वित्त मंत्री सीतारमण: अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत और लचीली

निर्मला सीतारमण
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Ankit Jaiswal । Oct 3 2025 10:40PM

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत और लचीला बताया है, जिसका आधार घरेलू खपत, निवेश और बुनियादी ढांचा हैं। सरकार 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य के साथ 8% जीडीपी वृद्धि दर बनाए रखने को प्रतिबद्ध है, जबकि अमेरिकी टैरिफ से संभावित गिरावट के लिए निवेश वृद्धि और निर्यात सहायता जैसे उपाय किए जा रहे हैं। भारत वैश्विक आर्थिक नेतृत्व की दिशा में भी सक्रिय भूमिका निभा रहा है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि अमेरिका द्वारा आयात पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और बाहरी झटकों का सामना करने में सक्षम है। उनके अनुसार घरेलू खपत, निवेश और बुनियादी ढांचा ही भारत की मजबूती का आधार हैं, जो वैश्विक अस्थिरताओं से सुरक्षा प्रदान करते हैं।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार का लक्ष्य सालाना 8 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि बनाए रखना है, जिसे 2047 तक विकसित भारत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही, जिसमें निजी खपत और विनिर्माण क्षेत्र की बड़ी भूमिका रही।

सरकार ने यह स्वीकार किया है कि अमेरिकी टैरिफ के कारण इस वित्त वर्ष की वृद्धि में लगभग 40 बेसिस प्वाइंट की गिरावट आ सकती है। इस चुनौती से निपटने के लिए निवेश को जीडीपी के 31 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत करने की योजना बनाई जा रही है।

सीतारमण ने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव, प्रतिबंध और सप्लाई चेन में बदलाव जैसी परिस्थितियाँ भारत के सामने चुनौतियाँ खड़ी कर रही हैं, लेकिन भारत की रणनीति केवल बचाव तक सीमित नहीं है। देश वैश्विक आर्थिक नेतृत्व की दिशा में भी सक्रिय भूमिका निभा रहा है। उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत का विकास मार्ग अलगाव में नहीं बल्कि वैश्विक बाजारों के साथ संतुलित जुड़ाव और आत्मनिर्भरता पर आधारित होगा।

सरकार ने संकेत दिया है कि टेक्सटाइल, आभूषण और चमड़े जैसे प्रभावित निर्यात क्षेत्रों को टैरिफ के असर से राहत देने के लिए सहायता पैकेज तैयार किया जा रहा है। इस दिशा में सभी संबंधित मंत्रालय मिलकर काम कर रहे हैं।

वित्त मंत्री ने बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि भारत अब केवल पर्यवेक्षक की भूमिका में नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक आर्थिक दिशा तय करने में सक्रिय भागीदार बनेगा। उनका विश्वास है कि मौजूदा अनिश्चितताओं और अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारत उच्च वृद्धि दर बनाए रखने में सक्षम है और आने वाले समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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