बेनामी लेनदेन पर अब सात साल तक की बामशक्कत कैद

[email protected] । Aug 16 2016 5:27PM

जमीन जायदाद की खरीद फरोख्त में कालेधन के प्रयोग पर अंकुश लगाने को बने नए कानून के तहत संपत्ति रखने वालों के लिए सात साल तक के कठोर कारावास की सजा और जुर्माना हो सकता है।

जमीन जायदाद की खरीद फरोख्त में कालेधन के प्रयोग पर अंकुश लगाने के लिए बनाए गए एक नए कानून के तहत संपत्ति रखने वालों के लिए सात साल तक के कठोर कारावास की सजा और जुर्माना हो सकता है। ऐसा रीयल एस्टेट क्षेत्र में कालेधन के प्रवाह को कम करने के लिए सरकार द्वारा पारित किए गए एक नए विधेयक की वजह से संभव हो सकेगा। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हाल ही में बेनामी लेनदेन निषेध (संशोधन) कानून-2016 पर हस्ताक्षर किया और यह अधिनियम अधिसूचित किया जा चुका है। इस में बेनामी संपत्ति को जब्त करने और इसके खिलाफ भारी जुर्माने का प्रावधान है।

इसके तहत वह सम्पत्ति बेनामी संपत्ति मानी जाएगी जो किसी और व्यक्ति के नाम हो या हस्तांतरित की गयी हो लेकिन उसका प्रावधान या भुगतान किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किया गया हो। इस तरह का सौदा बेनामी सम्पत्ति के प्रावधान या भुगतान करने वाले को तत्काल या भविष्य में लाभ पहुंचाने के उद्येश्य से किया गया होता है। बेनामी लेनदेन कानून 1988 में संशोधन के लिए इस विधेयक को पिछले साल वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले वर्ष 13 मई को लोकसभा में पेश किया था उसके बाद उसे वित्त मामलों की संसदीय स्थायीह समिति के पास भेज दिया गया। समिति ने इस पर अपनी रपट गत 28 अप्रैल को दी। लोकसभा ने इस विधेयक को 27 जुलाई को पारित किया और राज्यसभा ने दो अगस्त को इसे मंजूरी दी।

नए कानून में दोषी व्यक्ति को एक साल से सात साल तक के कठोर कारावास की सजा मिल सकती है। इसके उस पर आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है उस संपत्ति के बाजार मूल्य के 25 प्रतिशत तक हो सकता है। पुराने कानून में तीन साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों का प्रावधान था। नए कानून में ऐसे लेनदेन के बारे में जानबूझकर गलत जानकारी देने वालों के खिलाफ भी जुर्माना लगाने का प्रावधान है। ऐसा करने पर कम से कम छह महीने और अधिकतम पांच वर्ष के कठिन कारावास की सजा के साथ उस संपत्ति के बाजार मूल्य के हिसाब से 10 प्रतिशत तक राशि का जुर्माना लगाया जा सकता है।

नए कानून में कोई भी कानूनी कार्रवाई केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की पूर्वानुमति के बिना शुरू नहीं की जाएगी। अधिकारी ने बताया कि नए कानून की मदद से रीयल एस्टेट क्षेत्र में कालेधन के प्रवाह पर नजर रखने में मदद मिलेगी। इस कानून में एक ‘एडमिनिस्ट्रेटर’ (प्रशासक) नियुक्त करने का प्रावधान है जो इस कानून के तहत जब्त की जाने वाली संपत्तियों का प्रबंधन करेगा। इस नए कानून के मुताबिक इस कानून के तहत दंडनीय अपराधों की सुनवाई के लिए केंद्र सरकार एक या एक से अधिक सत्र अदालत या विशेष अदालतें निर्धारित कर सकती है।

We're now on WhatsApp. Click to join.

Tags

    All the updates here:

    अन्य न्यूज़