एनपीए में कमी आने के साथ ही बैंकिंग की हालत सुधार की दिशा में: आरबीआई
दास ने कहा, ‘‘लंबे समय तक दबाव में रहने के बाद अब ऐसा लगता है कि बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति सुधार के रास्ते पर है। बैंकों पर अवरुद्ध कर्जों का बोझ कम हो रहा है।’
मुंबई। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि बैंकों के फंसे कर्जों (एनपीए) में अब कमी आ रही तथा उनकी हालत सुधर रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संचालन व्यवस्था में सुधार की जरूरत है। रिजर्व बैंक की अर्धवार्षिक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में दास ने कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में जो कमजोर बैंक हैं उन्हें नई पूंजी उपलब्ध कराकर समर्थन देने की आवश्यकता है।
#BREAKING | RBI Governor @DasShaktikanta: Global economic prospects have noticeably softened. Risk of a recession in major economies appears modest at this point of time. @nehabothra_7 @RBI pic.twitter.com/0eVhBH8zw3
— ET NOW (@ETNOWlive) December 31, 2018
दास ने कहा, ‘‘लंबे समय तक दबाव में रहने के बाद अब ऐसा लगता है कि बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति सुधार के रास्ते पर है। बैंकों पर अवरुद्ध कर्जों का बोझ कम हो रहा है।’’ दास ने इसी महीने की शुरूआत में रिजर्व बैंक के गवर्नर का पद संभाला है। पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के अचानक अपने पद से इस्तीफा देने के बाद इस पद पर उनकी नियुक्ति की गई। उन्होंने कहा की सितंबर तक की अवधि में सकल एनपीए अनुपात में कमी आई है। पिछले तीन साल के दौरान यह इसमें पहली गिरावट है। उन्होंने बैंकों एनपीए संबंधी पूंजी प्रावधान कवरेज अनुपात (पीसीआर) में सुधार को भी रेखांकित किया। उन्होंने इसे बढ़ते दबाव के समक्ष बैंकों के मजबूती से खड़े होने की क्षमता के तौर पर सकारात्मक संकेत बताया।
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वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों का सकल एनपीए अनुपात सितंबर 2018 में घटकर 10.8 प्रतिशत रह गया जो कि मार्च 2018 में 11.5 प्रतिशत पर पहुंच गया था।सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए मार्च 2018 में जहां 15.2 प्रतिशत के करीब पहुंच गया था सितंबर 2018 में यह घटकर 14.8 प्रतिशत रह गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा आधार परिदृश्य को देखते हुये सभी बैंकों का सकल एनपीए मार्च 2019 तक कम होकर 10.3 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है जो कि सितंबर 2018 में यह 10.8 प्रतिशत रह गया।
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