लोकतंत्र के कट्टर विरोधी जॉन ली के हाथों में हांगकांग की कमान सौंप कर चीन ने दिया बड़ा संदेश

Hong Kong to John Lee
Prabhasakshi

जॉन ली का विस्तार से आपको परिचय दें तो बता दें कि उन्हें जिस 1500 सदस्यीय चुनाव समिति ने नेता चुना है उसमें सारे चीन समर्थक लोग शामिल हैं। कमाल की बात देखिये कि जॉन ली इस चुनाव में एकमात्र उम्मीदवार थे।

हांगकांग की कमान एक ऐसे नेता ने संभाल ली है जो लोकतंत्र का कट्टर विरोधी है, जो जनता की आवाज को दबाने में खुशी महसूस करता है, जो शी जिनपिंग का परम भक्त है, जो मानवाधिकारों का हनन करने की रेस में सबसे आगे रहने का पूरा प्रयास करता है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं जॉन ली की जिन्होंने हांगकांग के नये नेता के रूप में कमान संभाल ली है। लगभग ढाई साल बाद हांगकांग के दौरे पर आये शी जिनपिंग ने जॉन ली को शपथ दिलाई। कामकाज संभालते ही जॉन ली ने दमन का सिलसिला भी शुरू कर दिया है।

शी जिनपिंग के संबोधन की बड़ी बातें

वैसे जॉन ली के बारे में विस्तार से बात करने से पहले जरा नजर डालते हैं शी जिनपिंग के हांगकांग दौरे से जुड़ी बड़ी बातों पर। हम आपको बता दें कि पूरी दुनिया की नजर शी जिनपिंग के हांगकांग दौरे पर बनी हुई थी क्योंकि पूरी दुनिया जानती है कि हांगकांग की जनता किस प्रकार चीनी दमन की कार्रवाई झेल रही है। हालांकि अपने दौरे के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने किसी भी प्रकार के दमन के आरोपों को तो खारिज किया ही साथ ही हांगकांग के लिए अपनी ‘‘एक देश, दो प्रणाली’’ नीति का बचाव भी किया। शी ने अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य देशों के उन आरोपों को भी खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया है कि चीन ने 'एक देश दो प्रणाली' नीति के जरिए 50 वर्ष के लिए हांगकांग को स्वतंत्रता एवं स्वायत्तता देने के वादे को कमजोर किया है।

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हांगकांग में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शी जिनपिंग ने कहा, ''एक देश, दो प्रणाली’’ की नीति ने सार्वभौमिक रूप से सफलता प्राप्त की है। शी जिनपिंग का मानना है कि यह नीति हांगकांग को उसके स्वयं के कानून और अपनी सरकार बनाने का अधिकार देती है। शी ने कहा, ''इस तरह की सफल व्यवस्था को बदलने के लिए कोई वजह मौजूद नहीं है, बल्कि इसे लंबे समय तक कायम रखना चाहिए।’’ देखा जाये तो उनका यह बयान हांगकांग के लोगों को आश्वस्त करने का एक प्रयास प्रतीत होता है कि 50 वर्ष के बाद भी हांगकांग की स्वतंत्रता कायम रहेगी। शी ने जहां अपनी नीतियों को सही बताया वहीं दुनिया को आगाह करते हुए कहा कि हांगकांग के मामलों में विदेशी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जायेगा और देशद्रोहियों के प्रति कोई सहिष्णुता नहीं बरती जाएगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और विकास के हितों की रक्षा करना सर्वोच्च प्राथमिकता है। शी ने कहा, ''दुनिया का कोई भी देश या क्षेत्र विदेशी या देशद्रोही ताकतों को सत्ता पर कब्जा करने की अनुमति नहीं देगा।’’

हांगकांग में क्या-क्या बदला?

