन्युफैक्चरिंग में सरकार के भारी पूंजी निवेश का अच्छा असर दिखा है, लेकिन वर्ष की दूसरी छमाही में अमेरिकी टैक्स बढ़ोतरी और राजकोषीय सख्ती कुछ दबाव ला सकती है. इंड–रा के पारस जसराी ने चेताया है कि नॉमिनल जीडीपी की कमजोर गति सरकार की वित्तीय गणनाओं को चुनौती दे सकती है.
क्वांटइको की युविका ओबेरॉय का मानना है कि तीसरी तिमाही में जीएसटी कटौती और सरकारी पूंजी व्यय का असर विकास को मजबूती देगा. वहीं, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के अभिषेक उपाध्याय का कहना है कि शहरी खपत पर कर्ज बढ़ने, कम वेतन वृद्धि और कम बचत का असर दिख सकता है.
अर्थशास्त्रियों का यह भी कहना है कि अगर भारत–अमेरिका टैरिफ बातचीत सकारात्मक निकली, तो निर्यात बढ़ सकता है और FY26 की वृद्धि 7% के करीब रह सकती है.
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