PACL ने तीन साल में 20 हजार करोड़ रुपये के भुगतान के लिये कोई पेशकश नहीं की: लोधा समिति

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पीएसीएल ने लोगों से कृषि और रीयल एस्टेट कारोबार में निवेश के नाम पर पैसा इकट्ठा किया।सेबी ने पाया कि इस समूह ने 18 साल के दौरान अवैध सामूहिक निवेश योजनाओं के जरिये 60,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि एकत्रित की।

नयी दिल्ली। अवैध सामूहिक निवेश योजना के जरिये भोले भाले निवेशकों से 60,000 करोड़ रुपये की राशि जुटाने वाले पीएसीएल समूह ने संपत्तियों की बिक्री कर तीन साल के भीतर निवेशकों को 20 हजार करोड़ रुपये लौटाने के बारे में कोई पेशकश नहीं की।निवेशकों के रिफंड की जांच परख करने वाली एक उच्चस्तरीय समिति ने मंगलवार को यह बात कही। समिति की ओर से यह स्पष्टीकरण तब दिया गया जब पीएसीएल समूह के बारे में व्हट्सएप पर एक वीडियो यह प्रचारित करते हुये पाया गया कि कंपनी ने निवेशकों को पैसा लौटाने की पेशकश की है।

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पीएसीएल ने लोगों से कृषि और रीयल एस्टेट कारोबार में निवेश के नाम पर पैसा इकट्ठा किया।सेबी ने पाया कि इस समूह ने 18 साल के दौरान अवैध सामूहिक निवेश योजनाओं के जरिये 60,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि एकत्रित की। सेवा निवृत न्यायधीश आर एम लोधा की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया और उसे पीएसीएल में निवेश करने वाले निवेशकों का पैसा व्यवस्थित कर रिफंड करने का काम दिया गया। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की विज्ञप्ति में कहा गया है कि लोधा समिति ने कहा है कि उसे यह जानकारी मिली है कि व्हट्सएप पर एक वीडियो जारी किया गया है जिसमें एक बिजनेस चैनल की यह रिपोर्ट दिखाई जा रही है कि पीएसीएल ने तीन साल के दौरान संपत्तियों की बिक्री से नरिवेशकों को 20,000 करोड़ रुपये देने की पेशकश की है और समिति21 जून तक जवाबी पेशकश करेगी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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