Ola Electric के शेयर फोकस में, भाविश अग्रवाल ने गिरवी शेयर छुड़ाने के लिए की सीमित हिस्सेदारी की बिक्री

Ola Electric
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Ankit Jaiswal । Dec 17 2025 9:12PM

भाविश अग्रवाल द्वारा सीमित हिस्सेदारी की बिक्री से ओला इलेक्ट्रिक पर से शेयर गिरवी का बोझ खत्म हुआ है। कंपनी का कहना है कि इसका संचालन, रणनीति और प्रमोटर नियंत्रण पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जबकि हालिया EV डिलीवरी और हाइपरडिलीवरी पहल जारी है।

बुधवार, 17 दिसंबर को ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के शेयरों पर निवेशकों की खास नजर रहने की उम्मीद है। मौजूद जानकारी के अनुसार, कंपनी के संस्थापक भाविश अग्रवाल ने अपनी निजी हिस्सेदारी का सीमित मोनेटाइजेशन किया है, ताकि प्रमोटर स्तर पर गिरवी रखे गए कुल ₹260 करोड़ के शेयर पूरी तरह मुक्त किए जा सकें।

बता दें कि PTI की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि इस प्रक्रिया के बाद भी प्रमोटर समूह की हिस्सेदारी 34 प्रतिशत से अधिक बनी रहेगी, जो नई उम्र की सूचीबद्ध कंपनियों में मजबूत मानी जाती है। गौरतलब है कि यह कदम किसी भी तरह से प्रमोटर नियंत्रण में कमी नहीं लाता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, आगे किसी नई प्रमोटर गिरवी की संभावना नहीं है। मौजूदा मोनेटाइजेशन का उद्देश्य एआई स्टार्टअप ‘कृतिम’ के लिए फंडिंग से जुड़ा था, जो अब एक क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर खिलाड़ी के रूप में सकारात्मक कैश फ्लो के साथ दोबारा उभर रहा है।

आमतौर पर प्रमोटर शेयर गिरवी को बाजार में जोखिम और अस्थिरता के कारक के रूप में देखा जाता है। ऐसे में सभी गिरवी शेयरों का हटना कंपनी के जोखिम प्रोफाइल को मजबूत करता है। सूत्रों ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह पूरा कदम प्रमोटर स्तर पर किया गया है और इसका ओला इलेक्ट्रिक के रोजमर्रा के कामकाज, प्रबंधन, कॉरपोरेट गवर्नेंस या वित्तीय स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

गौरतलब है कि इस वित्त वर्ष में अपोलो हॉस्पिटल्स और हिंदुस्तान जिंक जैसे समूहों के प्रमोटरों ने भी सीमित हिस्सेदारी बेचकर गिरवी शेयर मुक्त कराए हैं।

इस बीच, ओला इलेक्ट्रिक ने हाल ही में बेंगलुरु में ‘हाइपरडिलीवरी’ सेवा शुरू की है, जिसके तहत ग्राहक उसी दिन वाहन की रजिस्ट्रेशन और डिलीवरी पा सकते हैं। कंपनी पहले ही अपने वाहन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को पूरी तरह इन-हाउस कर चुकी है। इसके साथ ही 4680 भारत सेल बैटरी से लैस S1 Pro+ जैसे मॉडलों की बड़े पैमाने पर डिलीवरी शुरू हो चुकी है, जिसे भारत के EV इकोसिस्टम के लिए अहम कदम माना जा रहा है।

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