Budget 2025: एआई और तकनीक-विशिष्ट में निवेश में रुझान सकारात्मक बनाए रखना समय की आवश्यकता

जैसा कि विश्व बैंक द्वारा रिपोर्ट किया गया है कि वर्ष 2025 तक 3.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की भारतीय अर्थव्यवस्था स्वास्थ्य सेवा और बीमा, बुनियादी ढांचे, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी), फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में अपार संभावनाओं के साथ प्रवेश करेगी। यह प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए एक और रोमांचक वर्ष होने वाला है।
अनेक चुनौतियों और अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की सकल विकास उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर में उछाल आया है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने ये जानकारी दी है। जीडीपी बढ़ने का मुख्य कारण सेवा क्षेत्र है। ये वर्तमान जीडीपी का लगभग 55 फीसदी है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह बढ़ोतरी खासतौर से आईटी क्षेत्र में है। इससे राष्ट्रीय परिदृश्य पर भारत के कुल सेवा निर्यात में लगभग 56 प्रतिशत का योगदान मिलता है।
वर्तमान परिदृश्य और आईटी की भूमिका
जैसा कि विश्व बैंक द्वारा रिपोर्ट किया गया है कि वर्ष 2025 तक 3.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की भारतीय अर्थव्यवस्था स्वास्थ्य सेवा और बीमा, बुनियादी ढांचे, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी), फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में अपार संभावनाओं के साथ प्रवेश करेगी। यह प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए एक और रोमांचक वर्ष होने वाला है। उल्लेखनीय रूप से प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एआई/जेनएआई का उदय शासन, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और समाज के विभिन्न पहलुओं में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है।
एआई की यात्रा और भारतीय आईटी में इसकी भूमिका
नैसकॉम की मानें तो भारत के एआई बाजार ने 25-35 फीसदी की सीएजीआर दर्ज की है। वर्ष 2027 तक लगभग 17 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक ये आंकड़ा पहुंच जाएगा। भारत में एआई के बढ़ने से स्टार्ट-अप, शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी पहलों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों से युक्त एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन भी मिला है।
एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक भारत की आईटी सेवाओं और वैश्विक क्षमता केंद्रों के वर्ष 2030 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है। वे एआई/जेनएआई उत्कृष्टता केंद्र भी स्थापित कर रहे हैं, जो एआई/जेनएआई प्रौद्योगिकियों और संबंधित कार्यबल प्रशिक्षण के लिए एक अपट्रेंड का संकेत देता है।
शुरुआती संगठनों में सरकारी निकाय और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठन शामिल हैं जिन्होंने एआई को अपनाया है। इंटरनेशनल डेटा कॉरपोरेशन के अनुसार वर्ष 2027 तक एआई सॉफ्टवेयर पर 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक राशि खर्च की जाएगी, जिसका उपयोग डिजिटल सरकारी सेवाओं के लिए किया जाएगा।
भारत में एआई और सरकार का प्रयास
भारत सरकार नए युग की प्रगति को लेकर लगातार काम कर रही है। सेमीकंडक्टर क्षेत्र में निवेश से लेकर उच्च तकनीक पर सरकार के फोकस को रेखांकित करते हैं। वर्ष 2018-19 में वित्त मंत्री ने नीति आयोग को एआई पर राष्ट्रीय कार्यक्रम स्थापित करने का अधिकार दिया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य था कि उभरती प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान एवं विकास का मार्गदर्शन किया जाए। नीति आयोग ने राष्ट्रीय एआई रणनीति जारी की है। देश में एआई विकास के लिए सरकार के दृष्टिकोण को रेखांकित किया गया है।
“विज़न 2047” को साकार करने के लिए सरकार को एआई पर अपना जोर जारी रखना होगा। एशिया प्रशांत क्षेत्र में जनरेटिव एआई अपनाने में भारत सबसे आगे है। अब 93 प्रतिशत छात्र और 83 प्रतिशत कर्मचारी सक्रिय रूप से तकनीक से जुड़े हुए हैं।
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत सरकार ने देश के एआई बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए इंडियाएआई मिशन को 551.75 करोड़ रुपये आवंटित किए। इस आवंटन में वृद्धि की उम्मीद है क्योंकि भारत खुद को वैश्विक मानचित्र पर एक उच्च तकनीक गंतव्य के रूप में रणनीतिक रूप से स्थापित करना चाहता है। जबकि सभी उद्योगों को एआई के इस्तेमाल से लाभ होगा, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में प्रगति से महत्वपूर्ण सामाजिक प्रभाव पड़ेगा।
स्वास्थ्य सेवा में एआई शीघ्र निदान और पहचान, टेलीमेडिसिन, लक्षित हस्तक्षेप और पुरानी बीमारी के प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में सहायता कर सकता है। इसी तरह, शिक्षा क्षेत्र को व्यक्तिगत ट्यूशन, क्षेत्रीय भाषाओं में ई-लर्निंग और एआई-संचालित परामर्श से लाभ मिलना चाहिए। सरकार को एक मजबूत अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए लाभ और प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिए जो आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा दे।
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