वित्तीय आवंटन को क्षेत्रफल के बजाय आबादी के घनत्व को मानक बनाया जाए: मोदी

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[email protected] । Oct 5 2018 9:52AM

बिहार के उपमुख्यमंत्री और वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि 15वें वित्त आयोग के प्रदेश के दौरे में उसे राज्य सरकार की ओर से सुझाव दिया गया कि वित्तीय आवंटन के मामले में क्षेत्रफल के स्थान पर आबादी के घनत्व को मानक बनाया जाए।

पटना। बिहार के उपमुख्यमंत्री और वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि 15वें वित्त आयोग के प्रदेश के दौरे में उसे राज्य सरकार की ओर से सुझाव दिया गया कि वित्तीय आवंटन के मामले में क्षेत्रफल के स्थान पर आबादी के घनत्व को मानक बनाया जाए। उन्होंने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि 14 वें वित्त आयोग तक 1971 की जनसंख्या के आधार पर ही सिफारिश की जाती रही है।

मोदी ने कहा कि दक्षिण एवं पश्चिम के राज्यों के दबाव में 1971 की जनसंख्या को आधार बनाया जाता रहा है। उनका तर्क था कि उन्होंने जनसंख्या को नियंत्रित किया इसलिए उन्हें उसका प्रतिफल मिलना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि केरल, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल मुख्य रूप से इसका मुखर विरोध करते रहे हैं। मोदी ने कहा कि नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने 1971 के स्थान पर 2011 की जनगणना को आधार बनाने की अनुशंसा की है। इसका सर्वाधिक लाभ बिहार जैसे अधिक आबादी वाले राज्य को मिलेगा।

उन्होंने आरोप लगाया कि 11वें वित्त आयोग के समय से लगातार बिहार की हिस्सेदारी में हृास हुआ। सुशील ने आरोप लगाया कि 11वें वित्त आयोग के समय बिहार की हिस्सेदारी जहां 11.589 प्रतिशत थी वह 12वें वित्त आयोग के कार्यकाल के दौरान 11.028 प्रतिशत, 13वें वित्त आयोग के समय 10.917 प्रतिशत तथा 14वें वित्त आयोग के समय घटकर 9.665 प्रतिशत रह गयी।

उन्होंने आरोप लगाया कि 13वें से 14वें वित्त आयोग के कार्यकाल के दौरान जहां गुजरात, हरियाण, महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक जैसे विकसीत राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ गयी वहीं बिहार, असम, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उड़ीसा की हिस्सेदारी घट गई। उन्होंने कहा कि यद्यपि 13वें वित्त आयोग के समय में बिहार को जहां केन्द्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में 1,72,944 करोड़ रुपये मिले वहीं 14वें वित्त आयोग के समय 4,09,489 करोड़ मिला यानी 136 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

उन्होंने कहा कि वहीं पंजाब (177.8 प्रतिशत) महाराष्ट्र (181.3 प्रतिशत), केरल (191.0 प्रतिशत), कर्नाटक (164.3 प्रतिशत), गुजरात (164.3 प्रतिशत) को 13वें वित्त आयोग की तुलना में औसत 186.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार द्वारा 15वें वित्त आयोग को सुझाव दिया गया कि क्षेत्रफल के स्थान पर आबादी के घनत्व को मानक बनाया जाए। मोदी ने कहा कि देश में बिहार का सर्वाधिक आबादी का धनत्व प्रति वर्ग कि.मी. (1106) है जबकि राष्ट्रीय औसत 382 है।

उन्होंने कहा कि वहीं केरल (860), तमिलनाडु (555), महाराष्ट्र (365), कर्नाटक (319) आन्ध्र(308) है। मोदी ने कहा कि आबादी के दबाब के कारण बिहार को आधारभूत संरचना हेतु भूमि अधिग्रहण में काफी राशि खर्च करनी पड़ती है।

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