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एक सप्ताह में रिकार्ड 534 किमी राष्ट्रीय राजमार्ग का हुआ निर्माण
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 18, 2021 10:10
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सड़क परिवहन मंत्रालय ने कहा कि अप्रैल 2020 से 15 जनवरी 2021 की अवधि में उसने 7,597 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का ठेका दिया जबकि 2019- 20 में इसी अवधि में 3,474 किलोमीटर सड़क परियोजनाओं का ठेका दिया गया था। इस प्रकार परियोजनाओं के निर्माण का ठेका देने की गति भी इस साल दोगुने से अधिक हो गई।
नयी दिल्ली। सड़क परिवहन मंत्रालय ने रविवार को कहा कि गत आठ जनवरी से शुरू हुये सप्ताह में रिकार्ड 534 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण किया गया। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि उसने पिछले आठ जनवरी से शुरू हुये सप्ताह में 534 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कर एक रिकार्ड कायम किया है। बयान में कहा गया है कि मंत्रालय ने अप्रैल 2020 से लेकर 15 जनवरी 2021 की अवधि में 8,169 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण किया।इस लिहाज से प्रतिदिन 28.16 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया गया। वहीं पिछले साल इसी अवधि में 7,573 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया।तब प्रतिदिन 26.11 किलोमीटर सड़क निर्माण हुआ। मंत्रालय को उम्मीद है कि निर्माण की इस गति के साथ वह 31 मार्च 2021 तक 11 हजार किलोमीटर सड़क निर्माण के लक्ष्य को पार कर लेगा।
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सड़क परिवहन मंत्रालय ने कहा कि अप्रैल 2020 से 15 जनवरी 2021 की अवधि में उसने 7,597 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का ठेका दिया जबकि 2019- 20 में इसी अवधि में 3,474 किलोमीटर सड़क परियोजनाओं का ठेका दिया गया था। इस प्रकार परियोजनाओं के निर्माण का ठेका देने की गति भी इस साल दोगुने से अधिक हो गई। मंत्रालय के मुताबिक वित्त वर्ष 2019- 20 में कुल मिलाकर 8,948 किलोमीटर सड़क परियोजनाओं के निर्माण का ठेका दिया गया जबकि 10,237 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया। बयान में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के शुरुआती दो माह में कोरोना वायरस महामारी के कारण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू होने के बावजूद सड़क निर्माण के क्षेत्र में उल्लेखनीय गति हासिल की गई है।
MoRTH has created a record by constructing 534 km of National Highways in the last week commencing 8 January.
— MORTHINDIA (@MORTHIndia) January 17, 2021
The Ministry has constructed 8,169 km of NHs from April 2020 to 15 January 2021 in the current financial year 2020-21, i.e. with a speed of about 28.16 km per day.
women's day special: घर में बिस्किट बनाने से लेकर IPO तक का रजनी बेक्टर्स का सफर!
- निधि अविनाश
- मार्च 6, 2021 17:52
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कराची में पैदा हुईं रजनी बेक्टर बटवारे के बाद जब भारत लौटीं तब उन्हें शायद ही पता होगा कि उनकी जिंदगी कितनी बदलने वाली है। बता दें कि अपनी कड़ी मेहनत के बदौलत रजनी बेक्टर इस दौरान बेक्टर्स फूड स्पेशियलिटीज की मालिक हैं।रजनी बेक्टर की कंपनी क्रीमिका ब्रांड से बिस्किट,ब्रेड और आइसक्रीम दुनिया के 60 देशों में निर्यात होती है।
साल 1970 के दशक में अपने घर से बिस्कुट पकाने से लेकर आइसक्रीम बेचने तक का सफर रजनी बेक्टर्स के लिए आसान नहीं था लेकिन आज वह बेक्टर्स फूड स्पेशियलिटीज की मालिक हैं। रजनी की कहानी वास्तव में एक प्रेरणादायक है। महिला दिवस के विशेष अवसर पर आज हम आपको बताएंगे एक ऐसी शख्स की जिसने अपनी मेहनत की बदौलत से भारत में बड़ा नाम कमाया है।
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सफर था कठिन, लेकिन मंजिल मिली जरूर
कराची में पैदा हुईं रजनी बेक्टर बटवारे के बाद जब भारत लौटीं तब उन्हें शायद ही पता होगा कि उनकी जिंदगी कितनी बदलने वाली है। बता दें कि अपनी कड़ी मेहनत के बदौलत रजनी बेक्टर इस दौरान बेक्टर्स फूड स्पेशियलिटीज की मालिक हैं। रजनी बेक्टर की कंपनी क्रीमिका ब्रांड से बिस्किट, ब्रेड और आइसक्रीम दुनिया के 60 देशों में निर्यात होती है। आपको जानकार हैरानी होगी कि रजनी की कंपनी का सलाना टर्नओवर 1000 करोड़ रुपये है। बेक्टर की कंपनी न केवल बिस्किट और आइसक्रीम अलग-अलग देशों में निर्यात करती है बल्कि फास्ट फूड चेन मेक्डोनाल्ड्स और बर्गर किंग को भी अपनी ब्रेड सप्लाई करती है।
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कौन है रजनी बेक्टर?
