स्वामी अग्निवेश को पीटना हिन्दू पाकिस्तान की बात सच होने जैसा है

It is like being true of Hindu Pakistan, beating Swami Agnivesh

स्वामी अग्निवेशजी के साथ झारखंड के एक जिले में भीड़ ने जो व्यवहार किया है, वह इतना शर्मनाक और वहशियाना है कि उसकी भर्त्सना के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। एक संन्यासी पर आप जानलेवा हमला कर रहे हैं और ‘जय श्रीराम’ का नारा लगा रहे हैं।

स्वामी अग्निवेशजी के साथ झारखंड के एक जिले में भीड़ ने जो व्यवहार किया है, वह इतना शर्मनाक और वहशियाना है कि उसकी भर्त्सना के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। एक संन्यासी पर आप जानलेवा हमला कर रहे हैं और ‘जय श्रीराम’ का नारा लगा रहे हैं। आप श्री राम को शर्मिंदा कर रहे हैं। आपको राम देख लेते तो अपना माथा ठोक लेते। आप खुद को रावण की औलाद सिद्ध कर रहे हैं। आप अपने आपको हिंदुत्व का सिपाही कहते हैं। अपने आचरण से आप हिंदुत्व को बदनाम कर रहे हैं। क्या हिंदुत्व का अर्थ कायरपन है ? इससे बढ़कर कायरता क्या होगी कि एक 80 साल के निहत्थे संन्यासी पर कोई भीड़ टूट पड़े ? उसे डंडे और पत्थरों से मारे ? उसके कपड़े फाड़ डाले, उसकी पगड़ी खोल दे, उसे जमीन पर पटक दे ? 

स्वामी अग्निवेश पिछले 50 साल से मेरे अभिन्न मित्र हैं, संन्यासी बनने के पहले से। वे तेलुगुभाषी परिवार की संतान हैं और हिंदी के कट्टर समर्थक हैं। महर्षि दयानंद के वे अनन्य भक्त हैं और कट्टर आर्यसमाजी हैं। वे संन्यास लेने के पहले कलकत्ते में प्रोफेसर थे। वे एक अत्यंत सम्पन्न और सुशिक्षित परिवार के बेटे होने के बावजूद संन्यासी बने। उन्हें पाकिस्तान का एजेंट कहना कितनी बड़ी मूर्खता है। उन्हें गोमांस-भक्षण का समर्थक कहना किसी पाप से कम नहीं है। उन्होंने और मैंने हजारों आदिवासियों, ईसाइयों और मुसलमानों मित्रों का मांसाहार छुड़वाया है। उन्हें ईसाई मिशनरियों का एजेंट कहने वालों को पता नहीं है कि अकेले आर्य समाज ने इन धर्मांध विदेशी मिशनरियों को भारत से खदेड़ा है।

अग्निवेशजी पर हमला करने के पहले उन पर ये सब आरोप लगाना पहले दर्जे की धूर्त्तता है। अग्निवेशजी ने जिस शिष्टता से उन हमलावर प्रदर्शनकारियों को अंदर बुलाया, उसका जैसा जवाब उन्होंने दिया है, वह जंगली जानवरपन से कम नहीं है। स्वामी अग्निवेशजी के कुछ विचारों और कामों से मैं भी सहमत नहीं होता हूं। उनकी आलोचना भी करता हूं। लेकिन उनके साथ इस तरह का जानवरपन करने का अधिकार किसी को भी नहीं है। ये हमलावर यदि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा से संबंधित हैं तो मैं मोहन भागवतजी और अमित शाह से कहूंगा कि वे इन्हें तुरंत अपने संगठनों से निकाल बाहर करें और इन्हें कठोरतम सजा दिलवाएं।

इस तरह के लोगों के खिलाफ कठोर कानून बनाने की सलाह सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को दी है लेकिन सरकार का हाल किसे पता नहीं हैं। वह किंकर्तव्यविमूढ़ है। उसे पता ही नहीं है कि उसे क्या करना चाहिए। देश में भीड़ द्वारा हत्या की कितनी घटनाएं हो रही हैं लेकिन दिन-रात भाषण झाड़ने वाले हमारे प्रचारमंत्रीजी इस मुद्दे पर अपना मुंह खोलने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाते। यदि सर संघचालक मोहन भागवत भी चुप रहेंगे तो राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के बारे में जो शशि थरूर ने कहा है, वह सच होने में देर नहीं लगेगी। 

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

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