FSSAI ने दूध, दुग्ध उत्पादों के ‘ए1’, ‘ए2’ प्रकारों के दावों को हटाने संबंधी सलाह वापस ली

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एफएसएसएआई ने अपने उस हालिया परामर्श को वापस ले लिया, जिसमें खाद्य व्यवसायों को पैकेजिंग से ‘ए1’ और ‘ए2’ प्रकार के दूध और दुग्ध उत्पादों के दावों को हटाने का निर्देश दिया गया था। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने कहा कि अंशधारकों के साथ आगे के परामर्श के लिए सलाह वापस ले ली गई है।

नयी दिल्ली । खाद्य सुरक्षा नियामक एफएसएसएआई ने अपने उस हालिया परामर्श को वापस ले लिया, जिसमें खाद्य व्यवसायों को पैकेजिंग से ‘ए1’ और ‘ए2’ प्रकार के दूध और दुग्ध उत्पादों के दावों को हटाने का निर्देश दिया गया था। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने कहा कि अंशधारकों के साथ आगे के परामर्श के लिए सलाह वापस ले ली गई है। इसका मतलब यह होगा कि खाद्य व्यवसाय संचालक (एफबीओ) ‘ए-1’ और ‘ए-2’ प्रकार के दूध के दावों के साथ अपने उत्पादों को बेचना और विपणन करना जारी रख सकते हैं। 

‘ए-1’ और ‘ए-2’ दूध में बीटा-कैसिइन प्रोटीन की संरचना अलग-अलग होती है, जो गाय की नस्ल के आधार पर भिन्न होती है। सोमवार को जारी एक नए परामर्श में, नियामक ने कहा, ‘‘21 अगस्त, 2024 की सलाह... अंशधारकों के साथ आगे के परामर्श और जुड़ाव के लिए वापस ली जाती है। एफएसएसएआई ने 21 अगस्त की अपनी सलाह में एफबीओ को अपने उत्पादों से ‘ए-1’ और ‘ए-2’ के दावों को हटाने के लिए कहा था। ई-कॉमर्स मंचों को भी इन दावों को उत्पादों और वेबसाइट से तुरंत हटाने के लिए कहा गया था। 

नियामक ने कहा था कि ‘ए-1’ और ‘ए-2’ प्रकार के दूध और दुग्ध उत्पादों के दावे खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के अनुरूप नहीं हैं। जांच के बाद, एफएसएसएआई ने पाया था कि ‘ए-1’ और ‘ए-2’ का अंतर दूध में बीटा-कैसिइन प्रोटीन की संरचना से जुड़ा हुआ है। हालांकि, वर्तमान एफएसएसएआई नियम इस अंतर को मान्यता नहीं देते हैं। 21 अगस्त की सलाह में, एफबीओ को छह महीने के भीतर पूर्व-मुद्रित लेबल समाप्त करने के लिए भी कहा गया था, और आगे कोई समय-विस्तार नहीं देने की बात कही गई थी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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