उत्तर प्रदेश को पूरी तरह मोदीमय बनाने जा रहे हैं अमित शाह

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अजय कुमार । Jul 2 2018 12:17PM

उत्तर प्रदेश को लेकर संघ (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) और बीजेपी आलाकमान सक्रिय हो गया है। संघ पर्दे के पीछे से रणनीति बना रहा है तो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और ''चाणक्य'' अमित शाह ऊपर से नीचे तक पार्टी के पेंच कसने में लगे हैं।

आम चुनाव की दस्तक सुनाई पड़ते ही उत्तर प्रदेश को लेकर संघ (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) और बीजेपी आलाकमान सक्रिय हो गया है। संघ पर्दे के पीछे से रणनीति बना रहा है तो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और 'चाणक्य' अमित शाह ऊपर से नीचे तक पार्टी के पेंच कसने में लगे हैं। देश को सबसे अधिक 80 लोकसभा सीट देने वाले उत्तर प्रदेश को लेकर भारतीय जनता पार्टी बेहद गंभीर है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पीएम मोदी ने 28 जून 2018 को उत्तर प्रदेश (संतकबीरनगर) से ही 2019 के चुनाव प्रचार का आगाज कर दिया। इसी कड़ी में 15−16 जुलाई को दो दिवसीय दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी आ रहे हैं। जहां वे कई कार्यक्रमों में शामिल होंगे।

भाजपा 2014 जैसा परिणाम एक बार फिर दोहराने के प्रयास में है। इसके लिए भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश को मोदीमय बनाने का खाका खींच दिया है। संतकबीरनगर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अब उत्तर प्रदेश के हर जिले में प्रतिमाह एक−एक रैली का कार्यक्रम तय किया जा रहा है जिससे कि विपक्षी दलों के महागठबंधन को धराशायी किया जा सके। चुनावी रण में मोदी सेनापति की तरह बखूबी लड़ सकें इसकी अभेद्य व्यूह रचना तैयार करने के लिये अमित शाह 4 एवं 5 जुलाई को उत्तर प्रदेश के दौरे पर रहेंगे। शाह 4 जुलाई को मिर्जापुर में और 5 जुलाई को आगरा में बैठक करेंगे ताकि वह यूपी की हर लोकसभा सीट की थाह ले सकें।

बीजेपी अध्यक्ष शाह 4 जुलाई को वाराणसी आएंगे और वहां से सीधे मिर्जापुर जाएंगे। यहां वह भाजपा के काशी, गोरक्ष और अवध क्षेत्र के संगठनात्मक पदाधिकारियों और लोकसभा और विधानसभा सीट स्तर पर बनाये गए विस्तारकों के साथ बैठक करेंगे। इसी तरह की बैठक 5 जुलाई को ब्रज क्षेत्र आगरा में होगी। यहां शाह ब्रज पश्चिम और कानपुर क्षेत्र के पदाधिकारी और विस्तारकों के साथ रणनीतिक चर्चा करेंगे। लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने विस्तारकों की ड्यूटी लगा रखी है। ये संगठन के पूर्णकालिक कार्यकर्ता होते हैं। यूपी में पार्टी के 163 विस्तारक हैं।

मिली जानकारी के अनुसार शाह दोनों ही जगहों पर तीन चरणों में बैठक करेंगे। यहां वह विधानसभा व लोकसभा विस्तारक जो पिछले एक साल से क्षेत्रों में हैं, उनके साथ संवाद स्थापित कर जमीनी हकीकत समझेंगे। सांसदों और विधायकों दोनों के ही प्रदर्शन आंकने की यह कड़ी होगी। इसी आधार पर यह भी तय होगा कि किस सांसद का टिकट काटा जाये और किसका दोहराया जाये। प्रदेश के करीब दो दर्जन सांसदों के बारे में यह खबर आ रही है कि विभिन्न वजहों से क्षेत्रीय जनता इन सांसदों से काफी नाराज है और इनका टिकट नहीं बदला गया तो बीजेपी को यहां हार का समाना करना पड़ सकता है। संगठनात्मक बैठकों में जहां अमित शाह नेताओं और कार्यकर्ताओं को सियासी जमीन मजबूत करने के गुर बताएंगे तो वहीं वर्चुअल मीडिया में भी फोकस बनाये रहने का तरीका बताया जायेगा। मिर्जापुर जाने से पहले शाह पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में यूपी के आईटी सेल के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। इस दौरान मोदी−योगी सरकार के विकास कार्यों की कैसे ब्रैंडिंग करनी है, विपक्ष पर हमले की दिशा क्या होगी और सोशल मीडिया पर जवाबी वार कैसे करना है, यह सब बताया जायेगा।

बता दें कि बसपा−सपा के संभावित गठबंधन को लेकर बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल में ही दिल्ली जाकर संघ के बड़े नेताओं से बातचीत की थी। शाह के इस दौरे को निकट भविष्य में प्रदेश में योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार या फेरबदल और लोकसभा चुनाव की तैयारियों से भी जोड़कर देखा जा रहा है। प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक ने शाह के 4 जुलाई को मिर्जापुर और 5 जुलाई को आगरा आने की पुष्टि की है।

गौरतलब है कि वर्ष 2013 में यूपी का प्रभारी बनने के बाद से ही अमित शाह का फोकस उत्तर प्रदेश में माइक्रो प्लानिंग पर रहा है। प्रभारी रहते और फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद ज्यादातर मौकों पर लखनऊ में बड़ी बैठकें करने के बजाय उन्होंने छोटे−छोटे जिलों में जाकर जमीनी कार्यकर्ताओं से संवाद को तवज्जो दी है। अब 2019 के लिए भी वह माइक्रो प्लानिंग पर ही जोर दे रहे हैं।

-अजय कुमार

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