पहले अनिल अंबानी, अबकी बार अडाणी...राहुल गांधी के राजनीतिक निशाने पर उद्योगपति ही क्यों रहते हैं?

Gautam Adani
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महामारी के बाद जब पूरी दुनिया आर्थिक मंदी का सामना कर रही है तब भारत प्रगति कर रहा है। जब पूरी दुनिया की आर्थिक विकास दर घट रही है तो आईएमएफ कह रहा है कि भारत सबसे तीव्र गति से आर्थिक तरक्की कर रहा है और करता रहेगा।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अडाणी मुद्दे पर लोकसभा में अपनी आवाज बुलंद की और कहा कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान लोगों ने उनसे पूछा कि अडाणी कैसे हर बिजनेस में घुस जाते हैं? राहुल गांधी ने अडाणी पर आरोप तो तमाम लगाये लेकिन शायद वह पूरी तैयारी के साथ नहीं आये थे। राहुल गांधी को पता होना चाहिए कि गौतम अडाणी कांग्रेस की सरकार के दौरान ही उद्योगपति बने और एक कारोबारी के तौर पर उनको कांग्रेस की सरकारों ने ही आगे बढ़ाया था। गौतम अडाणी का कारोबार मोदी के कार्यकाल में ही बढ़ा है यह बात कहना गलत है। हम आपको बता दें कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल के दौरान 2011 में गौतम अडाणी ही देश में सबसे ज्यादा पैसा कमाने वाले उद्योगपति थे। उस समय प्रधानमंत्री पद पर नरेंद्र मोदी नहीं बल्कि कांग्रेस नेता डॉ. मनमोहन सिंह विराजमान थे। 2007 में भी देश में कांग्रेस की ही सरकार थी जब फोर्ब्स ने गौतम अडाणी को 13वें सबसे अमीर भारतीय के तौर पर नामित किया था।

इसके अलावा, गौतम अडाणी को सिर्फ भाजपा शासित राज्यों में ही विभिन्न ठेके मिले हुए हों ऐसा नहीं है बल्कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों के अलावा पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार, अन्य क्षेत्रीय दलों की राज्य सरकारों और केरल की वामपंथी सरकार ने भी अडाणी समूह को ठेके दिये हुए हैं। यह ठेके कोई नियमों को ताक पर रख कर नहीं दिये गये बल्कि नियमों का पालन कराते हुए दिये गये हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अडाणी समूह पर हमला करके क्या भारत की आर्थिक प्रगति को बाधित करने का प्रयास किया गया है?

देखा जाये तो यह आरोप कहीं ना कहीं सही लगता भी है क्योंकि महामारी के बाद जब पूरी दुनिया आर्थिक मंदी का सामना कर रही है तब भारत प्रगति कर रहा है। जब पूरी दुनिया की आर्थिक विकास दर घट रही है तो आईएमएफ कह रहा है कि भारत सबसे तीव्र गति से आर्थिक तरक्की कर रहा है और करता रहेगा। जब दुनिया के अमीर देशों के अरबपति, खरबपति टॉप अमीरों की सूची से नीचे खिसकने लगे और विकासशील देश भारत के उद्योगपति गौतम अडाणी उनकी जगह लेने लगे तो कुछ लोगों को तकलीफ होना स्वाभाविक था। सिर्फ अडाणी को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा हो ऐसी बात नहीं है, जब भी गरीबी या अभावों का सामना कर अपने बल पर मुकाम हासिल करने वाला कोई व्यक्ति आगे बढ़ता है तो उसके पैर पीछे खींचे ही जाते हैं। ऋषि सुनक जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद के लिए लोकतांत्रिक तरीके से चुनावी लड़ाई लड़ रहे थे तब उन्हें भी उनके मूल को लेकर कुछ लोगों ने निशाना बनाया था। दरअसल हम मानें या ना मानें इन गोरों ने इस दुनिया को दो भागों में विभाजित कर रखा है और रंग के आधार पर उन्होंने तय कर रखा है कि कौन राज करेगा। इसलिए जब भी भारत का कोई व्यक्ति आगे बढ़ेगा तो उसे पीछे धकेलने के प्रयास किये जायेंगे। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि हमारे यहां वित्तीय मामलों को लेकर अभी उतनी जागरूकता नहीं है, इसी बात का फायदा राजनीतिक दल उठा कर जनता के बीच में भ्रम फैलाते हैं और अपने हित साधते हैं।

