देश के लिए आई गुड न्यूज, कम हुई गरीबी, आई समृद्धि, NSSO के सर्वेक्षण में हुआ बड़ा खुलासा

market
ANI
अंकित सिंह । Feb 26 2024 12:19PM

नई दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए सुब्रमण्यम ने कहा, लंबे समय से प्रतीक्षित सर्वेक्षण से कई बातें सामने आई हैं और घरेलू खपत के आंकड़ों से देश में गरीबी की स्थिति का आकलन किया जा सकता है और गरीबी उन्मूलन उपायों की सफलता का पता चल सकता है।

एनएसएसओ डेटा का हवाला देते हुए नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने दावा किया कि गरीबी 5% से नीचे आ गई है। सर्वेक्षण से यह भी पता चला कि निचले 0-5 प्रतिशत वर्ग का औसत प्रति व्यक्ति मासिक व्यय ग्रामीण क्षेत्रों में 1,373 रुपये और शहरी क्षेत्रों में 2,001 रुपये आंका गया है। नई दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए सुब्रमण्यम ने कहा, लंबे समय से प्रतीक्षित सर्वेक्षण से कई बातें सामने आई हैं और घरेलू खपत के आंकड़ों से देश में गरीबी की स्थिति का आकलन किया जा सकता है और गरीबी उन्मूलन उपायों की सफलता का पता चल सकता है। 

इसे भी पढ़ें: 'महादेव के आशीष के साथ 10 वर्षों में काशी में चहुंओर विकास का डमरू बजा है', BHU छात्रों से बोले PM Modi

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) द्वारा शनिवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, प्रति व्यक्ति मासिक घरेलू खर्च 2011-12 की तुलना में 2022-23 में दोगुना से अधिक हो गया है, जो देश में समृद्धि के बढ़ते स्तर को दर्शाता है। सुब्रमण्यम ने मीडिया से कहा, "उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण सरकार द्वारा उठाए गए गरीबी उन्मूलन उपायों की सफलता को भी दर्शाता है।" सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय ने शनिवार को घरेलू उपभोग व्यय 2022-23 पर डेटा जारी किया, जो दर्शाता है कि 2011-12 की तुलना में 2022-23 में प्रति व्यक्ति मासिक घरेलू व्यय दोगुना से अधिक हो गया है।

NSSO सर्वेक्षण को कैसे वर्गीकृत किया जाता है?

एनएसएसओ सर्वेक्षण के नतीजे 1.55 लाख ग्रामीण परिवारों और 1.07 लाख शहरी परिवारों से एकत्र किए गए आंकड़ों पर आधारित हैं। सर्वेक्षण में जनसंख्या को 20 अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया और डेटा से पता चला कि सभी श्रेणियों के लिए औसत प्रति व्यक्ति मासिक व्यय ग्रामीण क्षेत्रों में 3,773 रुपये और शहरी क्षेत्रों में 6,459 रुपये है। निचले 0-5 प्रतिशत वर्ग का औसत प्रति व्यक्ति मासिक व्यय ग्रामीण क्षेत्रों में 1,373 रुपये और शहरी क्षेत्रों में 2,001 रुपये आंका गया है।

इसे भी पढ़ें: 'भारत की विकास यात्रा में ये एक अद्भुत कालखंड', PM Modi बोले- देव काज और देश काज तेजी से हो रहा है

गरीबी रेखा एवं उपभोक्ता मूल्य सूचकांक

नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि यदि हम गरीबी रेखा लेते हैं और इसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के साथ आज की दर तक बढ़ाते हैं, तो हम देखते हैं कि सबसे निचले 0-5 प्रतिशत वर्ग की औसत खपत लगभग समान है। इसका मतलब यह है कि देश में गरीबी केवल 0-5 प्रतिशत समूह में है। उन्होंन कहा कि ये मेरा आकलन है। लेकिन अर्थशास्त्री इसका विश्लेषण करेंगे और बिल्कुल सही आंकड़े सामने लाएंगे। सुब्रमण्यम ने दावा किया कि आंकड़ों से पता चलता है कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में खपत लगभग 2.5 गुना बढ़ गई है।

All the updates here:

अन्य न्यूज़