रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा बैठक बुधवार से, रेपो दर में हो सकती है एक और वृद्धि

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एमपीसी की सिफारिशों के आधार पर आरबीआई ने जून और अगस्त में रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि की थी। इससे पहले मई में केंद्रीय बैंक ने अचानक हुई अपनी बैठक में ब्याज दर को 0.40 प्रतिशत बढ़ा दिया था। रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली एमपीसी की बैठक 28 से 30 सितंबर को होगी।

मुंबई। उच्च मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की एक और वृद्धि की संभावना के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक बुधवार से शुरू होगी। अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेड रिजर्व समेत अन्य प्रमुख केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि के अनुरूप आरबीआई भी रेपो दर में वृद्धि कर सकता है। एमपीसी की सिफारिशों के आधार पर आरबीआई ने जून और अगस्त में रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि की थी। इससे पहले मई में केंद्रीय बैंक ने अचानक हुई अपनी बैठक में ब्याज दर को 0.40 प्रतिशत बढ़ा दिया था। रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली एमपीसी की बैठक 28 से 30 सितंबर को होगी। 

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दरों पर निर्णय शुक्रवार यानी 30 सितंबर को घोषित किया जाएगा। विषेशज्ञों के अनुसार, केंद्रीय बैंक एक बार फिर प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.50 प्रतिशत बढ़ाकर तीन साल के उच्चतम स्तर 5.9 प्रतिशत पर कर सकता है। यह वर्तमान में 5.4 प्रतिशत है। आरबीआई ने रेपो दर में मई से लेकर अबतक 1.40 प्रतिशत की वृद्धि की है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने एक रिपोर्ट में कहा है कि पिछले सप्ताह फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में वृद्धि के बाद विदेशी मुद्रा बाजार में हालिया घटनाक्रमों को देखते हुए इस बार मौद्रिक नीति पर अधिक बारीकी से नजर रखी जाएगी। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि आरबीआई आगामी एमपीसी की बैठक में रेपो दर में एक बार फिर 0.50 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है। 

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गौरतलब है कि सरकार ने आरबीआई को दो प्रतिशत के घट-बढ़ के साथ खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया है। एंड्रोमेडा लोन्स के कार्यकारी चेयरमैन वी स्वामीनाथन ने कहा कि अन्य अर्थव्यवस्थाओं में दरों में वृद्धि को देखते हुए आरबीआई के पास दरों में बढ़ोतरी के अलावा कोई विकल्प नहीं है। संपत्ति सलाहकार कंपनी एनारॉक ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि दुनिया भर में मुद्रास्फीति के दबाव के साथ कई देशों ने हाल में लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। उन्होंने कहा भारत भी वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ा हुआ है और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए उपचारात्मक कदम उठाने पड़ेंगे।

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