स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में पनबिजली परियोजनाएं महत्वपूर्ण:आरके सिंह

RK Singh
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आरके सिंह ने कहा कि टिहरी बांध से संबंधित पुनर्वास के सभी लंबित मामलों का समाधान किया गया है। उन्होंने टिहरी हाइड्रो बांध की क्षमता के पूरे उपयोग के लिए सहमति देने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया।

नई टिहरी/ देहरादून| स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में जलविद्युत परियोजनाओं की भूमिका को अहम करार देते हुए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि इन परियोजनाओं को बनाने में आने वाली कठिनाइयों का समाधान यदि संवेदनशीलता से किया जाए तो ये बहुत फायदेमंद होती हैं।

टिहरी में टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (टीएचडीसी) द्वारा आयोजित जर्नी ऑफ टिहरी डैम कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पर्यावरण को स्वच्छ बनाने की मुहिम में ‘ऊर्जा के स्वच्छ स्रोतों’ पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और ऐसे में ऊर्जा के क्षेत्र में पनबिजली का महत्व बहुत बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों के पास जलविद्युत उत्पादन की क्षमता है, उन राज्यों की आर्थिकी को बढ़ाने में इसकी अहम भूमिका रही है।

इस क्षेत्र में उत्तराखंड में जबरदस्त संभावनाओं का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि जलविद्युत परियोजनाएं बनाने में कठिनाई तो है, लेकिन यदि उनका समाधान संवेदनशीलता से किया जाए तो ये परियोजनाएं फायदेमंद होती हैं। उन्होंने कहा कि टिहरी जलविद्युत परियोजना में हिस्से के लिए उत्तराखंड सरकार की मांग पर न्यायोचित कार्यवाही की जाएगी।

उन्होंने कहा कि टिहरी बांध से संबंधित पुनर्वास के सभी लंबित मामलों का समाधान किया गया है। उन्होंने टिहरी हाइड्रो बांध की क्षमता के पूरे उपयोग के लिए सहमति देने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया।

धामी ने कहा कि अतीत की ओर देखें तो जल विद्युत की अपार संभावनाओं वाले इस राज्य में वर्ष 1906-07 से ही लघु जलविद्युत परियोजनाओं की स्थापना होने लगी थी। उन्होंने कहा कि 1914 में ससूरी के भट्टाफॉल में स्थापित देश की दूसरी और उत्तर भारत के पहली गलोगी जल विद्युत परियोजना का पुन: कायाकल्प किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि समय के साथ-साथ ग्लोगी जल विद्युत परियोजना से लेकर पंचेश्वर बांध परियोजना तक प्रदेश में बनी लगभग 21 जल विद्युत परियोजनाओं में से कई परियोजनायें क्रियाशील हैं जबकि कुछेक अन्य निर्माणाधीन हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2400 मेगावाट क्षमता की जलविद्युत परियोजना के इस सफर में टीएचडीसी का पदार्पण केन्द्र सरकार के माध्यम से 1989 में हुआ तथा 1990 में इसे विस्थापित लोगों के पुनर्वास की भी जिम्मेदारी सौंपी गई।

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा गत वर्ष टिहरी परियोजना के जलाशय का जलस्तर 830 मीटर भरने की अनुमति दी गयी जिससे 3000 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन में 20 मिलियन यूनिट की और बढोत्तरी हो गयी। उनका कहना था कि इस अतिरिक्त विद्युत उत्पादन से आय में 770 करोड़ रु प्रतिवर्ष की बढ़ोत्तरी हो पा रही है।

उन्होंने कहा कि टिहरी बांध के अतिरिक्त टीएचडीसी कोटेश्वर जलविद्युत परियोजनाओं सहित सौर, पवन ऊर्जा स्रोतों से विद्युत उत्पादन कर रहा है तथा सौर ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भागीदारी निभा रहा है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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