भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल ने सरकार को क्या दी सलाह?

Sunil Mittal

भारतीय एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारत मित्तल ने कहा कि सरकार को उद्योगों के साथ विवादों में ज्यादा नहीं उलझना चाहिये।वोडाफोन आइडिया का नाम लिये बिना मित्तल ने मौजूदा परिस्थितियों में उसके बने रहने को लेकर शंका जाहिर की है।उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को उद्योगों के साथ ज्यादा विवाद नहीं करने चाहिये।

नयी दिल्ली। दूरसंचार क्षेत्र की प्रमुख कंपनी भारतीय एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारत मित्तल ने सोमवार को कहा कि सरकार को उद्योग जगत के साथ ज्यादा विवादों में नहीं उलझना चाहिये। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय का समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) संबंधी मुद्दे पर फैसला सरकारी याचिका के परिणाम स्वरूप ही आया है। इस फैसले की वजह से दूरसंचार उद्योग से काफी पैसा निकल गया।यह धन ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार नेटवर्क खड़ा करने और 5जी प्रौद्योगिकी की शुरुआत करने में खर्च होता। मित्तल एक पुस्तक विमोचन समारोह में बोल रहे थे।‘सम साइजिज फिट आल’ नामक यह पुस्तक भारती एंटरप्राइजिज के वाइस चेयरमैन अखिल गुप्ता ने लिखी है। वोडाफोन आइडिया का नाम लिये बिना मित्तल ने मौजूदा परिस्थितियों में उसके बने रहने को लेकर शंका जाहिर की है।उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को उद्योगों के साथ ज्यादा विवाद नहीं करने चाहिये।मेरा मानना है कि जब किसी खास मामले में किसी एक स्तर पर वह हार जाते हैं तो जरूरी नहीं है कि उस मामले को उसके अंतिम बिंदु तक पहुंचाना ही है।ऐसा होने पर ये विवाद हमेशा के लिये चलते रहते हैं।’’

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एजीआर का मामला सरकार दूरसंचार क्षेत्र के न्यायाधिकरण टीडीसैट के सतर पर हार गई थी लेकिन सरकार ने टीडीसैट के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे दी और वहां जीत गई। उच्चतम न्यायालय के फैसले से दूरसंचार कंपनियों पर 1.47 लाख करोड़ रुपये की देनदारी बन गई। मित्तल ने कहा, ‘‘मेरे मताबिक सरकार को कुछ विवादों से निपटते समय कुछ ज्यादा साहस दिखाना चाहिये।यदि आप ... ‘विवाद से विश्वास’ योजना को देखेंगे तो यह उस दिशा में काफी अच्छा कदम है। इसी तरह की स्थिति दूरसंचार, बिजली, सड़क क्षेत्र में होनी चाहिये। हमारे समक्ष कई तरह के मुद्दे हैं। दूरसंचार ऐसा एक क्षेत्र बन गया है जहां कंपनियां एंटीना के साथ कानूनी फर्म ज्यादा बन गई हैं।’’ उनहोंने कहा कि जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तब भी उद्योग की चिंताओं को दूर करने के लिये समझौता किया गया था। तब अरुण शौरी दूरसंचार मंत्री थे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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