रजनी बेक्टर पाकिस्तान के कराची शहर में पैदा हुई। भारत-पाकिस्तान के बटवारे बाद रजनी भारत लौटीं और अपनी परिवार के साथ दिल्ली में ही बस गई। दिल्ली से रजनी ने अपनी ग्रेजुएशन पूरी की। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उनकी शादी पंजाब के शहर लुधियाना में हो गई। शादी के बाद रजनी ने बिस्किट बनाने के शौक को पेशे में बदला और साल 1978 में घर से ही बिस्किट बनाने शुरू कर दिए। एक छोटे से घर से अपने बिस्किट बनाने के शौक को उन्होंने आज बहुत बड़े बिजनेस में तब्दील कर दिया है। आद रजनी बेक्टर की कंपनी मिसेज बेक्टर्स फूड स्पेशियलिटीज की न सिर्फ पंजाब में बल्कि हिमाचल, यूपी, महाराष्ट्र और कर्नाटक के बेंगलुरु में भी ब्रांच है।
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IPO में रजनी बेक्टर की कंपनी!
अपनी काबिलियत से यहां तक पहुंचने वाली रजनी की कंपनी ने अपनी लगन और मेहनत के दम पर 300 रुपए लगाकर अपनी एक कंपनी खड़ी की, जिसका सलाना टर्नओवर 1000 करोड़ रुपए हो गया है। रजनी की कंपनी IPO में भी शामिल हो गई है। बता दें कि मिसेज बेक्टर्स फूड स्पेशिएल्टीज मिसेज बेक्टर का आईपीओ साल 2020 का 15वां आईपीओ रहा। मिसेज बेक्टर्स को 198 गुणा सब्सक्राइब किया गया।मिसेज बेक्टर्स फूड स्पेशलिटीज ने आईपीओ के जरिए अपने कारोबार को बढ़ाने का फैसला किया है और इसके लिए कंपनी आईपीओ लेकर आई है। कंपनी का ब्रांड क्रेमिका प्रीमियम बिस्कुट की केटेगरी में उत्तर भारत के राज्यों में लोकप्रिय है। इसके अलावा कंपनी का दूसरा ब्रांड इंग्लिश ओवन मेट्रो सिटीज में दिखाई देता है। बता दें कि कंपनी बर्गर किंग, मैकडॉनल्ड्स, केएफसी और पिज्जा हट जैसी बड़ी फूड कंपनियों को बन सप्लाई करती हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 4 दशक की मेहनत के बाद उनका नाम काफी लोकप्रिय हो गया और वह ब्रेड और बिस्कुट के लिए जाना जाने लगा। जिसकी बदौलत घरेलू बाजार में रजनी बेक्टर के शेयर 4.5 फीसदी और निर्यात के लिए 12 फीसदी हो गए। इसके अतिरिक्त वर्तमान में कंपनी के पास 6 मैन्युफ्रैक्चरिंग यूनिट हैं जो मांग की पूर्ति करने में जुटी रहती हैं।
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- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- मार्च 6, 2021 15:25
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सरकार रसायन क्षेत्र के लिए पीएलआई योजना लाने पर विचार कर रही है।वेबिनार का आयोजन फिक्की के रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग ने किया था। उन्होंने कहा कि बजट घोषणाओं का क्रियान्वयन अकेले सरकार द्वारा नहीं किया जा सकता।
नयी दिल्ली। सरकार रसायन क्षेत्र के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना लाने पर विचार कर रही है। इससे घरेलू विनिर्माण और निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा। रसायन एवं उर्वरक मंत्री डी वी सदानंगद गौड़ा ने शुक्रवार को ‘बजट घोषणाओं-2021-22 के क्रियान्वयन की रणनीति’ पर एक वेबिनार को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार देश के रसायन एवं पेट्रो रसायन क्षेत्र के लिए नीतियां बनाने को बातचीत का रुख अपना रही है।
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वेबिनार का आयोजन फिक्की के रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग ने किया था। उन्होंने कहा कि बजट घोषणाओं का क्रियान्वयन अकेले सरकार द्वारा नहीं किया जा सकता। ‘‘हमें उद्योग को भरोसे में लेना होगा, जिससे अप्रैल के पहले सप्ताह से क्रियान्वयन शुरू हो सके।
