पीएम मोदी की अफ्रीकी व दक्षिण अमेरिकी देशों की यात्रा से ग्लोबल साउथ को मिलेगी मजबूती, भारत की वैश्विक धमक बढ़ेगी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने 9 दिवसीय विदेश दौरे पर 2 जुलाई को घाना की राजधानी अकरा के लिए रवाना हो गए। उनकी इस यात्रा का उद्देश्य भी भारत के वैश्विक साझेदारी को ग्लोबल साउथ और अटलांटिक के दोनों पक्षों के साथ संबंधों को मजबूत करना है।
जब वैश्विक पटल पर अमेरिका और चीन एक दूसरे पर पलटवार करने के लिए रूस के मित्र भारत को अपने-अपने खेमे में मिलाने के लिए तरह-तरह की भारत विरोधी चालें चल रहे हैं, वहीं भारत अपनी सधी चाल से रूस को भी हैरत में डालते हुए ग्लोबल साउथ यानी तीसरी दुनिया के देशों पर निरंतर अपनी पकड़ मजबूत करता जा रहा है। इसलिए पीएम नरेंद्र मोदी विगत 11 वर्षों से लगातार वैश्विक यात्रा कर रहे हैं और भारत की वैश्विक स्थिति को काफी मजबूती प्रदान कर चुके हैं। उनकी कोशिश है कि भारत दुनिया के गुटनिरपेक्ष देशों को एक सशक्त नेतृत्व प्रदान करे और अपने साथ साथ सभी देशों का आशातीत विकास करे। इससे सत्य व अहिंसा की वैश्विक भावना को भी मजबूती मिलेगी।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने 9 दिवसीय विदेश दौरे पर 2 जुलाई को घाना की राजधानी अकरा के लिए रवाना हो गए। उनकी इस यात्रा का उद्देश्य भी भारत के वैश्विक साझेदारी को ग्लोबल साउथ और अटलांटिक के दोनों पक्षों के साथ संबंधों को मजबूत करना है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री की इस यात्रा में घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया का दौरा शामिल हैं। पीएम मोदी ने इन देशों को भारत की विदेश नीति के लिए महत्वपूर्ण साझेदार बताया, जो ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और बहुपक्षीय सहयोग से जुड़े हैं।
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अपने इस विदेश यात्रा के दौरान पीएम मोदी अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कई देशों की यात्रा करेंगे, जिसके अपने वैश्विक मायने हैं। इसके अलावा वह ब्राजील की मेजबानी में हो रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी शामिल होंगे, जहां वह ग्लोबल साउथ से जुड़े मुद्दों को उठाएंगे। स्पष्ट है कि उनकी यह यात्रा ग्लोबल साउथ में भारत की धमक बढ़ाएगी।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अफ्रीकी देश घाना की पहली द्विपक्षीय यात्रा की शुरुआत 2-3 जुलाई को की। वह पिछले तीन दशक में यहां आने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जॉन ड्रामानी महामा के निमंत्रण पर मैं 2-3 जुलाई को घाना का दौरा करूंगा। घाना ग्लोबल साउथ में एक मूल्यवान साझेदार है और अफ्रीकी संघ और पश्चिम अफ्रीकी राज्यों के आर्थिक समुदाय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने निवेश, ऊर्जा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और विकास साझेदारी जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि घाना की संसद में बोलना मेरे लिए सम्मान की बात होगी।
बता दें कि घाना के राष्ट्रपति जान महामा 2015 में इंडिया-अफ्रीका फोरम समिट के लिए भारत आए थे। वह जनवरी 2025 में तीसरी बार राष्ट्रपति चुने गए हैं। चूंकि घाना भारत को बड़े पैमाने पर वस्तुओं का निर्यात करता है और पश्चिम अफ्रीका की सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं में से वह एक है। लिहाजा दोनों देश व्यापार और निवेश बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। घाना से भारत के आयात में 70 प्रतिशत हिस्सेदारी गोल्ड की है। प्रधानमंत्री मोदी महामा के साथ द्विपक्षीय भागीदारी की समीक्षा करने के साथ ही आर्थिक, ऊर्जा, रक्षा और विकास सहयोग के जरिये इसे और मजबूत बनाने के तौर-तरीकों पर बात करेंगे।
