कर्ज समाधान आईबीसी का मुख्य उद्देश्य, ‘वसूली’ पर भी ध्यान देना जरूरी: एसबीआई एमडी

SBI MD
ani

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के प्रबंध निदेशक जे स्वामीनाथन ने रविवार को कहा कि ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) का प्राथमिक उद्देश्य एक दबाव वाली कंपनी का समाधान करना है, लेकिन बकाया कर्ज की वसूली के प्रतिशत को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।

मुंबई। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के प्रबंध निदेशक जे स्वामीनाथन ने रविवार को कहा कि ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) का प्राथमिक उद्देश्य एक दबाव वाली कंपनी का समाधान करना है, लेकिन बकाया कर्ज की वसूली के प्रतिशत को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। स्वामीनाथन ने कहा कि वित्तीय और परिचालन लेनदारों पर दिवालिया कार्यवाही का सामना करने वाली कंपनियों का पैसा बकाया है और इसलिए दबाव वाली संपत्तियों के समाधान की दिशा में वसूली भी एक अहम पहलू होना चाहिए।

इसे भी पढ़ें: मंदिर तोड़ा जाना हिंदुओं को अपमानित करने का प्रयास : प्रवीण तोगड़िया

उन्होंने कहा, ‘‘कर्जदाताओं के मंच के तौर पर हम सभी साफतौर पर समझते हैं कि कर्ज समाधान आईबीसी जैसे कानून का बुनियादी मकसद है। लिहाजा मुझे नहीं लगता है कि उस खास बिंदु से दूर जाने का कोई मतलब है।’’ स्वामीनाथन ने भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) अहमदाबाद की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हम उस बिंदु पर बने रहेंगे, इस आलोचना के बावजूद कि या तो हमें वसूली की ओर अधिक धकेला जा रहा है या हम सिर्फ एक समाधान प्रस्ताव को लेकर सजग हैं और वसूली प्रतिशत को नजरअंदाज कर रहे हैं।’’

इसे भी पढ़ें: मंदिर तोड़ा जाना हिंदुओं को अपमानित करने का प्रयास : प्रवीण तोगड़िया

हालांकि, उन्होंने कहा कि एक समाधान पाने की कोशिश करते हुए भी बकाया की वसूली को नजरों से ओझल नहीं कर सकते हैं। स्वामीनाथन ने कहा कि यदि बात हेयरकट (बकाया कर्ज की नुकसान के साथ भरपाई) की ओर बढ़ने लगती है तो मुमकिन है कि कर्जदाता कोई फैसला ही न लें जिससे अनिर्णय की स्थिति पैदा होगी और दबाव वाली कंपनियां परिसमापन में चली जाएंगी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़