सेबी ने बिक्री पेशकश नियमों में बदलाव किया

संशोधित नियमों के तहत अब दो बिक्री पेशकश के बीच अंतर को 12 सप्ताह से घटाकर दो सप्ताह कर दिया है। इसके अलावा, खुदरा निवेशकों को दूसरी श्रेणी के बिना अभिदान वाले हिस्से के लिये बोली लगाने की अनुमति दी गयी है।
बाजार नियामक सेबी ने मंगलवार को बिक्री पेशकश (ओएफएस) नियमों में बदलाव किया। इससे उन प्रवर्तकों और बड़े शेयरधारकों के लिये चीजें सरल होंगी, जो बिक्री पेशकश के जरिये अपने शेयर बेचना चाहते हैं। संशोधित नियमों के तहत अब दो बिक्री पेशकश के बीच अंतर को 12 सप्ताह से घटाकर दो सप्ताह कर दिया है। इसके अलावा, खुदरा निवेशकों को दूसरी श्रेणी के बिना अभिदान वाले हिस्से के लिये बोली लगाने की अनुमति दी गयी है। साथ ही सूचीबद्ध रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट) और अवसंरचना निवेश ट्रस्ट (इनविट) के यूनिट धारकों को अपनी हिस्सेदारी ओएफएस के जरिये पेशकश करने की इजाजत दी गयी है।
संशोधित नियम 10 फरवरी से प्रभाव में आएंगे। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने परिपत्र में कहा कि शेयरधारकों का न्यूनतम पेशकश का आकार ओएफएस के जरिये शेयर बिक्री को लेकर 25 करोड़ होना चाहिए। हालांकि, एक ही चरण में न्यूनतम शेयरधारिता हासिल करने के लिये प्रवर्तक या प्रवर्तक समूह की इकाइयों के लिये पेशकश का आकार 25 करोड़ रुपये से कम हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि सेबी निदेशक मंडल ने सितंबर में ओएफएस के जरिये शेयरों की पेशकश को लेकर गैर-प्रवर्तक शेयरधारकों के मामले में न्यूनतम 10 प्रतिशत शेयरधारिता की आवश्यकता को खत्म करने का फैसला किया था। बिक्री पेशकश व्यवस्था उन कंपनियों के लिये उपलब्ध है, जिनका बाजार पूंजीकरण 1,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक है। सेबी ने दो ओएफएस के बीच अंतराल के बारे में कहा कि मौजूदा 12 सप्ताह से अधिक के अंतर को कम कर दो सप्ताह से 12 सप्ताह से अधिक कर दिया गया है। यह पात्र कंपनियों के प्रतिभूतियों की बिक्री को लेकर स्थिति पर निर्भर करेगा। हालांकि, कंपनियों के प्रवर्तक या प्रवर्तक समूह की इकाइयां, जिनके शेयरों का कारोबार अधिक या कम होता है, वे अपने शेयर ओएफएस या पात्र संस्थागत नियोजन के जरिये दो सप्ताह के अंतर पर पेश कर सकते हैं।
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