पेलियोन्टोलॉजिस्ट बनकर करें पृथ्वी पर जीवन इतिहास का अध्ययन

Paleontology

एक जीवाश्म विज्ञानी जीवाश्मों अर्थात् प्राचीन जीवों के अवशेषों का अध्ययन करते हैं ताकि पृथ्वी या प्रागैतिहासिक जीवन पर पिछले जीवन की पड़ताल की जा सके। यह छोटे बैक्टीरिया से लेकर विशालकाय डायनासोर तक हैं, ये जीवाश्म एक अरब वर्ष पुराने भी हो सकते हैं।

पृथ्वी पर जीवन की शुरूआत लाखों−करोड़ों साल पहले ही हो गई है। ऐसे कई जीव व जानवर हैं, जो सालों पूर्व धरती पर मौजूद थे, लेकिन अब वह विलुप्त हो चुके हैं। लेकिन उनके जीवाश्म की मदद से पृथ्वी पर जीवन के इतिहास के अध्ययन को ही पेलियोन्टोलॉजी कहा जाता है। यह जीवाश्मों के अध्ययन के माध्यम से पृथ्वी पर पिछले जीवन की जांच है। जीवाश्म पौधों, जानवरों, कवक, बैक्टीरिया और अन्य एकल−कोशिका वाले जीवित जीवों के अवशेष या निशान हैं जो भूवैज्ञानिक अतीत में रहते थे और पृथ्वी की क्रस्ट में संरक्षित हैं। आमतौर पर यह माना जाता है कि पेलियोन्टोलॉजिस्ट सिर्फ डायनासोर का अध्ययन करते हैं, जबकि यह सच नहीं है। बल्कि यह जीवाश्मों की मदद से पृथ्वी पर जीवित चीजों की पूरी प्रजातियों का अध्ययन है। तो चलिए जानते हैं कि इस क्षेत्र में कैसे बनाएं करियर−

क्या होता है काम

एक जीवाश्म विज्ञानी जीवाश्मों अर्थात् प्राचीन जीवों के अवशेषों का अध्ययन करते हैं ताकि पृथ्वी या प्रागैतिहासिक जीवन पर पिछले जीवन की पड़ताल की जा सके। यह छोटे बैक्टीरिया से लेकर विशालकाय डायनासोर तक हैं, ये जीवाश्म एक अरब वर्ष पुराने भी हो सकते हैं। वे प्रागैतिहासिक जीवन रूपों और जीवाश्मों की परीक्षा के माध्यम से पौधे और पशु जीवन के विकास पर शोध करते हैं। वे विलुप्त प्रजातियों के बारे में जानने के लिए जानवरों की हड्डियों, गोले और कास्ट का उपयोग करते हैं। साथ ही वह जीवाश्मों का पता लगाने और जीवाश्मों के बारे में प्रासंगिक तथ्यों की पहचान करने के लिए विभिन्न वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करते हैं। उनके कार्यक्षेत्र में जीवाश्मों का पता लगाना और उनकी खुदाई करना, निष्कर्षों की पहचान, अनुसंधान और उन्हें साझाकरण करना शामिल है।

इसे भी पढ़ें: प्रकृति से है प्यार तो बागवानी को बनाएं कमाई का जरिया

पर्सनल स्किल्स

पेलियोन्टोलॉजिस्ट को कंप्यूटर की अच्छी जानकारी होनी चाहिए और सांख्यिकीय विश्लेषण में सक्षम होना चाहिए। इसके अलावा उसमें मौखिक और लिखित संचार कौशल भी होने चाहिए, क्योंकि उन्हें पेशेवरों की एक टीम के साथ काम करना होता है। पैलियोन्टोलॉजिस्ट के पास उच्च जिज्ञासा स्तर और इमेजिनेशन पावर होनी चाहिए। उन्हें तार्किक और गंभीर रूप से सोचने में सक्षम होना चाहिए, जिज्ञासु और अत्यंत विश्लेषणात्मक होना चाहिए, और एकत्रित डेटा या जानकारी से निष्कर्ष निकालने की क्षमता भी इस क्षेत्र के लिए बेहद जरूरी है। चूंकि जीवाश्म विज्ञान एक कठिन काम है, जिसमें जीवाश्मों को खोजने और खुदाई करने के लिए बहुत से बाहरी काम करने की आवश्यकता होती है, एक इच्छुक व्यक्ति को धैर्यपूर्ण होना चाहिए।

योग्यता

पैलियोन्टोलॉजी एक विज्ञान से संबंधित लेकिन व्यापक क्षेत्र है। इसलिए एक जीवाश्म विज्ञानी को भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और भूविज्ञान को जानना आवश्यक है। जीवाश्म विज्ञान में अधिकांश प्रवेश स्तर के पदों के लिए भूविज्ञान या पृथ्वी विज्ञान में मास्टर डिग्री की आवश्यकता होती है। वहीं रिसर्च और कॉलेज टीचिंग के लिए पीएच.डी होना आवश्यक है। कई भाषाओं का ज्ञान इस क्षेत्र के लिए एक अतिरिक्त लाभ है।

इसे भी पढ़ें: लोकलाइजेशन में रोजगार की अपार संभावनाएं, ऐसे बनाए अपना भविष्य

रोजगार की संभावनाएं

एक पेलियोन्टोलॉजिस्ट के रूप में आप कॉलेजों और विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थान, संग्रहालयों, या राज्य और संघीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षणों, प्रयोगशालाओं आदि में काम कर सकते हैं। जीवाश्म विज्ञानी सार्वजनिक व निजी दोनों ही क्षेत्रों में रोजगार की संभावनाएं तलाश सकते हैं।

आमदनी

एक जीवाश्म विज्ञानी की आमदनी उनके शिक्षा के स्तर, अनुभव व जहां पर वे काम करते हैं, उस पर निर्भर करती है। निजी क्षेत्र में आपकी योग्यता व अनुभव के आधार पर अच्छा वेतन मिलता है। शुरूआती रूप में एक जीवाश्म विज्ञानी 15000 से 25000 रूपए प्रतिमाह आसानी से कमा सकता है। इसके बाद आपके अनुभव के आधार पर आमदनी बढ़ती जाती है।

इसे भी पढ़ें: ऑफिस में प्रमोशन ना मिलने पर निराश ना हों, करें यह काम

प्रमुख संस्थान

भारत में केवल एक संस्थान जीवाश्म विज्ञान में एक पाठ्यक्रम प्रदान करता है और यह हैदराबाद के बंडलागुडा में स्थित जिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया है।

वरूण क्वात्रा

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़