सुब्बाराव ने एनपीए समस्या के लिये ‘निष्क्रियता’ की बात मानी

[email protected] । Aug 6 2016 2:33PM

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सुब्बाराव ने आज स्वीकार किया कि उनके कार्यकाल के दौरान केंद्रीय बैंक के कुछ ‘कार्यकलापों अथवा निष्क्रियता’ मौजूदा फंसे कर्ज की समस्या का एक कारण हो सकती है।

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव ने आज स्वीकार किया कि उनके कार्यकाल के दौरान केंद्रीय बैंक के कुछ ‘कार्यकलापों अथवा निष्क्रियता’ मौजूदा फंसे कर्ज की समस्या का एक कारण हो सकती है। उन्होंने कहा कि उन्हें उन मुद्दों का समाधान करना चाहिए था। सुब्बाराव ने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हममें से किसी ने नहीं सोचा था कि एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति या फंसा कर्ज) इतनी बड़ी समस्या हो जाएगी। पीछे मुड़कर देखूं तो मेरा मानना है कि मुझे एनपीए की समस्या का समाधान करना चाहिए था। यहां तक कि जब मैं अपनी किताब लिख रहा था, मैं बहुत आश्वस्त नहीं था कि मुझे सार्वजनिक संवाद में कुछ और जोड़ना चाहिये। इसके अलावा मैं यह कहूंगा कि मौजूदा बैंकिंग संकट के लिये कुछ वजह मेरे कार्यकाल के दौरान रिजर्व बैंक के कार्यकलापों अथवा निष्क्रियता का भी नतीजा हो सकता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘..अब जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे लगता है कि मुझे उन मुद्दों का समाधान करना चाहिए था।’’ सुब्बाराव की यह स्वीकारोक्ति उसके कुछ दिन बाद आई है जब रिजर्व बैंक के मौजूदा गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि केन्द्रीय बैंक को खातों को साफ सुथरा बनाने का काम पहले शुरू करना चाहिये था। राजन ने बैंकों के फंसे कर्ज के चलते बैंकों की बैंलेस सीट को साफ सुथरा बनाने के लिये बड़ा कदम उठाया है। यह पूछे जाने पर कि क्या दुनिया में लेहमैन ब्रदर्स जैसा संकट फिर से होगा, पूर्व गवर्नर ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि लेहमैन जैसा संकट संभवत: नहीं होगा लेकिन अन्य संकट निश्चित रूप से संभव है।’’ सुब्बाराव ने रिजर्व बैंक का गवर्नर रहते अपने स्मृतियों को समेटे हाल ही में ‘हू मूव्ड माई इंटरेस्ट रेट’ नाम से किताब लिखी है। नौकरशाह से रिजर्व बैंक का गवर्नर बने सुब्बाराव ने कहा कि वित्त मंत्रालय से जाने के बाद चीजों को देखने का नजरिया बदल गया।

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