उत्तर प्रदेश में तेजी से बढ़ते कोरोना के मामलों से योगी सरकार की चिंता बढ़ी

yogi adityanath
अजय कुमार । Jul 18 2020 11:48AM

अस्पतालों से लेकर तमाम सरकारी और निजी कार्यालयों में भी कोरोना ने ‘दस्तक’ दे दी है। गत दिनों लखनऊ में एक सरकारी चिकित्सक की कोरोना से मौत हो गई। इसके अलावा भी स्वास्थ्य सेवाओं में लगे कई कर्मचारी कोरोना की चपेट में हैं।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जिस कोरोना वायरस को प्रदेश में पांव पसारने से काफी हद तक रोक रखा था। वही कोरोना अब योगी सरकार के काबू से बाहर होता जा रहा है। कोरोना वायरस के संक्रमण से बिगड़ी स्थिति ने योगी सरकार के हाथ-पांव फुला दिए हैं। सरकार ने कोरोना से निपटने के लिए जो इंतजाम किए थे, वह छोटे पड़ने लगे हैं। कोराना मरीज इलाज के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटक रहे हैं। कोरोना पीड़ितों को इलाज मिलना तो दूर, ऐसा लगता है उनकी भर्ती तक के लिए क्या छोटे-बड़े सभी अस्पतालों में ‘नो इंट्री’ का बोर्ड लगा दिया गया हो। मरीजों को इलाज मिलना तो दूर भर्ती तक नहीं मिल रही है। यूपी में कोरोना की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कोरोना से निपटने के लिए बनाई गई योगी की टीम-11 तक के ‘दरवाजे’ पर कोरोना ‘दस्तक’ दे चुका है। मंत्री से लेकर संतरी तक और अधिकारी से लेकर चपरासी तक सबके बीच कोरोना पहुंच गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय लोकभवन में भी कोरोना संक्रमण फैल गया है। पूरे प्रदेश में कोरोना महामारी के चलते शनिवार और रविवार को लॉकडाउन चल रहा है, लेकिन इससे भी जब बात नहीं बनी तो लखनऊ के चार थाना क्षेत्रों में सोमवार से लगातर लॉकडाउन लगाए जाने की घोषणा कर दी गई है।

इसे भी पढ़ें: विकास दुबे के बहाने ‘ब्राह्मण कार्ड’ खेलने वाले कर रहे हैं तुच्छ राजनीति

प्रदेश में लगातार कोरोना पीड़ितों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। अस्पतालों से लेकर तमाम सरकारी और निजी कार्यालयों में भी कोरोना ने ‘दस्तक’ दे दी है। गत दिनों लखनऊ में एक सरकारी चिकित्सक की कोरोना से मौत हो गई। इसके अलावा भी स्वास्थ्य सेवाओं में लगे कई कर्मचारी कोरोना की चपेट में हैं। कोरोना मरीजों के साथ स्वास्थ्य महकमा कैसा व्यवहार करता होगा, इसका अहसास तब और भी गहरा हो गया, जब खबर यह आई की किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय, लखनऊ (केजीएमयू) में कार्यरत एक नर्स सहित व तीन और कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं। मगर रोंगटे खड़े करने वाली खबर यह थी कि उक्त कोरोना पीड़ित नर्स और तीन कर्मचारियों को केजीएमयू ने ही अपने यहां भर्ती करने से मना कर दिया। इसके चलते उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग को केजएमयू को नोटिस देकर इस संबंध में केजीएमयू से जवाब मांगना पड़ गया।

हालात यह है कि मुख्यमंत्री योगी की टीम-11 कोरोना के खिलाफ मीटिंग और मॉनिटरिंग तो खूब कर रही है, लेकिन जमीन पर यह सब कुछ नाकाफी साबित हो रहा है। कोरोना संक्रमण पर लगाम जारी रखने के लिए जारी निर्देशों की करीब-करीब सभी जगह लापरवाही हो रही है। कोरोना पीड़ित इलाज के लिए हेल्प लाइन नंबर घुमाता रहता है, लेकिन यह हर समय बिजी रहता है। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का आलम यह है कि जहां करोना पीड़ित मिलते हैं, उसके आस-पास तक के घरों की जांच नहीं होती है। यह भी नहीं पता लगाया जाता है कि संक्रमित पुरूष या महिला के सम्पर्क में कौन-कौन आया था। इस संबंध में जब मुख्य चिकित्साधिकारी, लखनऊ से पूछा गया तो उनका कहना था दो दिनों से लोड बढ़ने के कारण कुछ समय लग रहा है, लेकिन सभी औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी। यहां तक की अन्य राज्यों से और विदेश से आने वाले लोग तय नियम-कानून के तहत होम क्वारंटीन हो रहे हैं या नहीं ? यह भी कोई पूछने वाला नहीं है। बाहर से आए लोग खुले आम घूम-फिर रहे हैं। औपचारिकता ने नाम पर 14 दिनों के बाद स्वास्थ्य विभाग से एक फोन जरूर आ जाता है, जिसमें भी खानापुरी से अधिक कुछ नहीं होता है। हालात यह हैं कि हॉट-स्पॉट, कंटेनमेंट जोन आदि में लगातार कोरोना पीड़ितों की संख्या बढ़ने के बाद भी सख्ती की बात बेमानी हो गई है।

