अदालत ने डीडीए से कहा: कॉलोनियां बनाते वक्त सार्वजनिक शौचालय भी बनाएं
दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से कहा कि जब वह कोई आवासीय कॉलोनी बनाए तो उसे यह सुनिश्चित करना चाहिये कि इलाके के गार्ड , सफाईकर्मियों और ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों जैसे अनिवासी लोगों के लिये भी सार्वजनिक शौचालय तथा पेयजल सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएं।
नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से कहा कि जब वह कोई आवासीय कॉलोनी बनाए तो उसे यह सुनिश्चित करना चाहिये कि इलाके के गार्ड , सफाईकर्मियों और ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों जैसे अनिवासी लोगों के लिये भी सार्वजनिक शौचालय तथा पेयजल सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने डीडीए से पूछा कि अगर ये लोग ड्यूटी के घंटों के दौरान पानी पीना चाहेंगे या उन्हें शौचालय का प्रयोग करना हो तो वे कहां जाएंगे। अदालत ने डीडीए से पूछा , ‘‘ जो महिला पुलिस अधिकारी ट्रैफिक ड्यूटी पर तैनात हैं वे क्या करें ? वे कहां जाएं ? आप दिल्ली के सबसे बड़े योजनाकार हैं , क्या आपको इसकी योजना नहीं बनानी चाहिये?’’अदालत ने डीडीए को इस समस्या पर सुविचारित तरीके से गौर करने का निर्देश दिया। पीठ ने डीडीए को 23 अक्तूबर को सुनवाई की अगली तारीख तक अपना रुख बताने का निर्देश दिया। अदालत एक विधि छात्रा द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उत्तर पश्चिमी दिल्ली के रोहिणी इलाके की कुछ आवासीय कॉलोनियों में तैनात गार्ड की दुर्दशा को बताया गया है।
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