एयर इंडिया को सौंपने के लिए टाटा बेहतर कॉरपोरेट घराना : मोंटेक सिंह अहलूवालिया

Montek Singh Ahulwalia
प्रतिरूप फोटो

जहांगीर रतनजी दादाभाई (जेआरडी) टाटा ने 1932 में एयरलाइन की स्थापना की थी। तब इसे टाटा एयरलाइंस कहा जाता था। यह अंतरराष्ट्रीय सेवा भारत में पहली सार्वजनिक-निजी भागीदारी में से एक थी, जिसमें सरकार की 49 प्रतिशत, टाटा की 25 प्रतिशत और जनता की शेष हिस्सेदारी थी।

नयी दिल्ली| पूर्ववर्ती योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने बृहस्पतिवार को कहा कि कर्ज में डूबी एयरलाइन एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए टाटा समूह से बेहतर स्थिति भारत में किसी अन्य कॉरपोरेट घराने की नहीं है।

टाटा संस सरकार द्वारा संचालित एयरलाइन के अधिग्रहण के लिए शीर्ष बोलीदाता के रूप में उभरा है, लेकिन बोली को गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के एक समूह द्वारा अनुमोदित किया जाना बाकी है।

ऑनलाइन आयोजित एक कार्यक्रम में एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘आपके पास टाटा से बेहतर स्थिति वाला कॉरपोरेट नहीं हो सकता है, हम इसे (सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया को) सौंप सकते हैं।’’

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एयर इंडिया स्पेसिफिक अल्टरनेटिव मैकेनिज्म (एआईएसएएम) नामक पैनल के अन्य सदस्य वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं। जहांगीर रतनजी दादाभाई (जेआरडी) टाटा ने 1932 में एयरलाइन की स्थापना की थी। तब इसे टाटा एयरलाइंस कहा जाता था। यह अंतरराष्ट्रीय सेवा भारत में पहली सार्वजनिक-निजी भागीदारी में से एक थी, जिसमें सरकार की 49 प्रतिशत, टाटा की 25 प्रतिशत और जनता की शेष हिस्सेदारी थी।

एयर इंडिया का1953 में राष्ट्रीयकरण किया गया था। सरकार राष्ट्रीय एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की कोशिश कर रही है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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