RIL की जल्द होगी दुनिया की सबसे बड़ी तेल निर्यातक कंपनी से डील, अरामको के CEO ने कहीं ये बात

SAUDI ARAMCO

दुनिया की सबसे बड़ी तेल निर्यातक कंपनी अरामको रिलांयस के पेट्रोलियम संबं कारोबार में हिस्सेदारी लेने की जांच परख में लगी हुई है।अरामको के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमीन नासिर ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े एक जगह पर स्थित रिफाइनिंग परिसर और भारत की सबसे बड़ी पेट्रो रसायन संपत्ति एक बड़ा सौदा है।

नयी दिल्ली। दुनिया की सबसे बड़ी तेल निर्यातक कंपनी अरामको, रिलायंस इंडस्ट्रीज लि. के रिफाइनिंग और पेट्रो-रसायन कारोबार में 15 अरब डॉलर मूल्य की हिस्सेदारी खरीदने को लेकर सौदे की जांच-परख कर रही है। अरामको के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमीन नासिर ने यह कहा। दिग्गज उद्योगपति मुकेश अंबानी ने पिछले साल अगस्त में आरआईएल के तेल से रसायन कारोबार (ओ टू सी) में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी अरामको को बेचने की योजना की घोषणा की थी। इसके लिये उन्होंने उपक्रम का मूल्य 75 अरब डॉलर आंका था। सौदे को मार्च, 2020 तक पूरा होना था लेकिन इसमें देरी हो रही है। नसीर ने जून तिमाही के परिणाम को लेकर निवेशकों के साथ बातचीत में कहा, ‘‘रिलांयस के साथ सौदे के संदर्भ में इस समय मैं केवल इतना कह सकता हूं कि इसकी जांच-परख का काम जारी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सौदे को लेकर जारी जांच-परख के आधार पर, हम इस बारे में निर्णय करेंगे।’’ नसीर ने निवेशक कॉल में कहा कि दुनिया के सबसे बड़े एक जगह पर स्थित रिफाइनिंग परिसर और भारत की सबसे बड़ी पेट्रो रसायन संपत्ति एक बड़ा सौदा है। इसीलिए, हमें इसकी समीक्षा के लिये समय चाहिए और उसके बाद जांच-परख के अध्ययन के नतीजे के आधार पर हम निर्णय करेंगे।’’

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अंबानी ने पिछले महीने रिलायंस इंडस्ट्रीज की सालाना आम बैठक में कहा था कि ऊर्जा बाजार अप्रत्याशित परिस्थिति और कोविड-19 स्थिति के कारण अरामको सौदे में देरी हुई है। उन्होंने न तो यह कहा कि सौदा पटरी पर है और न ही इसके पूरा होने को लेकर नई समयसीमा बतायी। नसीर ने भी सौदा पूरा होने को लेकर समयसीमा नहीं दी। उन्होंने कहा कि रिलायंस के साथ बातचीत अब भी जारी है और शेयरधारकों को उपयुक्त समय पर इसके बारे में जानकारी दी जाएगी। रिलायंस इंडस्ट्रीज के तेल से रसायन कारोबार में कंपनी की गुजरात के जामनगर में दो रिफाइनरी, पेट्रोरसायन संयंत्र और ईंधन खुदरा उद्यम में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि सौदे में देरी का कारणमूल्यांकन का मुद्दा भी हो सकता है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के पिछले महीने सालाना आम बैठक के बाद बर्नस्टेन ने कहा था, ‘‘रिफाइनरी और रसायन कारोबार में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी अरामको को 15 अरब डॉलर में बेचने की योजना कार्यक्रम के अनुसार आगे नहीं बढ़ सकी। इसका कारण बाजार स्थिति में बदलाव हो सकता है। हमारा मानना है कि सौदा अभी भी संभव है लेकिन यह कम मूल्य पर होगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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