वहीं, 3-4 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी त्रिनिदाद एवं टोबैगो की यात्रा करेंगे। क्योंकि कैरिबियाई द्वीप में रहने वाले कुल प्रवासी भारतीयों में से 40-45 प्रतिशत त्रिनिदाद एवं टोबैगो में रहते हैं। प्रधानमंत्री कमला परसाद बिसेसर और राष्ट्रपति क्रिस्टिनी कार्ला कंगालू दोनों ही भारतीय मूल के हैं। लिहाजा प्रधानमंत्री के तौर पर नरेन्द्र मोदी की त्रिनिदाद एवं टोबैगों की यह पहली यात्रा होगी। पीएम मोदी ने कहा कि वह भारत के साथ गहरी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के बीच जुड़ाव साझा करता है। उन्होंने कहा कि मैं राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू से मिलूंगा, जो इस साल के प्रवासी भारतीय दिवस की मुख्य अतिथि थीं और दूसरी बार कार्यभार संभालने वालीं प्रधानमंत्री कमला परसाद-बिसेसर से मुलाकात करूंगा।
उल्लेखनीय है कि प्रवासी समुदाय के लंबे समय से चले आ रहे रिश्तों को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 180 साल पहले भारतीय पहली बार त्रिनिदाद और टोबैगो पहुंचे थे। यह दौरा हमारे पुश्तैनी और रिश्तेदारी के विशेष बंधनों को नया जीवन देने का अवसर देगा। पीएम मोदी पोर्ट ऑफ स्पेन से ब्यूनस आयर्स जाएंगे, जो 57 साल में किसी भारतीय प्रधानमंत्री का अर्जेंटीना का पहला द्विपक्षीय दौरा होगा। वहीं, 1999 के बाद भारतीय पीएम की यह पहली द्विपक्षीय यात्रा भी होगी। क्योंकि पीएम मोदी ने नवंबर 2024 में गुयाना की यात्रा की थी। देखा जाए तो महज आठ माह में कैरेबियाई द्वीप की दूसरी यात्रा से इस बात का संकेत मिलता है कि भारत इस क्षेत्र को कितनी अहमियत दे रहा है। बता दें कि करीब 180 वर्ष पहले भारतीय प्रवासी यहां त्रिनिदाद एवं टोबैगो आए थे। दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्ते लगातार मजबूत हो रहे हैं और वित्त वर्ष 2024-25 में द्विपक्षीय व्यापार 34.16 करोड़ डॉलर पहुंच गया।
वहीं, 4-5 जुलाई को पीएम मोदी दक्षिणी अमेरिकी देश अर्जेटीना की यात्रा करेंगे। गत 57 वर्ष में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी। जहां वह अर्जेटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलेयी से मुलाकात के दौरान रक्षा, कृषि, खनन, तेल गैस और ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की संभावनाओं पर बात करेंगे। अर्जेंटीना को लैटिन अमेरिका में एक प्रमुख आर्थिक साझेदार और जी20 में निकट सहयोगी बताते हुए उन्होंने कहा कि मैं राष्ट्रपति जेवियर माइली से मुलाकात का इंतजार कर रहा हूं, जिनसे मैं पिछले साल भी मिला था। हम कृषि, महत्वपूर्ण खनिज, ऊर्जा, व्यापार, पर्यटन, प्रौद्योगिकी और निवेश जैसे क्षेत्रों में पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग को बढ़ाने पर ध्यान देंगे।
सनद रहे कि इससे पहले नवंबर, 2024 में ब्राजील में आयोजित जी20 समिट के दौरान दोनों नेताओं की मुलाकात हुई थी। भारत और अर्जेटीना ने खनिज संसाधनों खास कर लीथियम के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाया है। पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों की खपत कम करने और स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाने में लीथियम की भूमिका बेहद अहम है। अर्जेटीना भारत के लिए सोयाबीन और सूरजमुखी तेल का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। 2024 में भारत अर्जेटीना का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी और निर्यात गंतव्य था।