हम आपको बता दें कि हांगकांग को 'एक देश, दो प्रणाली' की व्यवस्था तब प्रदान की गयी थी, जब 1997 में ब्रिटेन ने वहां से उपनिवेश शासन की समाप्ति के उपरांत हांगकांग को वापस चीन के हवाले किया था। उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन ने एक जुलाई, 1997 को हांगकांग को चीन को लौटा दिया था। हांगकांग को चीनी शासन को सौंपने की वर्षगांठ को चीन बड़ी धूमधाम से मनाता है। इस बार 25वीं वर्षगांठ के मौके पर शी जिनपिंग हांगकांग पहुँचे थे। कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण करीब ढाई साल बाद शी हांगकांग की यात्रा पर आए थे। शी जिनपिंग इससे पहले इस खास दिन का जश्न मनाने एक जुलाई 2017 को हांगकांग आए थे। इस अवसर पर आयोजित ध्वजारोहण समारोह में शी जिनपिंग और शहर की निवर्तमान नेता कैरी लैम सहित कई अन्य लोगों ने शिरकत की थी। ध्वजारोहण समारोह तेज हवाओं के बीच आयोजित किया गया और चीन तथा हांगकांग के झंडे लाने वाले पुलिस अधिकारियों ने ब्रिटिश शैली में निकाले जाने वाले मार्च की जगह चीनी ‘गूज़-स्टेपिंग’ शैली में मार्च निकाला।

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जहां तक हांगकांग में मानवाधिकारों की बात है तो हम आपको बता दें कि वहां मानवाधिकारों का लगातार हनन किया जाता है और लोकतंत्र समर्थकों को रौंदा जाता है और अब तो उस व्यक्ति को हांगकांग का नेता बना दिया गया है जिसने यहां के लोगों पर सर्वाधिक जुल्म ढाये हैं। इसके अलावा हांगकांग के बारे में यह भी जान लेना जरूरी है कि शी जिनपिंग के नेतृत्व में, चीन ने हांगकांग में विरोध प्रदर्शनों पर नकेल कसने और असंतोष को शांत करने के लिए सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने, स्कूलों में ‘देशभक्ति’ संबंधी पाठ्यक्रम शुरू करने और चुनाव कानूनों में बदलाव करने समेत कई बदलाव किए हैं। 

कौन हैं जॉन ली?

जॉन ली का विस्तार से आपको परिचय दें तो बता दें कि उन्हें जिस 1500 सदस्यीय चुनाव समिति ने नेता चुना है उसमें सारे चीन समर्थक लोग शामिल हैं। कमाल की बात देखिये कि जॉन ली इस चुनाव में एकमात्र उम्मीदवार थे। अमूमन एकमात्र उम्मीदवार होने पर निर्विरोध निर्वाचन की घोषणा हो जाती है लेकिन अकेले उम्मीदवार जॉन ली के लिए वोट डलवाये गये ताकि दिखाया जा सके कि जॉन ली कितने वोटों से जीते हैं। जॉन ली, एक पूर्व सुरक्षा अधिकारी हैं। हांगकांग में 2019 के लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों के बाद से असंतोष जताने वाली घटनाओं पर कार्रवाई उनकी निगरानी में ही की गई थी। जॉन ली ने शपथ ग्रहण करते हुए शहर के लघु-संविधान, मूल कानून को बनाए रखने और हांगकांग के प्रति निष्ठा रखने का संकल्प किया। उन्होंने चीन सरकार के प्रति जवाबदेह रहने का भी संकल्प किया।

हम आपको बता दें कि जॉन ली ने सिविल सेवा के अपने कॅरियर का ज्यादातर समय पुलिस व सुरक्षा ब्यूरो में बिताया है और वह वर्ष 2020 में हांगकांग पर लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के कट्टर समर्थक हैं। इस सख्त कानून का उद्देश्य हांगकांग से असंतोष को पूरी तरह खत्म करना है। इसके अलावा जॉन ली चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार और वहां के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भरोसेमंद नेताओं में गिने जाते हैं।

बहरहाल, शी जिनपिंग की हांगकांग नीति लगातार सफल हो रही है। हम आपको बता दें कि 2021 में हांगकांग के चुनावी कानूनों में बड़े बदलाव किए गए थे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल चीन के प्रति वफादार देशभक्त को ही हांगकांग की कमान मिले। ऐसे में शी के वफादार जॉन ली अब जबकि हांगकांग के नये नेता के रूप में काबिज हो चुके हैं तो उनका एकमात्र काम होगा जनता की आवाज को दबा कर रखना।

-नीरज कुमार दुबे

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