दूरसंचार विभाग की वित्तीय इकाई की जांच कराने की मांग
दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा 46,000 करोड़ रुपये की आमदनी को कम कर दिखाने के मामले में सांसद राजीव चंद्रशेखर ने दूरसंचार विभाग की वित्तीय इकाई की जांच कराने की मांग की है।
दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा 46,000 करोड़ रुपये की आमदनी को कम कर दिखाने के मामले में सांसद राजीव चंद्रशेखर ने दूरसंचार विभाग की वित्तीय इकाई की जांच कराने की मांग की है। दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा को 24 अगस्त को लिखे एक पत्र में चंद्रशेखर ने कहा, ‘‘मेरी दूरसंचार मंत्री से प्रार्थना है कि वह जांच कराएं कि क्या दूरसंचार विभाग के अधिकारियों ने 2006-10 के दौरान दूरसंचार सेवाप्रदाताओें के साथ मिलीभगत की थी। दूरसंचार विभाग द्वारा कंट्रोलर्स ऑफ कम्युनिकेशन अकाउंट्स (दूरसंचार लेखा नियंत्रक) पर ठीक से नजर क्यों नहीं रखी गई और इस अनदेखी के लिए जो कदम उठाए जा सकते हैं उनकी सिफारिश की जानी चाहिये।’’
गौरतलब है कि मार्च में संसद में रखी गई कैग की रपट में बताया गया है कि छह निजी दूरसंचार कंपनियों की वजह से सरकार को 12,488.93 करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान हुआ। इन कंपनियों ने 2006-07 से लेकर 2009-10 के बीच अपनी आय को 46,045.75 करोड़ रुपये कम आंका है। कैग ने रिपोर्ट में कहा है कि दूरसंचार लेखा नियंत्रक (सीएससीए) के रिकार्ड का परीक्षण करने से पता चलता है कि सीएससीए ने दस्तावेजी सबूत के बिना ही दूरसंचार कंपनियों को दूसरी कंपनियों को दिये गये फिक्स्ड लाइन और रोमिंग शुल्क कटौती के दावों की अनुमति दे दी। हालांकि, दूरसंचार विभाग ने इस संबंध में दस्तावेज सबूतों को पेश करने का नियम बनाया है।
सांसद ने कहा है कि कैग ने जिन मुद्दों को उठाया है उससे दूरसंचार विभाग के कामकाज को लेकर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। इससे यह संभावना लगती है कि सीएससीए के अधिकारी अपना काम करने में अक्षम हैं या फिर सीएससीए के कुछ अधिकारियों की दूरसंचार कंपनियों के साथ मिलीभगत है।
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