मकान खरीदारों को GST से राहत- निर्माणाधीन मकानों पर दर 5%, सस्ते घरों पर 1%

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[email protected] । Feb 25 2019 12:13PM

रीयल एस्टेट पर जीएसटी की ये नयी दरें एक अप्रैल, 2019 से लागू होंगी। वित्त मंत्री ने बताया कि लॉटरी पर जीएसटी के बारे में फैसला आगे के लिए टाल दिया गया है। इस बारे में प्रस्ताव पर चर्चा के लिए मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठक फिर होगी।

नयी दिल्ली। जीएसटी परिषद ने रीयल एस्टेट क्षेत्र में मांग को बढ़ावा देने के लिए निर्माणाधीन परियोजनाओं में मकानों पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दी है और इसमें इनपुट कर का लाभ खत्म करने का फैसला किया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को यहां जीएसटी परिषद की बैठक के बाद इस फैसले की जानकारी दी। साथ ही किफायती दर के मकानों पर भी जीएसटी दर को आठ प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत करने का फैसला किया गया है। इसके साथ ही परिषद ने निर्माणाधीन और कंप्लीशन सर्टिफिकेट से पहले भवनों की बिक्री पर इनपुट कर छूट (आईटीसी) को समाप्त करने का निर्णय भी किया। रीयल एस्टेट बाजार में नकदी के धंधे पर अंकुश लगाने के लिए बिल्डरों को निर्माण सामग्री का एक बड़ा हिस्सा जीएसटी में पंजीकृत डीलरों से खरीदना अनिवार्य करने का भी फैसला किया गया है।

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रीयल एस्टेट पर जीएसटी की ये नयी दरें एक अप्रैल, 2019 से लागू होंगी।  वित्त मंत्री ने बताया कि लॉटरी पर जीएसटी के बारे में फैसला आगे के लिए टाल दिया गया है। इस बारे में प्रस्ताव पर चर्चा के लिए मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठक फिर होगी। समय राज्य सरकारों द्वारा संचालित लॉटरी योजनाओं पर 12 प्रतिशत एवं राज्य सरकारों द्वारा अधिकृत लॉटरी पर 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है। एसटी परिषद की 33वीं बैठक के बाद संवाददाताओं को जानकारी देते हुए जेटली ने कहा कि उपभोक्ताओं को लग रहा था कि बिल्डर इनपुट कर पर छूट का लाभ उन्हें दे रहे थे। इसीलिए रीयल एस्टेट क्षेत्र में कर प्रणाली में बदलाव की सिफारिश के लिए मंत्रियों के समूह का गठन किया गया था। जेटली ने कहा, "परिषद ने निर्णय किया है कि इनपुट कर पर छूट को समाप्त करने के बाद सामान्य आवासीय परियोजनाओं के लिए पांच प्रतिशत की दर रहेगी, जबकि आवासीय परियोजनाओं के लिए यह एक प्रतिशत रहेगी।" त्त मंत्री ने कहा कि इनपुट कर पर छूट खत्म होने के बाद रीयल एस्टेट क्षेत्र का कारोबार फिर से पहले की तरह नकद लेनदेन का धंधा ना बन जाए, इसके लिए बिल्डर कंपनियों को निर्माण सामग्री का एक बहुत ऊंचा हिस्सा जीएसटी में पंजीकृत डीलरों से खरीदना अनिवार्य किया जाएगा।

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यह हिस्सा कितना प्रतिशत रखा जाए, यह एक समिति द्वारा तय किया जाएगा। मंत्रियों के समूह ने यह सीमा 80 प्रतिशत रखने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि आज के फैसले से आवास निर्माण क्षेत्र को बल मिलेगा और नव-मध्यम वर्ग को अपने मकान के सपने को पूरा करने में मदद मिलेगी। इस फैसले से मकान खरीदारों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। परिषद ने इसके साथ ही किफायती दर की परि भी उदार किया है। इसके तहत महानगरों (दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई-एमएमआर और कोलकाता) में 45 लाख रुपये तक की लागत वाले और 60 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के मकानों को इस श्रेणी में रखा जाएगा। इसी तरह छोटे-मझोले शहरों में 90 वर्ग मीटर तक के मकानों को इस श्रेणी का माना जाएगा। इसके तहत महानगरों में शयनकक्ष वाले गैर-महानगरीय शहरों में संभवतः तीन कमरों वाले मकान आएंगे।

फिलहाल किफायती मकानों के लिए कीमत की कई न्यूनतम सीमा नहीं है और मकानों का कारपेट क्षेत्र भी परियोजना के हिसाब से बदलते रहता है। जेटली ने बताया कि जिन परियोजनाओं का निर्माण कार्य पहले ही शुरू हो चुका है, उनके संबंध में नियम एवं निर्देश अधिकारियों की एक समिति तय करेगी। उन्होंने कहा, "निर्धारण समिति और विधि समिति 10 मार्च तक दिशा-निर्देशों को जीएसटी परिषद के सामने रख देगी। परिषद की बैठक वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए होगी ताकि चुनाव के समय मंत्रियों को दिल्ली का चक्कर न लगाना पड़े।" पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने पंजीकृत डीलरों से सामान खरीदने की शर्त के बारे में कुछ मुद्दे उठाए। उन्होंने कहा, "इस समय इस क्षेत्र के लिए कठिन दौर है। इसमें इकाइयों के लिए प्रोत्साहन की जरूरत है जबकि ऐसे प्रावधानों से इंस्पेक्टर राज और हवाला को बढ़ावा मिलेगा।" जेटली ने कहा कि जिन परियोजनाओं में आवासीय एवं वाणिज्यिक दोनों तरह की संपत्तियां हैं, उनके बारे में अधिकारियों की समिति राज्यों के सुझावों पर चर्चा करेगी।

अधिकारियों की समिति सुझाव देगी कि क्या इसकी अनुमति दी जा सकती है और यदि दी जा सकती है तो उसका अनुपात क्या रखा जाए। इस समय निर्माणाधीन या ऐसे तैयार मकान जिनके लिए काम पूरा होने का प्रमाणपत्र (कंप्लीशन सर्टिफिकेट) नहीं मिला हो, उन पर खरीदारों को 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी देना पड़ता है। लेकिन वर्तमान व्यवस्था में मकान निर्माताओं को इनपुट (निर्माण सामग्री) पर चुकाये गए कर पर छूट का लाभ भी मिलता है। जीएसटी की रविवार को तय दरों के तहत उन्हें (परियोजना निर्माताओं को) इनपुट कर की छूट का लाभ नहीं मिलेगा। सरकार जमीन-जायदाद की परियोजनाओं में ऐसे मकानों/भवनों पर जीएसटी नहीं लगाती है, जिनकी बिक्री के समय ‘कंप्लीशन सर्टिफिकेट’ मिल चुका होता है।

जेटली ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह (जीएसटी दर में कमी का) फैसला निश्चित रूप से भवन निर्माण क्षेत्र को बल प्रदान करेगा।’’ गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह ने इससे पहले इसी महीने सुझाव दिया था कि निर्माणाधीन फ्लैटों पर जीएसटी की दर पांच प्रतिशत रख दी जाए और किफायती मकानों पर इसे तीन प्रतिशत रखा जाए। लॉटरी पर जीएसटी के बारे में जेटली ने कहा कि मंत्रियों के समूह की पिछली बैठक में पंजाब और केरल के नुमाइंदे शामिल नहीं हुए थे, इसलिए समूह की बैठक फिर बुलाने का फैसला किया गया है। 

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