नये जमाने के बैंक लुटेरे गन नहीं अपना ''हुनर'' दिखाते हैं

PNB scam is slap on banking system
मनोज झा । Feb 22 2018 11:26AM

किसी बैंक में 11 हजार 400 करोड़ का घोटाला हो जाए और अधिकारियों को इसकी खबर ना हो ये बात हजम नहीं होती। पंजाब नेशनल बैंक को इतना बड़ा चूना लगाने के बाद मामा-भांजे की जोड़ी विदेशों में मौज कर रही है और यहां देश में भूचाल मचा है।

किसी बैंक में 11 हजार 400 करोड़ का घोटाला हो जाए और अधिकारियों को इसकी खबर ना हो ये बात हजम नहीं होती। पंजाब नेशनल बैंक को इतना बड़ा चूना लगाने के बाद मामा-भांजे की जोड़ी विदेशों में मौज कर रही है और यहां देश में भूचाल मचा है। घोटाले सामने आने के बाद प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई की टीम रोज अलग-अलग शहरों में छापेमारी कर रही है, नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चौकसी की संपत्तियां जब्त की जी रहीं हैं...लेकिन घोटाले के दो असली गुनहगार अब भी सीबीआई की गिरफ्त से दूर हैं।

वैसे सीबीआई ने नीरव मोदी की गिरफ्तारी के लिए इंटरपोल से मदद मांगी है...लेकिन लोगों को शक है कि ललित मोदी, विजय माल्या की तरह नीरव मोदी और उसका मामा भी हमारी पुलिस के हाथ नहीं लगेगा। पीएनबी में हुए घोटाले को लेकर सवालों के घेरे में आई मोदी सरकार दोषियों को कड़ी सजा दिलाने की बात तो कह रही है लेकिन साथ में ये भी कह रही है कि ये घोटाला कांग्रेस के समय में शुरु हुआ था। 

चलिए...राजनीतिक दलों को आपस में घोटाले पर सियासत करने दीजिए....देश की आम जनता तो बस ये जानना चाहती है कि आखिर इतना बड़ा घोटाला हुआ कैसे? जिस देश में बैंक मामूली रकम नहीं चुकाने पर छोटे किसानों के घर गुंडे भेजकर ट्रैक्टर उठवा लेते हैं उसी देश में अमीर और रसूखदार लोगों के लिए उसके नियम पिघल जाते हैं। अपने देश में शायद ही कोई ऐसा दिन हो जब देश के किसी कोने से किसी किसान की खुदकुशी की खबर ना आती हो...ज्यादातर मौत के मामलों के पीछे कोई और नहीं बैंक ही जिम्मेदार होता है। किसी किसान पर 1 लाख का कर्ज होता है तो किसी पर 2 लाख...अगर बड़े किसानों की बात करें तो लोन की रकम 5 से 10 लाख के बीच होती है। जरा सोचिए....और हमारी बैंकिंग व्यवस्था के बारे में सोचिए...कोई किसान लाख रुपए कर्ज नहीं चुकाने पर परेशान होकर खुदकुशी कर लेता है और कोई कारोबारी बैंक को 11 हजार 400 करोड़ का चूना लगा जाता है।

जब एक नौकरीपेशा आदमी बैंक से लोन लेता है तो उससे तमाम तरह के कागजात मांगे जाते हैं...तीन महीने की सैलरी स्लिप, दो साल का फॉर्म 16, कम से कम 6 महीने का बैंक स्टेटमेंट...इतना ही नहीं उसके बाद बैंक के लोग या तो घर आकर या फिर दफ्तर फोन कर तहकीकात भी करते हैं। लोन चुकाने का दबाव किस कदर होता है ये आम आदमी से बेहतर कोई नहीं बता सकता। बैंक का कर्ज चुकाते-चुकाते आम इंसान की जिंदगी तबाह हो जाती है...और तो और अगर कोई शख्स जीते जी कर्ज नहीं चुका पाता है तो मरने के बाद उसके बच्चे कर्ज चुकाते हैं।