जहां तक भारत के बाजारों की बात है तो आपको बता दें कि यह बहुत ज्यादा विनियमित हैं। अडाणी विवाद पर भारतीय रिजर्व बैंक विस्तृत स्पष्टीकरण दे चुका है जिसके मुताबिक देश के बैंकों ने सारे पैमानों को बरकरार रखते हुए विभिन्न कंपनियों को बड़े कर्ज दिए हैं। फिर भी एक विदेशी रिपोर्ट के आधार पर एक भारतीय कंपनी पर जो सवाल उठाये जा रहे हैं और उसके बारे में ऐसी बातें फैलाई जा रही हैं ताकि उसके विदेशी उपक्रमों पर भी असर पड़े, वह ठीक नहीं है। विपक्ष के निशाने पर आज अडाणी हैं कल को कोई और भी हो सकता है। हमें याद रखना चाहिए कि 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस पार्टी ने अनिल अंबानी पर इसी तरह का हमला बोला था। तब राहुल गांधी बार-बार कहते थे कि मोदीजी ने राफेल सौदे के दौरान सरकारी खजाने से 30 हजार करोड़ रुपए निकाल कर अनिल अंबानी की जेब में डाल दिये। उस नकारात्मक अभियान का असर यह हुआ कि आज अनिल अंबानी एक कारोबारी के तौर पर बर्बाद हो चुके हैं।

यही कारण है कि अब उद्योग जगत से जुड़े लोग एक-एक कर सामने आ रहे हैं और अडाणी समूह के खिलाफ चल रहे नकारात्मक अभियान के विरोध में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी आवाज मुखर कर रहे हैं। इस क्रम में कोटक महिंद्रा बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी उदय कोटक ने कहा है कि उन्हें वित्तीय व्यवस्था के लिए कोई प्रणालीगत जोखिम नहीं दिखता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि भारतीय जोखिम आकलन और क्षमता निर्माण को मजबूत करने का समय अब आ गया है। उन्होंने यह भी कहा है कि बड़े भारतीय कॉरपोरेट घराने ऋण और इक्विटी वित्त के लिए वैश्विक स्रोतों पर अधिक भरोसा करते हैं, जिससे उनके लिए चुनौतियां और कमजोरियां पैदा होती हैं।

वहीं, उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने अडाणी मामले को लेकर चल रहे विवाद के बीच टि्वटर पर एक यूजर के सवाल के जवाब में लिखा- देश के बिजनेस सेक्टर में छाए मौजूदा संकट को लेकर ग्लोबल मीडिया में चर्चा चल रही है कि कहीं ये घटना भारत के वैश्विक इकोनॉमिक फोर्स बनने के लक्ष्य को कमजोर ना कर दे। उन्होंने लिखा कि मैं एक लंबी उम्र जी चुका हूं और अपने देश को भूकंप, सूखा, मंदी, युद्ध और आतंकवादी हमलों से जूझते देखा है। उन्होंने कहा कि मैं बस इतना कह सकता हूं कि ‘आपको (ग्लोबल मीडिया) कभी भी भारत को कमतर नहीं आंकना चाहिए। दूसरी ओर, वेदांता समूह के प्रमुख अनिल अग्रवाल ने किसी और संदर्भ में भले यह कहा हो कि दुनिया भारत को इतनी तेज गति से तरक्की करते नहीं देख सकती, मगर उनके इस बयान को अडाणी विवाद से ही जोड़ कर देखा जा रहा है।

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दूसरी ओर, इस मामले में विभिन्न बैंकों, भारतीय जीवन बीमा निगम, केंद्र सरकार के मंत्रियों, आरबीआई आदि के स्पष्टीकरण आ चुके हैं। उसके बावजूद यदि सवाल उठाये जा रहे हैं तो यह दर्शाता है कि कुछ लोग इस सोच के साथ राजनीति कर रहे हैं कि उन्होंने जो कहा वही सही है। आप जरा बैंकों, वित्तीय नियामकों आदि के बयानों पर नजर डालिये फिर सोचिये कि कौन सही है-

