बड़े कर्जों पर रिजर्व बैंक के प्रस्ताव से कोष प्रबंधन में सुधार आयेगा: स्टेट बैंक रिपोर्ट

Reserve Bank proposal on reforms in big loans will improve fund management: State Bank Report
[email protected] । Jun 19 2018 9:49AM

भारतीय स्टेट बैंक के एक अध्ययन में यह बात कही गई है। इस महीने की शुरुआत में बैंक कर्ज की डिलीवरी के लिये रिण प्रणाली पर रिजर्व बैंक ने दिशानिर्देशों का मसौदा जारी किया है।

नयी दिल्ली। बड़े उद्यमों को कारोबार में रोजमर्रा के खर्च के लिए कर्ज जारी करने के संबंध में रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों से जहां एक तरफ कर्ज लेने वालों को अपने नकदी प्रवाह का बेहतर प्रबंधन करने में मदद मिलेगी वहीं बैंक दिन के कारोबार में अपनी नकदी की स्थिति को और अच्छी तरह संभाल सकेंगे। भारतीय स्टेट बैंक के एक अध्ययन में यह बात कही गई है। इस महीने की शुरुआत में बैंक कर्ज की डिलीवरी के लिये रिण प्रणाली पर रिजर्व बैंक ने दिशानिर्देशों का मसौदा जारी किया है। ये दिशानिर्देश लागू होने पर बड़े कर्जदार अनुशासित होंगे। बड़े कर्जदार उन्हें कहा गया है जिन्हें बैंकिंग प्रणाली से कार्यशील पूंजी लेने की सुविधा मिली हुई है। 

स्टेट बैंक ने अपनी शोध रिपोर्ट ‘इकोरैप’ में कहा है, ‘‘प्रस्तावित नये नियम सभी के लिये सकारात्मक हैं।’’ इसमें कहा गया है कि स्वतंत्र अनुमान यह बताते हैं कि भारतीय उद्योगों के मामले में नकदी चक्र और कार्यशील पूंजी के तौर पर कितने समय के लिये नकदी को बांधे रखा जा सकता है, यह सुविधा दुनिया में उनके समकक्षों को मिल रही सुविधा के मुकाबले अधिक व्यापक है। रिजर्व बैंक के मसौदा नियमों के मुताबिक बैंकों से कार्यशील पूंजी के तौर पर 150 करोड़ रुपये तक की कर्ज की सीमा वाली कंपनियों के मामले में एक अक्तूबर 2018 से न्यूनतम कर्ज का हिस्सा 40 प्रतिशत होगा। वहीं अप्रैल 2019 से यह ऋण हिस्सा बढ़कर 60 प्रतिशत हो जायेगा। इकोरैप के मुताबिक इस रिण में 44 प्रतिशत कर्ज- अन्य सहित नकद ऋण, ओवरड्राफ्ट, मांग पर ऋण, पैकिंग क्रेडिट्स और 56 प्रतिशत में सावधि रिण शामिल है। 

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