देश के हर घर में जल्द ही खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन होगा: प्रधान
प्रधान ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में पेट्रोलियम और गैस क्षेत्र का अहम योगदान है और 2017 में यह हमारी कुल ऊर्जा जरूरतों का करीब 55 प्रतिशत था।
ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश)। सरकार ने महज 55 महीनों में एलपीजी का दायरा करीब 40 प्रतिशत बढ़ाने में सफलता हासिल की है। सरकार का लक्ष्य अब जल्द ही हर घर में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराने का है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को यह बात कही। प्रधान ने पेट्रोटेक 2019 सम्मेलन में कहा कि देश में 2014 में एलपीजी की पहुंच 55 प्रतिशत थी जो अब बढ़कर 90 प्रतिशत के करीब पहुंच गई है। उन्होंने कहा, "जल्द ही देश के सभी घर खाना बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन से जुड़ जाएंगे। ईंधन की आपूर्ति एलपीजी के साथ-साथ बायो-मास और वैकल्पिक स्त्रोतों से होगी।"
Launched OALP Bid Round III under HELP on the sidelines of @Petrotech2019.This is the third bidding round launched by GoI in a span of just over one year. Bid Round III offers 23 blocks covering area of 31000 Sq. Kms across 12 sedimentary basins of which 5 are for #CoalBedMethane pic.twitter.com/No4Yo1ylpH
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) February 10, 2019
प्रधान ने कहा कि देश में एलपीजी का दायरा बढ़ाने का श्रेय प्रधानमंत्री उज्जवला योजना (पीएमयूवाई) को जाता है, जिसने गरीबों को मुफ्त रसोई गैस की सुविधा दी। इस योजना के तहत एक मई 2016 से अब तक करीब 6.4 करोड़ गैस कनेक्शन दिए गए हैं। एक मई 2016 को उज्जवला योजना शुरू हुई थी। उन्होंने कहा, "इस योजना के अंतर्गत हम 31 मार्च 2020 से पहले आठ करोड़ परिवारों को गैस कनेक्शन देंगे।" माना जा रहा है कि एलपीजी को ग्रामीण क्षेत्रों में रसोई में इस्तेमाल वाले पारंपरिक ईंधन जैसे लकड़ी और कंडे की जगह लेनी चाहिए। ये न केवल पर्यावरण को प्रभावित कर रहे हैं बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डालते हैं।
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प्रधान ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में पेट्रोलियम और गैस क्षेत्र का अहम योगदान है और 2017 में यह हमारी कुल ऊर्जा जरूरतों का करीब 55 प्रतिशत था। भारत, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। वैश्विक तेल खपत में उसकी हिस्सेदारी 4.5 प्रतिशत है। उन्होंने कहा, "हमने हाइड्रोकार्बन नीति की रूपरेखा में आमूल-चूल परिवर्तन करने के लिए कई उपाय किए हैं ताकि देश के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।" खोज एवं उत्पादन तंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए उठाए गए कदमों पर चर्चा करते हुए पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि राजस्व साझा करने के लिए नया प्रारूप, सभी हाइड्रोकार्बनों के लिए एक ही लाइसेंस और पेट्रोलियम एवं गैस के लिए विपणन स्वतंत्रता जैसी चीजों को पेश किया गया है।
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