सेबी का बयान

अडाणी समूह संबंधी विवाद के बीच सेबी ने कहा है कि वह शेयर बाजार में निष्पक्षता, कुशलता और उसकी मजबूत बुनियाद बनाये रखने के साथ सभी जरूरी निगरानी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। बाजार नियामक सेबनी ने कहा कि विशिष्ट शेयरों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए उपाय किए जा रहे हैं। सेबी ने बयान में कहा, 'अपनी जिम्मेदारी के तहत सेबी बाजार के व्यवस्थित और कुशल कामकाज को बनाए रखना चाहता है। किसी खास शेयर में अत्यधिक उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए अच्छी तरह से परिभाषित, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध निगरानी उपाय (एएसएम ढांचे सहित) मौजूद हैं।' बयान के मुताबिक, 'यह व्यवस्था किसी भी शेयर की कीमतों में उतार-चढ़ाव होने पर कुछ शर्तों के तहत अपने आप सक्रिय हो जाती है।' सेबी ने कहा कि सभी विशिष्ट मामलों के संज्ञान में आने के बाद नियामक मौजूदा नीतियों के अनुसार उनकी जांच करता है और उचित कार्रवाई करता है।

शेयर बाजारों की कार्रवाई

इसके अलावा शेयर बाजारों- बीएसई और एनएसई ने अडाणी समूह की तीन कंपनियों- अडाणी एंटरप्राइजेज, अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन और अंबुजा सीमेंट्स, को अपने अल्पकालिक अतिरिक्त निगरानी उपाय (एएसएम) के तहत रखा है। इसका मतलब है कि 'इंट्रा-डे ट्रेडिंग' के लिए 100 प्रतिशत अपफ्रंट मार्जिन लागू होगा, ताकि इन शेयरों में सट्टेबाजी और ‘शॉर्ट-सेलिंग’ को रोका जा सके।

भारतीय रिजर्व बैंक का बयान

संकट में फंसे अडाणी समूह को बैंकों के कर्ज को लेकर चिंता के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि भारत का बैंकिंग क्षेत्र मजबूत और स्थिर है। केंद्रीय बैंक ने साथ ही यह भी कहा कि वह ऋणदाताओं पर लगातार नजर बनाए हुए है। आरबीआई ने बयान में कहा कि एक ‘व्यावसायिक समूह’ को भारतीय बैंकों के कर्ज के बारे में चिंता जताने वाली मीडिया रिपोर्टों को संज्ञान में लेते हुए वह लगातार बैंकिंग क्षेत्र की निगरानी कर रहा है। हालांकि, आरबीआई ने अडाणी समूह का नाम नहीं लिया। आरबीआई ने कहा कि वर्तमान मूल्यांकन के अनुसार ‘‘बैंकिंग क्षेत्र जुझारू और स्थिर बना हुआ है। पूंजी पर्याप्तता, संपत्ति की गुणवत्ता, नकदी, प्रावधान प्रसार और लाभप्रदता से संबंधित विभिन्न मानदंड अच्छी स्थिति में हैं।’’ केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘‘नियामक और पर्यवेक्षक के रूप में, आबीआई वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए बैंकिंग क्षेत्र और प्रत्येक बैंक की लगातार निगरानी करता है। आरबीआई के पास बड़े ऋणों से संबंधित सूचनाओं का केंद्रीय संग्रह (सीआरआईएलसी) डेटाबेस प्रणाली है, जहां बैंक अपने पांच करोड़ और इससे अधिक के कर्ज की जानकारी देते हैं। इस जानकारी का इस्तेमाल निगरानी के लिए किया जाता है।’’ बयान में कहा गया कि केंद्रीय बैंक सतर्क रहता है और लगातार भारतीय बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता की निगरानी करता है।

