OpenAI और TCS की भारत में 500MW AI compute साझेदारी, HyperVault डेटा सेंटर पर सहमति के करीब

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Ankit Jaiswal । Dec 4 2025 6:45PM

भारत में AI बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच, गूगल-रिलायंस और अब ओपनएआई-टाटा की साझेदारियाँ AI इंफ्रास्ट्रक्चर पर प्रभुत्व की नई दौड़ का संकेत दे रही हैं, जो 2027 तक 17-22 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।

विश्व की सबसे महंगे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी OpenAI, भारत की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर सेवा कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के साथ एक व्यापक साझेदारी को अंतिम रूप देने के उन्नत चरण में है। इस समझौते के तहत भारत में 500 मेगावॉट से अधिक की एआई डेटा सेंटर क्षमता तैयार की जाएगी, जो OpenAI के स्टारगेट इंडिया चैप्टर की औपचारिक शुरुआत मानी जा रही हैं।

गौरतलब है कि भारत, अमेरिका के बाद चैटजीपीटी का दूसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता आधार रखता है। बता दें कि पिछले महीनों रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ चर्चा आगे नहीं बढ़ सकी थी, जिसके बाद ओपनएआई ने टाटा समूह के साथ संवाद को गति दी है। दूसरी ओर, रिलायंस अब गूगल और मेटा के साथ अपने 1GW कंप्यूट क्लस्टर पर काम आगे बढ़ा रहा हैं।

OpenAI और TCS के बीच संभावित अनुबंध में हाइपरवॉल्ट डेटा सेंटर के माध्यम से बड़े स्तर पर लीज मॉडल शामिल है, जिसमें OpenAI अपनी अगली पीढ़ी के GPT मॉडलों के प्रशिक्षण और संचालन के लिए स्थानीय कंप्यूटिंग शक्ति प्राप्त करेगा। यह साझेदारी BFSI, खुदरा, मैन्युफैक्चरिंग और उपभोक्ता वस्तुओं जैसे क्षेत्रों के लिए एजेंटिक एआई समाधान विकसित करने पर भी केंद्रित है, जिससे एआई-आधारित सेवा उद्योग का नया ढांचा तैयार किया जा सकेगा। बता दें कि हाइपरवॉल्ट और निजी इक्विटी समूह टीपीजी पहले ही हाइपरवॉल्ट में 18,000 करोड़ रुपये तक निवेश की घोषणा कर चुके हैं और इसका लक्ष्य गीगावॉट-स्तर के एआई डाटा हब तैयार करना है।

मौजूद जानकारी के अनुसार ओपनएआई, हाइपरवॉल्ट डेटा सेंटर का पहला एंकर टेनेंट बनेगा, लेकिन किसी प्रकार की इक्विटी हिस्सेदारी फिलहाल प्रस्तावित नहीं है। समूह सूत्रों के अनुसार टाटा कंपनी व्यापक सहयोग मॉडल को प्राथमिकता देना चाहती है ताकि एंथ्रोपिक जैसी अन्य AI कंपनियों के साथ भी साझेदारी जारी रह सके और किसी एक कंपनी पर निर्भरता या हित संघर्ष की स्थिति न बने। हालांकि दोनों कंपनियों ने इस पर आधिकारिक प्रतिक्रिया देने से इंकार किया है।

यह साझेदारी ऐसे समय में आकार ले रही है, जब भारतीय आईटी सेक्टर एआई की वजह से पारंपरिक मानव-आधारित सेवा मॉडल में परिवर्तन का दबाव झेल रहा है, और वैश्विक भू-राजनीतिक जोखिमों तथा अनुबंध गति में कमी के कारण चुनौतियों का सामना कर रहा है। टीसीएस की रणनीति अब एआई एजेंट्स, नए डिलीवरी मॉडल और वैश्विक कार्यबल के अपस्किलिंग पर केंद्रित है, जिसके लिए ओपनएआई जैसी अग्रणी तकनीकी इकाई के साथ सहयोग महत्वपूर्ण माना जा रहा हैं।

दुनिया भर में स्टारगेट प्रोजेक्ट को "इतिहास का सबसे बड़ा एआई इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन" कहा जा रहा है। UAE, नॉर्वे, UK और अर्जेंटीना में इसकी शुरुआत के बाद अब भारत को भी इस वैश्विक एआई नेटवर्क का प्रमुख केंद्र बनाया जा रहा है, जिससे डेटा लोकलाइजेशन नीतियों के अनुसार स्थानीय क्षमता का निर्माण संभव होगा। इसी क्रम में जापान, एस्टोनिया, फ्रांस और जर्मनी में समझौतों को भी अंतिम दौर में बताया जा रहा हैं।

इस बीच भारतीय एआई बाजार तेजी से प्रतिस्पर्धी होता जा रहा है। गूगल-रिलायंस, ओपनएआई-टाटा जैसी साझेदारियां स्पेस पर वर्चस्व की नई दौड़ को संकेत दे रही हैं। नैसकॉम-बीसीजीके अनुसार भारत का AI बाजार 2027 तक 17-22 बिलियन डॉलर को छू सकता है। इसी संदर्भ में ओपनएआई अपने भारत दफ्तर, सस्ती चैटजीपीटी योजनाओं और स्थानीय प्रतिभा नियुक्तियों के माध्यम से अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है, हालांकि हालिया रिपोर्टों मेंएंथ्रोपिक और गूगल के कारण ओपनएआई के एंटरप्राइज  शेयर में कमी दर्ज की गई है, जो बाजार की प्रतिस्पर्धा को और तेज बना रही हैं।

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