सरसों, सोयाबीन तेल तिलहन, सीपीओ, पामोलीन तेल की कीमतों में सुधार

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बाजार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सरकार ने खाद्यतेल प्रसंस्करणकर्ताओं (जो ग्राहकों को आपूर्ति करने के लिए आयात करते हैं) को अगले दो साल तक सालाना 20-20 लाख टन सोयाबीन और सूरजमुखी तेल का शुल्क-मुक्त आयात करने की छूट दी है।

एक निश्चित मात्रा (सालाना 20-20 लाख टन सूरजमुखी और सोयाबीन तेल) में शुल्क-मुक्त आयात की छूट के बाद बाकी आयात प्रभावित होने से उत्पन्न आपूर्ति कम होने के कारण दिल्ली तेल- तिलहन बाजार में शनिवार को सरसों, सोयाबीन तेल तिलहन तथा कच्चे पामतेल (सीपीओ), पामोलीन के साथ-साथ सरसों तेल की कीमतों में सुधार देखने को मिला। वहीं मूंगफली तेल-तिलहन और बिनौला तेल के भाव पूर्व-स्तर पर बने रहे।

बाजार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सरकार ने खाद्यतेल प्रसंस्करणकर्ताओं (जो ग्राहकों को आपूर्ति करने के लिए आयात करते हैं) को अगले दो साल तक सालाना 20-20 लाख टन सोयाबीन और सूरजमुखी तेल का शुल्क-मुक्त आयात करने की छूट दी है। इसके बाद होने वाले आयात पर आयातकों को सात रुपये प्रति किलो के हिसाब से शुल्क अदा करना होगा। लेकिन कोटा वाले सस्ते आयातित तेल के मुकाबले बाकी आयातित तेलों के महंगा और गैर-प्रतिस्पर्धी होने के कारण आयातक नये सौदे नहीं खरीद रहे हैं।

इसकी वजह से खाद्य तेलों में कम आपूर्ति (शॉर्ट सप्लाई) की स्थिति पैदा हो गई है और लगभग सभी खाद्य तेल सस्ता होने के बजाय महंगे हो गये हैं। सूत्रों ने कहा कि सरकार को देश में तिलहन उत्पादन बढ़ाना है और आयात पर निर्भरता खत्म करनी है तो उसे तत्काल इस फैसले को बदलते हुए इन आयातित तेलों पर फिर से 20-30 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा देना चाहिये और आयात की कोटा व्यवस्था को खत्म कर देना चाहिये।

इससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी, किसानों की फसल बाजार में खपेगी और आयात बढ़ने की वजह से खाद्य तेल सस्ते होंगे जिससे उपभोक्ताओं को भी राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि खाद्य तेलों के दाम तेज होने के बाद भी देशी तेलों से कहीं सस्ते हैं। चार-पांच महीने पूर्व सूरजमुखी तेल का भाव लगभग 2,450 डॉलर प्रति टन था जो अब घटकर 1,300 डॉलर रह गया है। इसी तरह चार पांच माह पूर्व पामोलीन तेल का भाव 2,150 डॉलर प्रति टन था जो अब घटकर 850 डॉलर रह गया है।

आयातित तेलों के भाव चार-पांच माह पहले के मुकाबले लगभग आधा से भी कम रह गये हैं। सूत्रों ने कहा कि एक तेल का दाम महंगा होता है तो उसका असर बाकी खाद्यतेलों पर भी दिखता है जिससे तेल कीमतों में भी सुधार होता है। शुक्रवार की रात को खाद्यतेलों का आयात शुल्क मूल्य कम किया गया है लेकिन इसके बावजूद शॉर्ट सप्लाई के कारण तेल कीमतों में सुधार आया है। सरकार द्वारा आयात शुल्क लगाने से किसानों को भी फायदा होगा क्योंकि उनकी उपज बाजार में खपेंगी।

इस साल आयातित तेल से सरसों 20-30 रुपये प्रति लीटर सस्ता होने के बाद भी सारी सरसों की खपत नहीं हो पाई। ऐसे में इसके आयातित तेलों से लगभग 40 रुपये लीटर महंगा होने के बाद इसकी खपत हो पाना और भी मुश्किल हो जाएगा। प्रमुख तेल संगठन सोपा ने भी सरकार को आगाह किया था कि देश में पर्याप्त मात्रा में सोयाबीन की फसल है लेकिन ऐसे में आयात खोलने के बाद सोयाबीन के डीआयल्ड केक (डीओसी) की खपत भी मुश्किल होगी।

सरकार को तत्काल अपने फैसले पर पुनर्विचार करते हुए आयात शुल्क लगा देना चाहिये। इस फैसले से आयात बढ़ने के बाद उपभोक्ताओं को भी सस्ते में खाद्यतेल उपलब्ध होंगे। शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: सरसों तिलहन - 6,670-6,700 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली -6,900-6,965 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,900 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,640-2,810 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 13,360 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,080-2,210 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 2,150-2,265 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,000-19,500 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,100 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,800 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,600 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,000 रुपये प्रति क्विंटल। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,600 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,600 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 8,550 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना - 4,750-4,850 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज 4,550-4,650 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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