वहीं, 5-8 जुलाई को पीएम मोदी रियो डे जेनेरियो में ब्रिक्स समिट के दौरान ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा से मुलाकात करेंगे। समिट के बाद राष्ट्रपति सिल्वा पीएम मोदी के लिए स्पेशल डिनर की मेजबानी करेंगे। ब्रिक्स समिट में पीएम मोदी वैश्विक प्रशासन के सुधारों, शांति एवं सुरक्षा, बहुपक्षीय संस्थाओं को मजबूत करने, जिम्मेदारी के साथ एआइ के इस्तेमाल, जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम करने के लिए जरूरी कदमों और वैश्विक स्वास्थ्य पर बात करेंगे।
भारत की ब्रिक्स में महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि एक संस्थापक सदस्य के रूप में भारत ब्रिक्स को उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण मंच मानता है। हम मिलकर एक अधिक शांतिपूर्ण, समान, न्यायपूर्ण, लोकतांत्रिक और संतुलित बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के लिए प्रयास करते हैं। उन्होंने पुष्टि की है कि वह शिखर सम्मेलन के दौरान कई विश्व नेताओं के साथ मुलाकात करेंगे।
ब्राजील की यात्रा ब्रासीलिया में एक द्विपक्षीय राजकीय दौरे के साथ जारी रहेगी, जो लगभग छह दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला दौरा होगा। उन्होंने कहा कि यह दौरा ब्राजील के साथ हमारी निकट साझेदारी को मजबूत करने और मेरे मित्र राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा के साथ ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने का अवसर देगा।
बताया जा रहा है कि समिट से इतर वह कई देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। वहीं, ब्राजील की आधिकारिक यात्रा के दौरान वह राष्ट्रपति लूला के साथ व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष, तकनीक, कृषि और स्वास्थ्य के क्षेत्र में रणनीतिक भागीदारी को मजबूत करने के कदमों पर विचार विमर्श करेंगे। ब्राजील दक्षिण अमेरिका में भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है।
वहीं, 9 जुलाई को प्रधानमंत्री नामीबिया की अपनी पहली यात्रा करेंगे। इस दौरान पीएम मोदी वहां के संसद को संबोधित करेंगे। नामीबिया जाने वाले वह तीसरे भारतीय प्रधानमंत्री होंगे। पीएम मोदी की यात्रा का अंतिम पड़ाव नामीबिया होगा, जिसे उन्होंने एक भरोसेमंद साझेदार बताया। मोदी ने कहा कि वह राष्ट्रपति नेटुम्बो नंदी-नदैतवा से मुलाकात और हमारे लोगों, हमारे क्षेत्रों और व्यापक ग्लोबल साउथ के लाभ के लिए सहयोग का एक नया रोडमैप तैयार करने के लिए उत्सुक हैं। वह नामीबियाई संसद के संयुक्त सत्र को भी संबोधित करेंगे।
बता दें कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2000 में मात्र 30 लाख डॉलर था जो अब करीब 60 करोड़ डॉलर पहुंच गया है। भारतीय कंपनियों ने नामीबिया के खनन, मैन्यूफैक्चरिंग, डायमंड प्रोसेसिंग और सेवाओं के क्षेत्र में निवेश किया है। पीएम मोदी ने अपनी बहु-देशीय यात्रा के परिणामों के बारे में बात करते हुए कहा कि मुझे विश्वास है कि पांच देशों की मेरी यात्राएं ग्लोबल साउथ में हमारी दोस्ती के बंधनों को मजबूत करेंगी, अटलांटिक के दोनों पक्षों पर हमारी साझेदारी को और गहरा करेंगी और ब्रिक्स, अफ्रीकी संघ, इकोवास और कैरीकॉम जैसे बहुपक्षीय मंचों में हमारी भागीदारी को बढ़ाएंगी।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक
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