कोरोना वायरस संकट के बावजूद सेंसेक्स 2020-21 में 66 फीसदी से अधिक मजबूत

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कोविड संकट के बावजूद सेंसेक्स 2020-21 में 66 प्रतिशत से अधिक मजबूत हुआ।बीएसई सेंसेक्स पिछले साल तीन अप्रैल को 27,500.79 अंक के न्यूनतम स्तर तक चला गया था। लेकिन बाद में इसमें तेजी आयी और यह 16 फरवरी, 2021 को 52,516.76 अंक के अबतक के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया।

नयी दिल्ली। शेयर बाजार ने चालू वित्त वर्ष में विभिन्न बाधाओं के बावजूद निवेशकों को अच्छा रिटर्न दिया। कोविड-19 संकट और अर्थव्यवस्था पर पड़े उसके प्रभाव के बाद भी बीएसई सेंसेक्स में 66 प्रतिशत से अधिक की तेजी आयी। बाजार विश्लेषकों ने वित्त वर्ष 2020-21 को तीव्र उतार-चढ़ाव वाला वर्ष करार दिया। न केवल भारतीय बाजार बल्कि दुनिया भर के शेयर बाजारों में यही स्थिति देखने को मिली। गिरावट से उबरते हुए तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स में चालू वित्त वर्ष में अबतक 19,540.01 अंक यानी 66.30 प्रतिशत उछाल आ चुका है। चालू वित्त वर्ष में उतार-चढ़ाव को देखते हुए बाजार में यह तेजी काफी महत्वपूर्ण है। बीएसई सेंसेक्स पिछले साल तीन अप्रैल को 27,500.79 अंक के न्यूनतम स्तर तक चला गया था। लेकिन बाद में इसमें तेजी आयी और यह 16 फरवरी, 2021 को 52,516.76 अंक के अबतक के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजय कुमार ने कहा, ‘‘लॉकडाउन से जुड़ी पाबंदियों में ढील दिये जाने तथा अर्थव्यवस्था के तेजी से पटरी पर आने के मामले में प्रगति के साथ शेयर बाजार में तेजी आयी। टीके की खोज से जो एक भरोसा जगा, उससे बाजार में और तेजी आयी। वैश्विक स्तर पर नवंबर में शेयर बाजारों में जोरदार तेजी आयी।

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विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) उभरते बाजारों में लगातार निवेश किये।’’ चालू वित्त वर्ष में कई ऐसे मौके आये जब सेंसेक्स रिकार्ड स्तर पर पहुंचा। यह वित्त वर्ष 31 मार्च को समाप्त होगा। इसमें अभी दो कारोबारी दिवस बचे हैं। मुख्य सूचकांक पहली बार तीन फरवरी को 50,000 अंक के ऊपर बंद हुआ। मुख्य रूप से बजट के प्रावधानों को लेकर उत्साह से बाजार में तेजी आयी। यह आठ फरवरी को 51,000 अंक के ऊपर बंद हुआ। सेंसेक्स पहली बार 15 फरवरी को 52,000 अंक से ऊपर बंद हुआ। विजयकुमार के अनुसार, ‘‘2021-22 का केंद्रीय बजट काफी महत्वपूर्ण रहा। निजीकरण जैसे बड़े सुधारों से बाजार धारणा को बल मिला।’’ रेलिगेयर ब्रोकिंग लि. के उपाध्यक्ष (अनुसंधान) अजीत मिश्रा ने कहा कि बाजार को जिस चीज से भरोसा मिला, वह था अर्थव्यवस्था को फिर से खोला जाना जिससे कंपनियों में कामकाज शुरू हो पाया। इससे निवेशकों को एक भरोसा जगा कि बाजार में पुनरूद्धार बना रहेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘पुन: सरकार और आरबीआई दोनों ने अर्थव्यवस्था और वृहत आर्थिक तत्वों को पटरी पर लाने के लिये कदम उठाये। इसके अलावा अनुकूल वैश्विक बाजार तथा टीकाकरण अभियान की शुरूआत से भी बाजार को बल मिला।’’ हालांकि हाल में कोविड-19 के बढ़ते मामलों से निवेशकों की धारणा पर फिर प्रतिकूल असर पड़ा है।

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विजयकुमार ने कहा, ‘‘अब बड़ी चिंता भारत में कोविड मामलों में दोबारा से तेजी जबकि यूरोप के कुछ भागों में तीसरी तेजी को लेकर है। हालांकि इसका उतना प्रभाव पड़ने की आशंका नहीं है। इसका कारण तेजी से टीकाकरण अभियान का चलाया जाना है। इससे फिर से पूर्ण रूप से ‘लॉकडाउन’ की आशंका नहीं हैं केवल सीमित स्तर पर पाबंदियां लगायी जा सकती हैं।’’ आने वाले समय के बारे में उन्होंने कहा कि बाजार में तेजी बने रहने की उम्मीद है क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व 2023 तक ब्याज दरों को शून्य के करीब रखने को प्रतिबद्ध है। मिश्रा के अनुसार बाजार के लिये धारणा पर असर पहले ही पड़ चुका है। ‘‘हालांकि हमें बाजार में घबराने वाली स्थिति नजर नहीं आती। क्योंकि निवेशक इस बात से वाकिफ हैं कि सरकार का जोर अब अर्थव्यवस्था को तेजी से पटरी पर लाने पर है। आने वाले समय में टीकाकरण अभियान में तेजी आएगी, इससे भी दबाव और कम होगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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