Essar Steel के शेयरधारक ने आर्सेलरमित्तल की बोली खारिज कर, तथ्य छुपाने का लगाया आरोप

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यह अपील एस्सार स्टील एशिया होल्डिंग्स लि. (ईएसएएचएल) द्वारा दायर की गई है। ईएसएएचएल के पास एस्सार स्टील की 72 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

नयी दिल्ली। एस्सार स्टील के एक बहुलांश शेयरधारक ने कंपनी के लिए आर्सेलरमित्तल की 42,000 करोड़ रुपये की बोली को खारिज करने की अपील की है। इस शेयरधारक ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) में अपनी अपील में आरोप लगाया है कि आर्सेलरमित्तल के प्रवर्तक लक्ष्मी निवास मित्तल ने अपने भाई द्वारा संचालित कर्ज चूक करने वाली कंपनियों के साथ अपने संबंधों को छिपाया है। शेयरधारक ने कहा है कि इस वजह से मित्तल की कंपनी दिवाला प्रक्रिया में भाग लेने की पात्र नहीं है। 

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यह अपील एस्सार स्टील एशिया होल्डिंग्स लि. (ईएसएएचएल) द्वारा दायर की गई है। ईएसएएचएल के पास एस्सार स्टील की 72 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इससे कुछ सप्ताह पहले एक दिवाला अदालत ने एस्सार स्टील के लिए आर्सेलरमित्तल की बोली को मंजूरी दे दी थी। बैंक अपने बकाया कर्ज की वसूली के लिए एस्सार स्टील की नीलामी कर रहे हैं। अपनी याचिका में ईएसएएचएल ने आरोप लगाया है कि मित्तल जीपीआई टेक्सटाइल्स, बालासोर अलॉयज और गोंटरमैन पाइपर्स के प्रवर्तक हैं। इन कंपनियों के मालिक प्रमोद और विनोद मित्तल हैं। बैंकों ने इन कंपनियों को गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत किया है। 

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दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) नियमों की वजह से मित्तल को पूर्व में उत्तम गाल्वा स्टील्स और केएसएस पेट्रॉन के बैंक कर्ज के बकाया को चुकाने के लिए 7,000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे। खबरों के मुताबिक इन कंपनियों में मित्तल की कुछ हिस्सेदारी थी और उन्होंने इनमें से एक कंपनी में अपनी हिस्सेदारी एक रुपये प्रति शेयर के मूल्य पर बेची थी। अपनी याचिका में ईएसएएचएल ने कहा है कि आर्सेलरमित्तल इंडिया और उसके प्रवर्तक लक्ष्मी निवास मित्तल ने उच्चतम न्यायालय, बैंकों तथा दिवाला अदालत को गुमराह करते हुए यह दिखाने का प्रयास किया कि उनका प्रमोद मित्तल और विनोद मित्तल तथा उनकी कंपनियों के कारोबार से कोई लेनादेना नहीं है। 

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याचिका में लक्ष्मी मित्तल और आर्सेलरमित्तल की ओर से संजय शर्मा द्वारा 17 अक्ट्रबर, 2018 को दायर हलफनामे को चुनौती दी गई है। इस हलफनामे में कहा गया है कि मित्तल और/ या आर्सेलर का उनके भाइयों तथा उनकी कंपनियों से पिछले 20 साल से कोई व्यावसायिक सहयोग का संबंध नहीं है और लक्ष्मी मित्तल या आर्सेलर की इन कंपनियों में कोई हिस्सेदारी नहीं है। ईएसएएचएल ने अपने आवेदन के साथ जो दस्तावेज दिए हैं और कहा है कि इन दस्तावेजों से पता चलता है कि 30 सितंबर, 2018 तक मित्तल एक कंपनी नवोदय कंसल्टेंट्स के सह प्रवर्तक थे जिनमें उनके भाई प्रमोद और विनोद भी प्रवर्तक हैं। वहीं नवोदय जीपीआई टेक्सटाइल्स, बालासोर अलॉयज और गोंटरमैन पाइपर्स की प्रवर्तक है। 

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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