एक्सिस बैंक का बयान

निजी क्षेत्र के एक्सिस बैंक ने कहा है कि संकटग्रस्त अडाणी समूह को दिया गया कर्ज, उसके कुल ऋण का 0.94 प्रतिशत है। बैंक ने शेयर बाजार से कहा, 'हम बैंक के ऋण मूल्यांकन ढांचे के अनुसार नकदी आवक, सुरक्षा और देनदारियों को चुकाने की क्षमता के आधार पर कर्ज देते हैं। इस आधार पर हम अडाणी समूह को दिए गए कर्ज के साथ सहज हैं।' एक्सिस बैंक की ओर से शेयर बाजार को दी जानकारी में कहा गया है कि अडाणी समूह को दिया गया कर्ज मुख्य रूप से बंदरगाहों, पारेषण, बिजली, गैस वितरण, सड़क और हवाई अड्डों जैसे क्षेत्रों में काम कर रही कंपनियों के लिए है। बैंक के बताया कि शुद्ध कर्ज के प्रतिशत के रूप में फंड-आधारित बकाया 0.29 प्रतिशत है, जबकि गैर-निधि आधारित बकाया 0.58 प्रतिशत है। इसमें आगे कहा गया कि 31 दिसंबर 2022 तक बैंक के शुद्ध अग्रिमों के मुकाबले निवेश 0.07 प्रतिशत है। एक्सिस बैंक ने कहा कि उसके पास 31 दिसंबर, 2022 तक 1.53 प्रतिशत के मानक परिसंपत्ति कवरेज के साथ एक मजबूत बहीखाता है।

जम्मू-कश्मीर बैंक का बयान

जम्मू एंड कश्मीर (जेके) बैंक ने कहा है कि अडाणी समूह को दिया गया उसका कर्ज सुरक्षित है और बैंक के निवेशकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। जेके बैंक के उप महाप्रबंधक निशिकांत शर्मा ने कहा, “अडाणी समूह को दिया गया हमारा ऋण बैंक द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं के प्रति सुरक्षित है।” निशिकांत शर्मा ने कहा कि जेके बैंक ने महाराष्ट्र और गुजरात के मुंद्रा में दो तापीय बिजली संयंत्रों के लिए अडाणी समूह को 400 करोड़ रुपये कर्ज दिया है। उन्होंने कहा, “हमने 10 साल पहले दोनों परियोजनाओं के लिए 400 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था, जो अब 240 से 250 करोड़ रुपये रह गया है। भुगतान नियमित रूप से हो रहे हैं और दोनों संयंत्र बिजली खरीद समझौतों के साथ संचालित हैं। अडाणी के खाते से एक पैसा भी बकाया नहीं है।''

भारतीय स्टेट बैंक का बयान

देश के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने कहा है कि अडाणी समूह की कंपनियों को उसने करीब 27,000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया हुआ है जो कुल वितरित ऋणों का सिर्फ 0.88 प्रतिशत है। अडाणी समूह के शेयरों में गिरावट का दौर जारी रहने से पैदा हुई अनिश्चितता के बीच एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा कि बैंक ने इस समूह को कोई भी कर्ज शेयरों के एवज में नहीं दिया है। दिनेश खारा ने संवाददाताओं से कहा कि अडाणी समूह की परियोजनाओं को कर्ज देते समय भौतिक संपत्तियों एवं समुचित नकदी प्रवाह को ध्यान में रखा गया है। उन्होंने कहा, ''बैंक की ऐसी धारणा नहीं है कि अडाणी समूह अपनी कर्ज देनदारियों को पूरा करने में किसी तरह की चुनौती का सामना कर रहा है।’’ उन्होंने कहा है कि हमने ऐसा कुछ नहीं किया है जो हमें चिंता में डाल सके।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बयान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अडाणी समूह के शेयरों में आई भारी गिरावट को एक कंपनी तक केंद्रित मामला बताते हुए कहा है कि शेयर बाजार को स्थिर रखने के लिए सेबी और रिजर्व बैंक जैसे नियामकों को हमेशा चौकस रहना चाहिए। सीतारमण ने कहा कि बैंक एवं बीमा कंपनियों ने किसी एक कंपनी में हद से अधिक निवेश नहीं किया है। इसके साथ ही उन्होंने आश्वस्त किया कि भारतीय बाजारों का नियामक बहुत अच्छी तरह प्रबंधन करते हैं। जब उनसे पूछा गया कि अडाणी समूह के शेयरों में जारी गिरावट क्या सिर्फ एक समूह तक ही सीमित मामला है तो उन्होंने कहा, ‘‘मुझे ऐसा ही लगता है। मुझे इस मामले का भारत में विदेशी पूंजी प्रवाह पर कोई असर पड़ता हुआ नहीं दिख रहा है क्योंकि पिछले कुछ दिनों में विदेशी मुद्रा भंडार आठ अरब डॉलर बढ़ गया है।’’ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साथ ही कहा कि अडाणी समूह के 20,000 करोड़ रुपये का अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) वापस लेने से देश की अर्थव्यवस्था की छवि प्रभावित नहीं हुई है।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का बयान