लेकिन विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और रोटोमैक के मालिक विक्रम कोठारी के लिए सारे नियम ताक पर रख दिए जाते हैं। पंजाब नेशनल बैंक के मुंबई स्थित ब्रैडी हाउस ब्रांच में ये घोटाला साल 2011 से ही चल रहा था लेकिन अधिकारी आंख मूंद कर बैठे थे। हैरानी की बात तो ये है कि बैंक के ऑडिट में भी इस घोटाले को नहीं पकड़ा गया। तीन लेवल के ऑडिट के बाद भी अगर किसी बैंक में 7 सालों से घोटाला होता रहे तो फिर इस देश का भगवान ही मालिक है।

बैंक में किसी अफसर को तीन साल से ज्यादा नहीं टिकने दिया जाता है, उसका तबादला हो जाता है, लेकिन पीएनबी घोटाले में गिरफ्तार पूर्व डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी 7 साल तक उसी ब्रांच में तैनात रहा। साफ है इस महाघोटाले में टॉप के अधिकारी भी शामिल हैं। वैसे भी गिरफ्तारी के बाद सीबीआई से पूछताछ में शेट्टी ने कबूला है कि उन्हें एलओयू यानि लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जारी करने के बदले रिश्वत मिलती थी। शेट्टी के मुताबिक हर एलओयू की राशि पर कमीशन फिक्स था जो अफसरों के बीच बराबर-बराबर बांटी जाती थी। पूछताछ में ये भी खुलासा हुआ है कि इस घोटाले में पीएनबी के अधिकारियों के साथ नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की कंपनी के कर्मचारी भी शामिल थे।

एक पुरानी कहावत है...कर्ज लेकर घी पीना...विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और रोटोमैक के मालिक पर ये पूरी तरह फिट बैठता है। अधिकारियों से मिलीभगत कर बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगाकर ये सभी ऐशो-आराम की जिंदगी जी रहे हैं वहीं आम जनता अपनी गाढ़ी कमाई का एक-एक पैसा जोड़कर बैंक का कर्ज उतार रही है। 

आप ये जानकार हैरान रह जाएंगे कि हमारे देश के बैंकों का NPA 8 लाख 50 हजार करोड़ रुपए का हो चुका है जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए आगे चलकर खतरनाक साबित हो सकता है। एक तरफ सरकार घाटे में चल रहे सरकारी बैंकों को बचाने के लिए खजाने का एक बड़ा हिस्सा लुटा रही है...वहीं दूसरी तरफ वही बैंक नीरव मोदी जैसे कारोबारियों को घोटाला करने की आजादी दे रहे हैं। पिछले 11 सालों में सरकारी बैकों को घाटा पूरा करने के लिए 2 लाख 60 हजार करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। लेकिन इससे कुछ फायदा नहीं होने वाला, जब तक इस देश में माल्या और नीरव मोदी जैसे लोग सरकारी सिस्टम को उल्लू बनाते रहेंगे घोटाले का खेल जारी रहेगा। 

वैसे सरकार तो यही कह रही है कि नीरव मोदी से पाई-पाई वसूली जाएगी...लेकिन घोटालेबाज पर इसका कोई असर होता नहीं दिख रहा। नीरव मोदी ने पीएनबी प्रबंधन को धमकी भरी चिट्ठी लिखी है। उसने साफ-साफ लिखा है कि आपके रवैये से देश-विदेश में हमारा धंधा चौपट हो गया, अब हमारे लिए आपका बकाया चुकाना संभव नहीं होगा। इसे कहते हैं चोरी और सीनाजोरी, जो करना है कर लो...कार्रवाई तो तब करोगे जब मैं हाथ लगूंगा। वैसे घोटाले पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि बैंकिंग सिस्टम के साथ धोखाधड़ी करने वाले धोखेबाजों को सरकार पकड़ कर रहेगी। अब देखना है नीरव मोदी और उसका मामा मेहुल चौकसी गिरफ्त में आता है या फिर विजय माल्या की तरह विदेश में बैठकर हमारी सिस्टम को मुंह चिढ़ाता है।

मनोज झा

(लेखक टीवी चैनल में वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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