रूस में कीजिए डॉक्टरी की पढ़ाई, जानें जरूरी बातें!

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कई लोग इस गलतफहमी के शिकार होते हैं कि रूस से प्राप्त मेडिकल की डिग्री की बहुत वैल्यू नहीं होती है, तो आपको बता दें कि नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट यानी एनसीआई और डब्ल्यूएचओ, यानी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन रूसी यूनिवर्सिटी की डिग्री को मान्यता देते हैं।

बेशक आज कॅरियर के चाहे जितने आप्शन उपलब्ध हों, किंतु हकीकत यह है कि आज भी डॉक्टरी जैसे ट्रेडिशनल कोर्स का काफी क्रेज है। आज भी डॉक्टरी में एडमिशन हर किसी को नहीं मिलता और जिनको मिलता है, उनको इसके लिए भारी-भरकम फीस चुकानी पड़ती है।

इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि डॉक्टरी का पेशा अपने आप में 'सेल्फ एंप्लॉयड' पेशा है। आपने कोर्स किया और आप बड़ा हॉस्पिटल नहीं, तो छोटा क्लीनिक खोल कर अपना काम जमा सकते हैं। भारत जैसे देश में जहां अभी भी डाक्टरों की भारी कमी है, लाखों लोगों पर डॉक्टरों की जितनी संख्या होनी चाहिए, उससे कम संख्या उपलब्ध है।

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भारत में विदेशों की तुलना में मेडिकल कॉलेजेस की भी काफी कम संख्या है और इसीलिए कई लोग विदेशों की ओर रुख करते हैं।

रूस जैसा देश जो भारत का पुराना रणनीतिक सहयोगी रहा है, वहां भी मेडिकल कोर्सेज करने के लिए लोग स्वेच्छा से जाते हैं। आइए जानते हैं इससे संबंधित जरूरी बातें...

इसके लिए सबसे पहले आपको नीट, यानी नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट पास करना जरूरी होता है। इसके बाद ही आप यहां दाखिला ले सकते हैं। 'रूस में 25 परसेंट सीट्स विदेशी छात्रों लिए आरक्षित हैं। भारत के छात्र जो रूस से पढना चाहते हैं, उनके मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के मुताबिक 50 परसेंट मार्क होने ज़रूरी हैं।

अगर खर्च की बात करें तो रूस में मेडिकल की पढ़ाई करना अपेक्षाकृत कम सस्ता है। खासकर तब, जब अमेरिका या दूसरी यूरोपियन कंट्रीज से हम तुलना करते हैं। खास बात यह भी है कि रूस में अगर आप पढ़ाई करना चाहते हैं, तो मेडिकल कोर्सेज के लिए काफी सब्सिडी दी जाती है। एक अनुमान के मुताबिक, तकरीबन 12-13 लाख रुपए में आप मेडिकल का कोर्स भारत के इस 'मित्र देश' में आसानी से कर सकते हैं। खर्च के मामले में बता दें कि यह इंडिया के मुकाबले आधा ही पड़ता है।

जहां तक सब्सिडी की बात है, तो खुद कई यूनिवर्सिटीज को रूस की सरकार चलाती है, और इस वजह से वहां इंफ्रास्ट्रक्चर और दूसरी फैसिलिटीज भी गवर्नमेंट ही उपलब्ध कराती है। इसलिए आसानी से सब्सिडी भी मिल जाती है। अगर छात्रों की बात करें तो इसके लिए वहां एक डेडीकेटेड डिपार्टमेंट है, और वही हॉस्टल इत्यादि दूसरी सुविधाओं की देखरेख करता है।

कई लोग इस गलतफहमी के शिकार होते हैं कि रूस से प्राप्त मेडिकल की डिग्री की बहुत वैल्यू नहीं होती है, तो आपको बता दें कि नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट यानी एनसीआई और डब्ल्यूएचओ, यानी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन रूसी यूनिवर्सिटी की डिग्री को मान्यता देते हैं। जाहिर तौर पर भारत में भी इसे मान्यता मिल ही जाती है।

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वैसे भी ज्ञान कहीं बेकार नहीं जाता है। अगर आप भी रूस से मेडिकल कोर्स करना चाहते हैं और कहीं पैसे की कमी आती है तो छात्रों को प्रोसेसिंग फीस पर ही तकरीबन $1000 की स्कॉलरशिप मिल जाती है, जो आपकी पढ़ाई के दौरान परफॉर्मेंस पर निर्भर करती है।

दुनिया भर में जिस प्रकार से मेडिकल कोर्स की डिमांड बढ़ी है, उसने लोगों को इस और बड़ी संख्या में आकर्षित किया है।

कोरोना वायरस महामारी ने पूरी दुनिया को एक बार फिर से डॉक्टरों की अहमियत समझा दी है, बल्कि ठीक से समझा दी है। ऐसे में निश्चित रूप से मेडिकल कोर्सेज में लोगों का इंटरेस्ट बढेगा, इस बात में दो राय नहीं है।

- मिथिलेश कुमार सिंह

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