यूजर्स के डेटा को सुरक्षित रखने के लिए अब सरकार करने जा रही इसकी तैयारी
COVID-19 महामारी के प्रकोप के बाद, वर्क फॉर्म होम कल्चर अब भारी मात्रा में शुरू हो गया है। ऑनलाइन क्लासेस से लेकर व्यवसायों और कार्यालयों तक और यहां तक की सोशल मीडिया सबकुछ ऑनलाइन हो गए है। जिसके कारण साइबर हमले, डेटा चोरी के मामलों की संख्या काफी बढ़ गई है।
सरकार मोबाइल एप्लिकेशन को अपने कामकाज के सेक्टर से परे यूजर्स को जानकारी एकत्र करने से रोक रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी इंटरनेट दिग्गज फेसबुक, व्हाट्सएप और चीनी ऐप्स के पास यूजर्स के डेटा हैंडलिंग के कारण उपयोगकर्ता की गोपनीयता भी साझा हो रही है। TOI के सूत्रों ने बताया कि केंद्र ने ऐसी नीति पर काम शुरू कर दिया है जो मोबाइल और इंटरनेट ऐप को ऐसी जानकारी एकत्र करने से रोकेगी जो उनके कामकाज के लिए "आवश्यक नहीं" है।
इसे भी पढ़ें: विदेशों में पैसा भेजने पर अब देना होगा 5 फीसदी टैक्स, जानें क्या हैं नए नियम?
सूत्रों ने कहा कि सरकार "मोबाइल फोन पर ऐप्स को प्री-बर्निंग / प्रीलोड करने की नीति" बनाने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक ऐसे कई मोबइल ऐप्स है जोकि उपयोगकर्ता की सहमति के बिना ही मोबाइल में स्थापित किए जा रहे है। वास्तव में, डेटा की उपयोगकर्ता सहमति का महत्व कुछ ऐसा है जो सरकार के विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से प्रतिध्वनित हो रहा है, जिसमें डेटा संरक्षण बिल शामिल है, जो वर्तमान में संसद में पेश किया गया है। पुश ईमेल की तरह, सरकार उन क्षेत्रों पर भी काम कर रही है, जो हैंडसेट निर्माताओं द्वारा विज्ञापित किए जा रहे हैं। लाखों यूजर्स के डेटा संरक्षण के आसपास की चिंताओं को देखते हुए सरकार ऐसा कर रही हैं।
डेटा संग्रह को नियंत्रित करने की आवश्यकता क्यों?
सरकार को लगता है कि COVID-19 महामारी के प्रकोप के बाद, वर्क फॉर्म होम कल्चर अब भारी मात्रा में शुरू हो गया है। ऑनलाइन क्लासेस से लेकर व्यवसायों और कार्यालयों तक और यहां तक की सोशल मीडिया सबकुछ ऑनलाइन हो गए है। जिसके कारण साइबर हमले, डेटा चोरी के मामलों की संख्या काफी बढ़ गई है। बता दें कि अनधिकृत डेटा संग्रह को पहले भी सरकार द्वारा हरी झंडी दिखाई गई है।
अन्य न्यूज़