देश में बिजली संकट की बढ़ी समस्या, उत्पादन में तेज गिरावट जिम्मेदार

coal
Google common license

महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में कोयले की कमी के कारण बिजली कटौती की स्थिति पैदा होने की खबरों के बीच कोयला सचिव ने अपना बचाव करने की कोशिश की। उन्होंने पीटीआई-को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि ताप-विद्युत संयंत्रों के पास कोयले का कम स्टॉक होने के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं।

नयी दिल्ली। कोयला सचिव ए के जैन ने मौजूदा बिजली संकट के लिए कोयले की कमी को जिम्मेदार मानने से इनकार करते हुए रविवार को कहा कि इस संकट की मुख्य वजह विभिन्न ईंधन स्रोतों से होने वाले बिजली उत्पादन में आई तीव्र गिरावट है। महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में कोयले की कमी के कारण बिजली कटौती की स्थिति पैदा होने की खबरों के बीच कोयला सचिव ने अपना बचाव करने की कोशिश की। उन्होंने पीटीआई-को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि ताप-विद्युत संयंत्रों के पास कोयले का कम स्टॉक होने के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं।

इसे भी पढ़ें: भारत में महंगी लग्जरी कारों की मांग में उछाल, आपूर्ति संकट से इंतजार अवधि बढ़ी

जैन ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में तेजी आने के कारण बिजली की मांग बढ़ना, इस साल जल्दी गर्मी शुरू हो जाना, गैस एवं आयातित कोयलों की कीमतों में वृद्धि होना और तटीय ताप विद्युत संयंत्रों के बिजली उत्पादन का तेजी से गिरना जैसे कारक इसके लिए जिम्मेदार रहे हैं। जैन ने कहा,‘‘यह कोयले का संकट न होकर बिजली की मांग एवं आपूर्ति का बेमेल होना है।’’ उन्होंने कहा कि देश में गैस-आधारित बिजली उत्पादन में भारी गिरावट आने से यह संकट और बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि देश में कुल बिजली आपूर्ति बढ़ाने के लिए पहले से ही कई उपाय किए जा रहे हैं। जैन ने कहा, ‘‘भारत में कुछ ताप-विद्युत संयंत्र समुद्री तट के किनारे बनाए गए थे ताकि आयातित कोयले का इस्तेमाल कर सकें। लेकिन आयातित कोयले की कीमत बढ़ने से उन संयंत्रों ने कोयला आयात कम कर दिया है।’’

इसे भी पढ़ें: भारतीय बाजारों की मजबूत शुरूआत, सेंसेक्स 423 अंक चढ़ा

ऐसी स्थिति में तटीय ताप-विद्युत संयंत्र अब अपनी क्षमता का लगभग आधा उत्पादन ही कर रहे हैं। कोयला सचिव ने कहा कि दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों में स्थित राज्य आयातित कोयले पर निर्भर हैं। जब इन राज्यों में स्थित घरेलू कोयला आधारित संयंत्रों को रेलवे वैगन एवं रेक के जरिये कोयला भेजा जाता है तो रेक को फेरा लगाने में 10 दिन से अधिक समय लगता है। इसकी वजह से अन्य राज्यों में स्थित संयंत्रों तक कोयला आपूर्ति बाधित होती है। हालांकि रेलवे ने पिछले साल से बिजली क्षेत्र की बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए अन्य क्षेत्रों में रेक आपूर्ति को कम करके, पहले से कहीं अधिक कोयले की ढुलाई की है। मार्च के महीने में रेकों की अच्छी लदान हुई थी। सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने अप्रैल के पहले पखवाड़े में एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 25 फीसदी अधिक कोयला उत्पादन किया है। उत्पादन बढ़ने के साथ कोयले की आपूर्ति भी 25 फीसदी बढ़ गई है। कोल इंडिया की घरेलू कोयला उत्पादन में 80 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है। कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने भी शनिवार को कहा था कि वर्तमान में 7.250 करोड़ टन कोयला सीआईएल, सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) और कोल वाशरीज़ के विभिन्न स्रोतों में उपलब्ध है। इसके साथ ही उन्होंने ताप विद्युत संयंत्रों के पास 2.201 करोड़ टन कोयला उपलब्ध होने का भी दावा किया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़