सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों को न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता से छूट दी

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यह छूट उन इकाइयों पर लागू होगी, जिसमें सरकार की प्रत्यक्ष या परोक्ष हिस्सेदारी होगी। राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना के अनुसार, न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता नियम से छूट निर्धारित अवधि के लिये मान्य होगी।

सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों को न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) से छूट दी है। इस व्यवस्था के तहत सभी सूचीबद्ध इकाइयों के लिये जरूरी है कि कम-से-कम 25 प्रतिशत हिस्सेदारी गैर-प्रवर्तकों के पास यानी सार्वजनिक हो। यह छूट उन इकाइयों पर लागू होगी, जिसमें सरकार की प्रत्यक्ष या परोक्ष हिस्सेदारी होगी। राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना के अनुसार, न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता नियम से छूट निर्धारित अवधि के लिये मान्य होगी। छूट के बाद भले ही स्वामित्व या नियंत्रण में बदलाव हो, नियम लागू होंगे।

अधिसूचना के तहत एमपीएस नियमों से सार्वजनिक उपक्रमों को छूट दी गयी है। इसमें वैसी सभी सूचीबद्ध इकाइयां शामिल होंगी, जिसमें केंद्र सरकार या राज्य सरकार अथवा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी का या तो व्यक्तिगत रूप से या किसी अन्य के साथ मिलकर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बहुलांश हिस्सेदारी या मतदान अधिकार अथवा नियंत्रण है। सरकार ने प्रतिभूति अनुबंध (नियमन) संशोधन नियम, 2022 को दो जनवरी को अधिसूचित किया था।

इस अधिसूचना के साथ, एलआईसी और सरकार की तरफ से आंशिक हिस्सेदारी बिक्री के बावजूद आईडीबीआई बैंक को एमपीएस से छूट मिलेगी। सरकार ने पिछले महीने बैंक के लिये शुरुआती बोली जमा करने की समयसीमा बढ़ाकर सात जनवरी कर दी थी। सरकार और एलआईसी (भारतीय जीवन बीमा निगम) दोनों आईडीबीआई बैंक में 60.72 प्रतिशत हिस्सेदसारी बेचने पर विचार कर रहे हैं। इसके लिये प्रारंभिक बोली या रुचि पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 16 दिसंबर थी। सरकार और एलआई की आईडीबीआई बैंक में 94.71 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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