लगभग सभी edible oil तिलहनों के दाम में गिरावट

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इसके दाम अधिकांश जगहों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी कम हो गये हैं। यही हाल अन्य देशी तिलहनों का भी है। गिरावट के आम रुख के बीच सरसों, मूंगफली और सोयाबीन तेल तिलहन तथा कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन, बिनौला तेल कीमतों में हानि दर्ज हुई।

दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को लगभग सभी खाद्यतेल तिलहनों के दाम में गिरावट देखने को मिली। सस्ते आयातित खाद्य तेलों से बाजार के पटे होने के कारण सरसों की ताजा पैदावार बाजार में खप नहीं रही है। इसके दाम अधिकांश जगहों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी कम हो गये हैं। यही हाल अन्य देशी तिलहनों का भी है। गिरावट के आम रुख के बीच सरसों, मूंगफली और सोयाबीन तेल तिलहन तथा कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन, बिनौला तेल कीमतों में हानि दर्ज हुई। बाजार सूत्रों ने कहा कि कल रात शिकागो एक्सचेंज 1.5 प्रतिशत कमजोर बंद हुआ था।

उन्होंने कहा कि चौतरफा गिरावट का कारण अमेरिका में पिछले साल निर्यात कम होने की वजह से सोयाबीन के स्टॉक का बढ़ना है। इसके अलावा ब्राजील में भी इस बार सोयाबीन की बंपर फसल है। आयातित तेल बंदरगाहों पर जमा किया जा रहा है ताकि पर्ची जमा कराने के बाद इस पर यदि आयात शुल्क बढ़ाया भी जाता है तो उनके स्टॉक पर शुल्क न लगे। इस सस्ते आयातित तेलों की भरमार को लेकर देशी तिलहन विशेषकर सरसों किसान तबाह हैं, क्योंकि सस्ते आयातित तेलों का मुकाबला उनकी उच्च लागत वाली सरसों नहीं कर पा रही है।

तेल उद्योग परेशान है क्योंकि पेराई करने में उन्हें नुकसान है और पेराई करने के बाद उनके तेल के लिवाल काफी कम हैं। उपभोक्ता इसलिए परेशान हैं कि उन्हें आयातित खाद्यतेलों के सस्तेपन का लाभ नहीं मिल रहा है। खुदरा बिक्री करने वाली कंपनियां अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की आड़ लेकर ग्राहकों से अधिक पैसा ही वसूल रही हैं। आयातित खाद्यतेलों में सूरजमुखी तेल का दाम लगभग आठ माह पूर्व के मुकाबले आधे से भी कम रह गया है यानी आठ महीने पहले जिस सूरजमुखी तेल का दाम लगभग 200 रुपये लीटर था उसका थोक भाव घटकर अब 89 रुपये प्रति लीटर रह गया है।

सूत्रों ने कहा कि सस्ते आयातित खाद्य तेलों की भरमार की वजह से घरेलू तिलहन किसानों और तेल उद्योग को बचाने के लिए आयातित खाद्य तेलों पर अधिक से अधिक आयात शुल्क लगाने की जरुरत है और सरकार को तत्काल इस बारे में कार्रवाई करने के बारे में सोचना चाहिये। सूत्रों ने कहा कि नाफेड के द्वारा सरसों खरीद करने की पहल से कोई फायदा नहीं है क्योंकि सिर्फ इससे स्टॉक जमा रहेगा और अगली बिजाई के समय सट्टेबाजी ही बढ़ेगी।

इसके बजाय अगर दो संयंत्र रखने वाले हाफेड के द्वारा खरीद कराई जाये तो कुछ फायदा भी है, जिससे हमें पशुआहर भी मिलेगा। शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: सरसों तिलहन - 5,300-5,350 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली - 6,775-6,835 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 16,600 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली रिफाइंड तेल 2,545-2,810 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 10,980 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 1,750-1,780 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,710-1,835 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,550 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,300 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,700 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,850 रुपये प्रति क्विंटल। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,800 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,400 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 9,450 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना - 5,240-5,370 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज- 4,980-5,000 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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