RBI की धमाकेदार एंट्री से चमका रुपया, डॉलर के मुकाबले 4 महीने की सबसे बड़ी मजबूती।

भारतीय रिज़र्व बैंक के सक्रिय हस्तक्षेप से रुपया चार महीने की सबसे बड़ी तेजी दर्ज करते हुए डॉलर के मुकाबले 87.99 पर मजबूत हुआ। केंद्रीय बैंक ने डॉलर बेचकर रुपये को रिकॉर्ड निचले स्तर से सहारा दिया, जिससे यह संकेत मिलता है कि आरबीआई रुपये को और अधिक कमजोर होने से रोकना चाहता है। यह कदम बाजार में स्थिरता लाने की आरबीआई की मंशा को दर्शाता है।
भारतीय रुपया बुधवार को करीब चार महीने में सबसे अधिक मजबूत हुआ है। पिछले कुछ दिनों से रिकॉर्ड निचले स्तर के पास झूल रही मुद्रा को इस बार भारतीय रिज़र्व बैंक के सक्रिय हस्तक्षेप से बड़ा सहारा मिला है। बाजार से जुड़े लोगों के मुताबिक, केंद्रीय बैंक ने ऑनशोर और ऑफशोर दोनों बाजारों में डॉलर बेचे हैं, जिससे रुपये में मजबूती देखने को मिली है।
मौजूद जानकारी के अनुसार, रुपये ने दिन के कारोबार में 0.9% तक की तेजी दर्ज की और डॉलर के मुकाबले 87.99 के स्तर तक पहुंच गया। इससे पहले मंगलवार को यह 88.80 प्रति डॉलर के स्तर तक कमजोर हो गया था। बता दें कि यह एक ही दिन में रुपये की जून के बाद सबसे बड़ी छलांग मानी जा रही है।
ICICI सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप के अर्थशास्त्री अभिषेक उपाध्याय के अनुसार, “स्पष्ट रूप से आरबीआई को लगता है कि रुपया अब तक पर्याप्त रूप से कमजोर हो चुका है और आगे इसकी चाल क्षेत्रीय मुद्राओं के अनुरूप स्थिर रहनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि आरबीआई के दृष्टिकोण में हाल के दिनों में कुछ व्यापक बदलाव देखने को मिले हैं।
गौरतलब है कि यह हस्तक्षेप फरवरी में हुए कदम की याद दिलाता है, जब आरबीआई ने अरबों डॉलर बेचकर उन सट्टेबाजों को चौंका दिया था जो रुपये की गिरावट पर दांव लगा रहे थे। बीते तीन सप्ताह से रुपये की चाल लगभग स्थिर बनी हुई है, जबकि बाजार में यह धारणा है कि केंद्रीय बैंक 89 प्रति डॉलर के स्तर से नीचे गिरावट को रोकने के लिए लगातार सक्रिय है।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स के हेड ऑफ ट्रेजरी, अनिल कुमार भंसाली ने कहा, “संभावना है कि आरबीआई ने स्पॉट और ऑफशोर दोनों बाजारों में बड़ी मात्रा में डॉलर बेचे हैं, जिससे रुपये में तेज उछाल आया है। साथ ही भारत-अमेरिका के बीच जल्द ही व्यापार समझौते की उम्मीद ने भी बाजार की भावना को मजबूती दी है।”
मौजूद रिपोर्ट्स के अनुसार, नई दिल्ली अगले महीने तक अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता को अंतिम रूप देने की कोशिश में है। यह संभावना, साथ ही अमेरिकी फेडरल रिज़र्व द्वारा संभावित ब्याज दर कटौती की उम्मीदों ने रुपये को और समर्थन दिया है।
एमयूएफजी बैंक के वरिष्ठ मुद्रा विश्लेषक माइकल वान ने कहा कि आरबीआई का हालिया हस्तक्षेप यह संकेत देता है कि केंद्रीय बैंक फिलहाल रुपये को “बहुत तेजी से कमजोर” नहीं होने देना चाहता। उन्होंने कहा कि व्यापार समझौते की उम्मीदें, आरबीआई की सक्रियता और कमजोर अमेरिकी डॉलर का माहौल — इन तीनों ने मिलकर रुपये को मजबूत किया है।
जानकारों का कहना है कि यदि रुपया लगातार 88.10 प्रति डॉलर के स्तर से ऊपर रह पाता है, तो आने वाले दिनों में यह 87 प्रति डॉलर के स्तर की ओर बढ़ सकता है। कुल मिलाकर, आरबीआई के हस्तक्षेप, वैश्विक आर्थिक रुझानों और सकारात्मक व्यापार उम्मीदों ने रुपये को एक बार फिर मजबूती का सहारा दिया है।
अन्य न्यूज़













