सोयाबीन से बढ़ीं किसानों की उम्मीदें, रकबे में 10 फीसदी का इजाफा

Increase of Soybean farmers Benefits
[email protected] । Jul 25 2018 6:17PM

उपज का बढ़िया दाम मिलने की चाहत में देश के किसान इस बार सोयाबीन की बुवाई को काफी तरजीह दे रहे हैं। नतीजतन मौजूदा खरीफ सत्र की जारी बुवाई के दौरान इस तिलहन फसल का रकबा पिछले साल के मुकाबले 10 फीसदी बढ़कर लगभग 94 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।

इंदौर। उपज का बढ़िया दाम मिलने की चाहत में देश के किसान इस बार सोयाबीन की बुवाई को काफी तरजीह दे रहे हैं। नतीजतन मौजूदा खरीफ सत्र की जारी बुवाई के दौरान इस तिलहन फसल का रकबा पिछले साल के मुकाबले 10 फीसदी बढ़कर लगभग 94 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के 20 जुलाई तक के आंकड़ों के मुताबिक देश में 93.87 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई की गयी है, जबकि पिछले खरीफ सत्र की समान अवधि में इस तिलहन फसल का रकबा 84.64 लाख हेक्टेयर था।

"पीले सोने" के रूप में मशहूर सोयाबीन का रकबा मध्यप्रदेश में 44.41 लाख हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 32.13 लाख हेक्टेयर और राजस्थान में 9.45 लाख हेक्टेयर है। इंदौर के भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (आईआईएसआर) के निदेशक वीएस भाटिया ने आज "पीटीआई-भाषा" से कहा कि देश में सोयाबीन की करीब 90% बुवाई पूरी हो चुकी है। फसल की स्थिति फिलहाल ठीक है। उन्होंने कहा कि सोयाबीन के न्यूनतम समर्थन मूल्य में इजाफे से इस तिलहन फसल की ओर किसानों के रूझान में वृद्धि हुई है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2018-19 के खरीफ विपणन सत्र के लिये सोयाबीन के न्यूनतम समर्थन मूल्य को करीब 11.5% बढ़ाकर 3,399 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है।

जानकारों ने बताया कि घरेलू प्रसंस्करणकर्ता सोयाबीन पेराई तेज करने की तैयारी कर रहे हैं, क्योंकि देश से सोया खली (प्रसंस्करण इकाइयों में सोयाबीन का तेल निकाल लेने के बाद बचने वाला प्रोटीनयुक्त उत्पाद) के निर्यात अवसरों में इजाफा हुआ है। लिहाजा अनुमान है कि प्रसंस्करणकर्ता अपने संयंत्रों को पूरी क्षमता से चलाने के लिये सोयाबीन की नयी फसल की खरीदी बढ़ा सकते हैं। इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के मुताबिक यूरोप से मांग बढ़ने के कारण जून में भारत से सोया खली और इससे बने उत्पादों का निर्यात करीब 22.5 प्रतिशत की बढ़त के साथ 1.36 लाख टन पर पहुंच गया। उल्लेखनीय है कि सोया खली से सोया आटा और सोया बड़ी जैसे खाद्य उत्पादों के साथ पशु आहार तथा मुर्गियों का दाना भी तैयार किया जाता है।

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