वोटों की राजनीति के चलते गैस चैंबर बन गए हैं दिल्ली व एनसीआर

delhi pollution
ANI

हर दिन हजारों की संख्या में श्वांस के रोगियों की तादाद बढ़ रही है। बच्चों और बुजुर्गों का जीना मुहाल हो चुका है। दिल्ली का वायुमंडल विश्व में सबसे प्रदूषित करार दिया जा चुका है। वोटों की राजनीति राजधानी के लोगों के जीवन पर भारी पड़ रही है।

जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने करीब 60 लाख यहूदियों की गैस चैम्बर में जहरीली गैस छोड़ कर हत्या की थी। कमोबेश यही हालत देश के नेता राजधानी दिल्ली के करोड़ों लोगों की कर रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि हिटलर ने नस्लवादी मानसिकता से सुनयोजित तरीके से इस भीषण नरसंहार को अंजाम दिया था और भारत में नेताओं की वोटों की राजनीति के कारण इसे अंजाम दिया जा रहा है। प्रदूषित जहरीली हवा से तिल-तिल करके मरने के लिए करोड़ों लोगों को छोड़ दिया गया है। दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी परियोजना क्षेत्र के करोड़ों लोग जहरीली हवा लेने को मजबूर हैं। वायु प्रदूषण से मुंबई की हालत भी खराब है। दिल्ली की तरह मुंबई भी गैस चेंबर बनी हुई है। मुंबई की हवा में सांस लेना एक दिन में 100 सिगरेट पीने के बराबर आंकी गई है। दिल्ली की हालत इससे भी कई गुना ज्यादा खराब है। दिल्ली में इतनी बड़ी आबादी लापरवाही और राजनीतिक स्वार्थों के चलते भीषण प्रदूषित हवा से तिल-तिल करने को मजबूर है।

हर दिन हजारों की संख्या में श्वांस के रोगियों की तादाद बढ़ रही है। बच्चों और बुजुर्गों का जीना मुहाल हो चुका है। दिल्ली का वायुमंडल विश्व में सबसे प्रदूषित करार दिया जा चुका है। वोटों की राजनीति राजधानी के लोगों के जीवन पर भारी पड़ रही है। यदि सुप्रीम कोर्ट इसमें दखल नहीं देता तो दिल्ली और आस-पास के हालात शायद हिटलर के कत्लगाह बने जहरीले गैस चैम्बर जैसे बन जाते। दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी परियोजना क्षेत्र में जानलेवा बने वायु प्रदूषण के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली की दमघोंटू जहरीली हवा लोगों के स्वास्थ्य की हत्या के लिए जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण एक राजनीतिक लड़ाई नहीं बन सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर सर्दियों में दिल्ली के वायु प्रदूषण में बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी के पीछे पड़ोसी राज्यों- पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना एक प्रमुख कारक है। इसमें पंजाब सरकार से पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए कदम उठाने को कहा गया। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के वकील से कहा कि हम नहीं जानते कि आप इसे कैसे करते हैं, यह आपका काम है। लेकिन इसे रोका जाना चाहिए। तुरंत कुछ किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील अपराजिता सिंह ने कहा कि पंजाब में खेतों में लगने वाली आग पर काबू नहीं पाया जा सका है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता में गिरावट के लिए पराली जलाने का प्रमुख योगदान है। उन्होंने कहा कि सीएक्यूएम (वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग) और राज्य कह रहे हैं कि वे वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सभी कदम उठा रहे हैं। लेकिन पराली जलाना अभी भी जारी है। प्रदूषण की समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश को निर्देश देते हुए कहा कि ये राज्य पराली जलाना तुरंत बंद कर दें। मामले पर कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निशाने पर लिया।

इसे भी पढ़ें: पर्यावरण को तहस-नहस कर देता है युद्ध, हमलों के दौरान जो प्रदूषक निकलते हैं वह प्रकृति को गंभीर नुकसान पहुँचाते हैं

