सीबीआई जिग्नेश शाह का पासपोर्ट वापस करे: बंबई उच्च न्यायालय
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति नाइक ने चार जून को अपने आदेश में कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी पासपोर्ट जब्त कर सकती है पर वह उसे जब्त कर कानूनी तौर पर अपने कब्जे में नहीं रख सकती।
मुंबई। नेशनल स्पाट एक्सचेंज लि. (एनएसईएल) घोटाले के मुख्य आरोपी कारोबारी जिग्नेश शाह का पासपोर्ट तीन साल से ज्यादा समय तक अपने पास रखने की सीबीआई की कार्रवाई को ‘अवैध और कानून के विपरीत’’ बताते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने जांच एजेंसी को उनका यात्रा दस्तावेज वापस करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति प्रकाश देउ नाइक ने इस मामले में 63 मून्स के संस्थापक और अध्यक्ष शाह की अर्जी को स्वीकार किया। पूर्व में इस कंपनी का नाम फाइनेंशल टेक्नॉलोजीज ऑफ इंडिया लि था। शाह ने इस बार में सीबीआई के मामलों की सुनवाई करने वाली की विशेष अदालत के 2017 के आदेश को चुनौती थी। विशेष अदालत ने पासपोर्ट लौटाये जाने के उनके अनुरोध को अस्वीकृत कर दिया था। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति नाइक ने चार जून को अपने आदेश में कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी पासपोर्ट जब्त कर सकती है पर वह उसे जब्त कर कानूनी तौर पर अपने कब्जे में नहीं रख सकती।
न्यायाधीश ने कहा कि पासपोर्ट अधिनियम की धारा 10 (3) के तहत सीबीआई को जब्त दस्तावेज पासपोर्ट अधिकारी को सौंप देना चाहिए था। न्यायालय ने कहा कि पासपोर्ट अधिकारी के पास ही पासपोर्ट अधिनियम की धारा 10 (3) के तहत विदेश की यात्रा करने के लिए जरूरी, सरकार द्वारा जारी इस दस्तावेज पर रोक लगाने की कार्रवाई शुरू करने का अधिकार है। उच्चतम न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी के पास पासपोर्ट को अपने पास रोके रखने का अधिकार नहीं है। ऐसी शक्ति सिर्फ पासपोर्ट प्राधिकरण के पास है जो कानून के तहत गठित एक निकाय है। न्यायमूर्ति नाइक ने कहा कि मौजूदा मामले में सीबीआई ने पासपोर्ट जब्त कर की कार्रवाई के इसे करीब तीन साल तक अपने पास रखा जो इसपर रोक लगाने के समान है और कानून के तहत इसकी इजाजत नहीं है।
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