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि अरबपति गौतम अडाणी की कंपनियों के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों के संबंध में नियामक स्थिति को संभालने के लिए काफी सक्षम हैं और उचित कार्रवाई करेंगे। पीयूष गोयल ने पत्रकारों से कहा, ‘‘भारत में नियामक बहुत सक्षम हैं और हमारे वित्तीय बाजार दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित और अच्छी तरह से विनियमित बाजारों में से हैं। नुकसान के संबंध में, यह शेयर बाजार का मूल्यांकन नुकसान है, न कि किसी व्यक्ति या लोगों की संपत्ति का नुकसान।’’

केंद्रीय वित्त सचिव का बयान

वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने कहा है कि अडाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट से शेयर बाजार में मची आपाधापी वृहद-आर्थिक नजरिये से 'चाय के प्याले में उठा तूफान' भर है। हम आपको बता दें कि 'चाय के प्याले में उठा तूफान' एक मुहावरा है, जिसका मतलब है कि ऐसे मामले को लेकर गुस्सा और चिंता दिखाना, जो महत्वपूर्ण नहीं है।

गौतम अडाणी का बयान

उद्योगपति गौतम अडाणी ने समूह की कंपनियों के शेयरों में जारी गिरावट के बीच पिछले सप्ताह बृहस्पतिवार को पहली बार चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा कि बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण उनके समूह की प्रमुख कंपनी के अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) को पूर्ण अभिदान मिलने के बाद भी उसे वापस लेने का फैसला किया गया। अडाणी ने कहा, ‘‘एक उद्यमी के रूप में चार दशकों से अधिक की मेरी सहज यात्रा में मुझे सभी पक्षों से खासकर निवेशकों भरपूर समर्थन मिला। मेरे लिये, निवेशक समुदाय के हित सबसे ऊपर है और हर चीज इसके बाद आती है।'' अडाणी ने कहा, ‘‘मौजूदा कामकाज और भावी योजनाओं पर इस फैसले का कोई असर नहीं होगा। हम परियोजनाओं को समय पर पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कंपनी की बुनियाद मजबूत है। हमारा बही-खाता ठोस और परिसम्पत्तियां मजबूत हैं। हमारा कर पूर्व आय (ईबीआईटीडीए) का स्तर और नकदी प्रवाह काफी मजबूत रहा है तथा ऋण चुकाने का हमारा रिकॉर्ड बेदाग है। हम लंबी अवधि के मूल्य निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेंगे और वृद्धि के कार्य आंतरिक संसाधनों के जरिये किये जाएंगे।’’

एलआईसी का बयान

भारतीय जीवन बीमा निगम ने कहा है कि अडाणी समूह के बॉन्ड और इक्विटी में उसके 36,474.78 करोड़ रुपये लगे हैं और यह राशि बीमा कंपनी के कुल निवेश का एक फीसदी से भी कम है। एलआईसी ने कहा है कि ‘‘अडाणी समूह की कंपनियों में इक्विटी और बॉन्ड के तहत हमारा कुल निवेश 36,474.78 करोड़ रुपये है।'' अगर अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में आज की गिरावट के आंकड़ों को भी देखें तो एलआईसी के पास अडाणी समूह के जो शेयर हैं उसका बाजार मूल्य 50000 करोड़ रुपये के आसपास है। यानि एलआईसी ने लगभग साढ़े 36 हजार करोड़ रुपए लगाये और आज भी उसके शेयरों की कीमत लगभग 50 हजार करोड़ रुपए है।

बहरहाल, जब अडाणी विवाद से किसी बैंक का कर्ज मुश्किल में नहीं फंसा है, ना एलआईसी को नुकसान हुआ है ना एसबीआई को ना ही सरकारी खजाने को। ऐसे में यह सवाल तो उठेगा ही कि विपक्ष आखिर यह अफवाहें उड़ा कर क्या हासिल करना चाह रहा है?

-नीरज कुमार दुबे

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