जस्टिस संजय किशन कौल और सुधांशु धुलिया की बेंच ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण कम करने वाले स्मॉग टावर लगाए गए और उनका खूब प्रचार किया गया लेकिन वह बंद पड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरफ से पराली को नष्ट कर खाद बनाने वाले केमिकल के प्रचार पर भी सवाल उठाया। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार ने पराली को खाद बनाने वाले एक केमिकल का दावा किया था। क्या यह कभी सफल हुआ? लगता है यह सब सिर्फ दिखावा ही था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में केवल एक दूसरे पर दोषारोपण का खेल जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने अपना बुलडोजर शुरू किया तो हम नहीं रुकेंगे। अदालत ने यह भी पूछा कि पंजाब में धान क्यों उगाया जा रहा है, जबकि जलस्तर पहले से ही इतना नीचे है। आप क्या कर रहे हैं? अपने जलस्तर को देखें। आप पंजाब में धान की अनुमति क्यों दे रहे हैं? आप पंजाब को हरित भूमि से बिना फसल वाली भूमि में बदलना चाहते हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि पंजाब में धान की खेती का विकल्प खोजा जाए। पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में कोई कमी नहीं आ रही है। पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं से राज्य की आबोहवा खराब हो रही है। इसका असर दूसरे राज्यों पर भी पड़ रहा है। प्रमुख शहर जैसे अमृतसर, बठिंडा, लुधियाना में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) काफी खराब कैटेगरी में चल रहा है। पंजाब में सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले सामने आए हैं। पंजाब में कुल 1,830 मामले दर्ज किया जा चुके हैं। फिरोज़पुर दूसरे नंबर पर हैं। अकेले फिरोज़पुर में 299 मामले पराली जलाने के दर्ज किए गए है।

दिवाली के बाद वायु प्रदूषण की हालत और भी खराब हो गयी है। चिकित्सकों के मुताबिक पिछले कुछ महीनों से ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जो फेफड़ों के इंफेक्शन से ठीक होने के बाद भी सांस फूलने की शिकायत कर रहे हैं। युवा मरीजों में भी ऐसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं। कई गंभीर मरीजों को आईसीयू में भर्ती करना पड़ा है। ऐसे लक्षणों वाले सभी मरीजों में करीब 50 प्रतिशत या दो में से एक जो ओपीडी में आ रहे हैं, उन्हें कम से कम एक या दो दिनों के लिए भर्ती होना पड़ रहा है। करीब 30 प्रतिशत मरीजों को आईसीयू में एडमिट होने की जरूरत होती है। वायु प्रदूषण से लंग्स कैंसर के मामले भी बढ़ रहे हैं। द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण 2019 में भारत में 16.7 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई। जो देश में अब तक हुई कोविड-19 से हुई मौतों से दस गुना अधिक है। जिससे लगभग 36.8 बिलियन डॉलर (2,71,446 करोड़ रुपये) का आर्थिक नुकसान हुआ। एम्स, आईसीएमआर और आईआईटी-दिल्ली के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन और ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी, 2019 शीर्षक से, इनडोर और आउटडोर दोनों में वायु प्रदूषण के आर्थिक प्रभाव को मापा गया, क्योंकि इससे समय से पहले होने वाली मौतों के कारण आउटपुट का नुकसान हुआ और रुग्णता बढ़ी।

अध्ययन में कहा गया है कि ये मौतें पिछले साल देश में हुई कुल मौतों का 17.8 प्रतिशत थीं, जबकि आर्थिक नुकसान भारत के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.36 प्रतिशत था। वायु प्रदूषण से भारत के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में साल दर साल लगभग 0.56 प्रतिशत की कमी आ रही है, क्योंकि जीडीपी की गणना में शामिल वस्तुओं एवं सेवाओं पर वायु प्रदूषण नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। भारत में वायु प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित स्तर का लगभग 20 गुना और भारत के अपने मानकों से दो गुने से भी अधिक है। वायु, जल, भूमि और ध्वनि प्रदूषण स्वास्थ्य के साथ-साथ अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। प्रदूषण के लगातार गहराते संकट को देखते हुए अब तो यह भी आशंका व्यक्त की जा रही है कि वायु प्रदूषण से होने वाला आर्थिक नुकसान 2024 तक भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के सपने पर भी पानी फेर सकता है। प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण वायु प्रदूषण माना जाता है। यह दुनिया में असमय मृत्यु का चौथा सबसे बड़ा कारण है। ऐसा नहीं है कि प्रदूषण से होने वाले देश के लोगों के स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान का राजनीतिक दलों और केंद्र व राज्य सरकारों को अंदाजा नहीं है, किन्तु क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थों के सामने राष्ट्रवाद बौना साबित हो रहा है। देश की तरक्की और निर्धारित आर्थिक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जरूरी है सरकारें राष्ट्रहित को सर्वोपरी रखें।

-योगेन्द्र योगी

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़