इसे भी पढ़ें: पुलिस-क्राइम-पॉलिटिक्स के सहारे गैंगस्टर बने विकास दुबे का ऐसा अंत होना ही था

आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो उत्तर प्रदेश में मार्च से लेकर 25 जून तक यानी चार महीने में 20,325 रोगी सामने आए थे। जुलाई में हर दिन ज्यादा मरीजों के मिलने के बन रहे रिकॉर्ड के चलते सिर्फ 16 दिनों में 20,260 मरीज सामने आए हैं। प्रदेश में बीते 24 घंटे में अब सर्वाधिक 2083 नए कोरोना संक्रमित मिले हैं, इससे पहले 15 जुलाई को 1685 कोरोना संक्रमित मिले थे। अब कुल मरीजों का आंकड़ा 43,492 पहुंच गया है, जबकि 15,720 एक्टिव केस हैं। बीते 24 घंटे में 34 और लोगों की मौत हुई। अब तक कुल 1046 मरीज इस खतरनाक वायरस की चपेट में आकर दम तोड़ चुके हैं। 16 जुलाई को कोरोना ने एक नया रिकॉर्ड बना लिया। इस दिन लखनऊ में 308 नए रोगी मिले तो प्रदेश भर में सर्वाधिक 48,046 लोगों की कोरोना जांच की गई। प्रदेश में अभी तक कुल 13,25,327 लोगों का कोरोना टेस्ट किया जा चुका है।

बहरहाल, इस बीच योगी सरकार ने लखनऊ के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए यह फरमान जारी कर दिया है कि राजधानी में कोविड-19 के पॉजिटिव मरीजों को भर्ती होने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। सीएमओ की विशेष टीमें सूचना मिलने के दो घंटे के भीतर ही उन्हें कोविड हॉस्पिटल पहुंचाएंगी। रोगियों की पहचान के लिए सर्विलांस टीमें भी एक्टिवेट की जाएंगी। सर्विलांस टीमें घर-घर जाकर खांसी जुकाम व बुखार से पीड़ित लोगों की पहचान कर परीक्षण करवाएंगी। कोई कोरोना पॉजिटिव मिलता है तो जानकारी सीएमओ को देंगी। सीएमओ दो घंटे में उन्हें भर्ती करवाएंगे। एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशनों पर आने वाले यात्रियों का परीक्षण करवाकर ट्रैवल हिस्ट्री जुटाई जाएगी। इसके लिए नोडल अधिकारी नामित किए जाएंगे। ट्रैवल हिस्ट्री वाले व्यक्ति प्रोटोकाल के अनुपालन में होम क्वारंटीन रहेंगे। अगर वे होम क्वारंटीन नहीं रहते हैं तो उनके खिलाफ महामारी एक्ट में एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी। इसके अलावा अगर किसी भी कार्यालय में कोविड-19 हेल्प डेस्क और थर्मल स्कैनर, पल्स ऑक्सीमीटर व सैनिटाइजर नहीं पाया गया तो जिम्मेदार प्रभारी के खिलाफ भी एफआईआर होगी।

इसे भी पढ़ें: प्रियंका वाड्रा प्रयास तो कर रही हैं, लेकिन मुकाबला भाजपा-सपा के बीच ही होगा

बात कोरोना पर सियासत की कि जाए तो कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कोरोना के मामलों को लेकर योगी सरकार पर बदइंतजामी का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि एक तरफ कोरोना महामारी विकराल रूप ले रही है और दूसरी तरफ यूपी से जो समाचार मिल रहे हैं, उनमें केवल बदइंतजामी ही है। कांग्रेस महासचिव ने 16 जुलाई को अपनी प्रतिक्रिया ट्विटर के माध्यम से दी। उन्होंने कहा- यूपी में कोरोना के 2083 नए संक्रमित मरीज मिले हैं। बीते 24 घंटे में 34 लोगों की मौत हुई है। एक तरफ कोरोना की रफ्तार विकराल रूप ले रही है। दूसरी तरफ पूरे यूपी से आ रही खबरों के अनुसार बदइंतजामी चरम पर है। इस लचर व्यवस्था के साथ विकराल रूप लेती महामारी का सामना कैसे होगा? 

-अजय कुमार

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़