भारत और दक्षिण अफ्रीका की इस मांग को न मानने के लिए अमेरिकी सीनेटर्स ने राष्ट्रपति बाइडेन से की अपील
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- मार्च 6, 2021 15:18
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सांसदों ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से कोविड19 की वैक्सीन पेटेंट मुक्त करने की अपील को न मानने की मांग की है। सीनेट के इन सदस्यों ने कहा है कि भारत, दक्षिण अफ्रीका और अन्य देशकोविड19 संबंधी सभी नयी खोजों को पेटेंट व्यवस्था से मुक्त रखने का प्रस्ताव विश्व व्यापार संगठन में ला रहे हैं।
वाशिंगटन।अमेरिका में सत्तारूढ़ रिपब्लिकन दल के चार सदस्यों ने राष्ट्रपित जो बाइडेन से कोविड19 की वैक्सीन के व्यापार को पेटेंट की पाबंदी से मुक्त रखे जाने के विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में भारत और दक्षिण अफ्रीका के प्रस्ताव को स्वीकार न करने की अपील की है। इन सांसदों को सोचना है कि कोविड के टीकों के व्यापार को डब्ल्यूटीओर की बौद्धिक संपदा आधिकार व्यवस्था (ट्रिप्स) की शर्तों से मुक्त करने पर कंपनियां नए टीकों और प्रतिरक्षण बढ़ाने वाली दवाओं के अनुसंधान पर खर्च करना बंद कर देंगी। इन सांसदों में माइक ली, टॉम कॉटन, जोनी एमस्टऔर टॉड यंग के नाम है। इन लोगों ने बाइडन को एक साझा पत्र लिख कर डब्ल्यूटीओ इस विषय में आने वाले प्रस्तावों को निरस्त कराने की अपील की है।
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सीनेट के इन सदस्यों ने कहा है कि भारत, दक्षिण अफ्रीका और अन्य देशकोविड19 संबंधी सभी नयी खोजों को पेटेंट व्यवस्था से मुक्त रखने का प्रस्ताव विश्व व्यापार संगठन में ला रहे हैं। उन्होंने कहा है कि इस तरह का प्रस्ताव करने वालों का कहना है कि यदि हम अमेरिकी कंपनियों द्वारा विकसित बौद्धिक सम्पदा को नष्ट कर दें तो कोविड19 के टीकों के विनिर्माण के कारोबार में जल्द ही बहुत सी कंपनियां योगदान देने लगेंगी। लेकिन इन संसादों का तर्क है कि ‘वास्तविकता इससे उलट है। हर उस अमेरिकी कंपनी के, जो कोविड की वैक्सीन और दवाइयों के विकास के काम में लगी है, बौद्धिक संपदा अधिकार को भंग करके हम‘आपरेशन वार्प स्पीड’‘अभियान के तह शुरू की गयी उस प्रक्रिया को ही खत्म कर देंगे जिससे चलते इतिहास में सबसे कम समय में जीवन रक्षक टीकों का विकास करना संभव हुआ है।’ उन्होंने पत्र में लिखा है कि कुछ देशों की सोच है कि अमेरिका की बौद्धिक संपदा छीन कर वे लाभ में रहेंगे,पर यह उनकी भूल है।
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बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार संबंधी पहलुओं (ट्रिप्स) की डबल्यूटीओ व्यवस्था में सरकारों के लिए दवाओं , उनकी जांच और उत्पादन की प्रौद्योगिकी का विकास करने वाली इकाइओं को बाजार में लम्बे समय तक एकाधिकार देने के प्रावधान हैं। इससे पहले अमेरका के सैकड़ों गैर सरकारी संगठनों और तीन प्रमुख सांसदों ने बाइडेन से कोविड की वैक्सीन पर पेटेंट की छूट के प्रस्ताव को नहीं रोकने की अपील की थी। सांसद और प्रतिनिधि सभा में विनियोग समिति की सभापित डीलाउरो ने संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि कोविड19 महामारी के लिस किसी देश की सीमा का कोई मायने नहीं है। उन्होंने कहा कि कोविड19की वैक्सीनका विकास और दूसरी दुनिया में उसे पहुंचाना बहुत जरूरी है। भारत और दक्षिण अफ्रीका में डबल्यूटीओ में ट्रिप्स की छूट का जो मुद्दा उठाया है उससे दुनिया को इस महामारी का मुकाबला करने में मदद मिलेगी क्यों कि इस तरह की छूट से विकासशील देशों में भी कोविड की जांच , उपचार और टीकाकरण सुलभ होगा।

